कैसे पता लगाया जा सकता है कि जमीन के अंदर सोना है या नहीं
https://tehalkatodayindia.blogspot.com/2013/10/blog-post_756.html
इस समय
पूरे देश में बॉलीवुड में सलमान खान, खेल में सचिन तेंदुलकर और राजनीति में
नरेंद्र मोदी से ज्यादा डौंडियाखेड़ा के खजानों की चर्चा है. यह खबर
राष्ट्रीय खबरों से बड़ी बन चुकी है. राजा राव रामबक्श के किले में खजाने की
खुदाई का आज चौथा दिन है. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) और
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) के उच्चाधिकारी ने साझा योजना बनाकर
खुदाई के काम में लगी हुई है. बताया जा रहा है कि शाम को काम बंद
होने तक कुल 200 सेंटीमीटर खुदाई हो चुकी थी.
दावेदारी के लिए पहुंचे
इस बीच
जिस खजाने को लेकर अभी भी अनिश्चिता है. उस खजाने पर अपनी दावेदारी ठोकने
वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है. डौंडियाखेड़ा गांव के प्रधान ने इस खजाने
का एक हिस्सा गांव के विकास के लिए मांगा है. जबकि राजा राव रामबक्श सिंह
के संदिग्ध वंशज भी खजाने के एक हिस्से पर अपना हक जता रहे हैं. उधर केंद्र
और राज्य सरकार भी इस खजाने पर अपनी दावेदारी ठोक रही है. कोई कुछ कहे देश
की सीमा में जमीन के अंदर से निकलने वाली किसी भी पुरातात्विक चीज पर पहला
हक भारत सरकार का होता है .
कैसे पता चलता है कि जमीन में क्या है
जमीन में
इसके नीचे क्या है इसका पता लगाने के लिए ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार
(जीपीआर) का प्रयोग किया जाता है. दरअसल यह मिट्टी के भौतिक गुणों जैसे
घनत्व, चुंबकीय गुण, रेजिस्टिविटी को रिकॉर्ड करता है जिसके आधार पर ग्राफ
तैयार कर यह अनुमान लगाया जाता है कि मिट्टी के नीचे कौन सा तत्व है इसके
बाद कोर एनालिसिस की जाती है. इसमें जमीन के नीचे ड्रिलिंग कर थोड़ा-थोड़ा
मैटेरीयल निकाल कर उसका विश्लेषण किया जाता है. इससे स्थल विशेष पर नीचे
क्या है इसकी सटीक जानकारी मिलती है.
इसके अलवा
जमीन के भीतर छिपी संपदा, धातु, (सोना, चांदी, तांबा आदि) वीएलएफ
टेक्नोलॉजी के जरिए भी पता लगाया जा सकता है. इसके लिए जमीन के भीतर तरंगे
भेजी जाती है. एक बार इन तरंगों से टकराने के बाद वीएलएफ रिसीवर्स उस
वस्तु के चारों ओर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड बनाता है और खास मेटल से
टकराकर एक अनुगूंज पैदा करता है.
इस तरह का सर्वे आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) की टीम करती है.