नई दिल्ली. मोहनदास करमचंद गांधी, महात्मा गांधी या फिर बापू
किसी भी नाम से बुलाएं, आजादी के जश्न में महात्मा गांधी को जरूर याद किया
जाता है। महात्मा गांधी ही वो शख्स हैं, जिनकी तस्वीर को भारतीय करंसी के
ट्रेडमार्क के रूप में इस्तेमाल किया गया। हालांकि, हमेशा से यह बात उठती
रही कि करंसी नोट पर दूसरे क्रांतिकारियों की भी तस्वीर होनी चाहिए। लेकिन,
देश की सरकार और आरबीआई ने गांधी जी तस्वीर को कभी नहीं हटाया।तहलका टुडे 15 अगस्त की स्पेशल सीरीज में आपको गांधी की नोटों पर आई तस्वीर से
जुड़ी रोचक जानकारी दे रहा है।
देसी कागज के नोट पर भी छपेगी गांधी जी की तस्वीर
भारतीय करंसी पर फिलहाल गांधीजी की तस्वीर अंकित है। देसी कागज पर
छपने वाले नोटों पर भी यही तस्वीर अंकित होगी। ये भारतीय करंसी का
ट्रेडमार्क भी है। लेकिन, गांधी जी की यह तस्वीर कहां से आई, जो ऐतिहासिक
और इंडियन करंसी का ट्रेडमार्क बन गई। दरअसल यह सिर्फ पोट्रेट फोटो नहीं,
बल्कि गांधीजी की ओरिजनल तस्वीर है। इसी तस्वीर से गांधीजी का चेहरा
पोट्रेट के रूप में लिया गया।
कहां की है यह तस्वीर
यह तस्वीर उस समय खींची गई, जब गांधीजी ने तत्कालीन बर्मा और भारत में
ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस के साथ
कोलकाता स्थित वायसराय हाउस में मुलाकात की थी। इसी तस्वीर से गांधीजी का
चेहरा पोट्रेट के रूप में भारतीय नोटों पर अंकित किया गया।
1996 में हुआ नोटों में परिवर्तन
आज हम भारतीय नोटों पर गांधीजी का चित्र देख रहे हैं, जबकि इससे पहले
नोटों पर अशोक स्तंभ अंकित हुआ करता था। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा 1996
में नोटों में परिवर्तन करने का फैसला लिया गया। इसके अनुसार अशोक स्तंभ
की जगह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का फोटो और अशोक स्तंभ की फोटो नोट के
बायीं तरफ निचले हिस्से पर अंकित कर दी गई।
अभी तक 5 रुपए से लेकर 1 हजार तक के नोट में गांधीजी की फोटो दिखाई
देती है। इससे पहले 1987 में जब पहली बार500 का नोट चलन में आया तो उसमें
गांधीजी का वॉटरमार्क यूज किया गया था। सन् 1996 के बाद हरेक नोट में
गांधीजी का चित्र अंकित हो गया।
सरकार करती है एक रुपए का नोट जारी
अब एक व दो रुपए के नोट चलन में नहीं हैं। हालांकि इस साल से एक रुपए
के नोट की छपाई दोबारा शुरू हो चुकी है। इसे1994 से बंद कर दिया गया था।
इनकी जगह सिक्कों ने ले ली थी। वहीं, जब एक रुपए का नोट चलन में था, तब उस
पर रिजर्व बैंक के गर्वनर की जगह फायनेंस सेक्रेटरी (वित्त सचिव) के
हस्ताक्षर अंकित हुआ करते थे।
करंसी ऑफ ऑर्डिनेंस के नियमानुसार एक रुपए का नोट भारत सरकार द्वारा,
जबकि दो रुपए से लेकर 1000 रुपए तक की करंसी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा
जारी की जाती थी। वर्तमान में दो रुपए का उत्पादन बंद है, लेकिन पुराने नोट
अभी भी चलन में हैं।
(इससे पहले तक नोटों पर किंग जॉर्ज की तस्वीर अंकित हुआ करती थी)
भारतीय रुपया 1957 तक 16 आनों में रहा। इसके बाद मुद्रा की दशमलव
प्रणाली अपनाई गई और एक रुपए का निर्माण 100पैसों में किया गया। महात्मा
गांधी वाले कागजी नोटों की शुरुआत 1996 से शुरू हुई, जो अब तक चलन
भारतीय रुपया 1957 तक 16 आनों में रहा। इसके बाद मुद्रा की दशमलव
प्रणाली अपनाई गई और एक रुपए का निर्माण 100पैसों में किया गया। महात्मा
गांधी वाले कागजी नोटों की शुरुआत 1996 से शुरू हुई, जो अब तक चलन
(ऊपर किंग जॉर्ज की फोटो वाला नोट और इसके बाद चलन में आया अशोक स्तंभ वाला 10 रुपए का नोट।)
ध्यान देने योग्य बात: भारतीय नोटों के अगले भाग पर अंकित चित्र समान होते हैं, लेकिन पिछले भाग पर अलग-अलग
पांच रुपए के नोट की खासियत:
अग्र भाग में: महात्मा गांधी की फोटो(वाटर मार्क), अशोक स्तंभ
पिछले हिस्से में: ट्रैक्टर का चित्र
10 रुपए के नोट की खासियत:
अग्र भाग में: महात्मा गांधी की फोटो, अशोक स्तंभ
पिछले हिस्से में: गैंडा, हाथी व बाघ का चित्र
20 रुपए के नोट की खासियत:
अग्र भाग में: महात्मा गांधी की फोटो(वाटर मार्क), अशोक स्तंभ
पिछले हिस्से में: ताड़ के वृक्षों का चित्र
50 रुपए के नोट की खासियत:
अग्र भाग में: महात्मा गांधी की फोटो, अशोक स्तंभ
पिछले हिस्से में: भारतीय संसद का चित्र
100 रुपए के नोट की खासियत:
अग्र भाग में: महात्मा गांधी की फोटो, अशोक स्तंभ
पिछले हिस्से में: हिमालय पर्वत का चित्र
500 रुपए के नोट की खासियत:
अग्र भाग में: महात्मा गांधी की फोटो, अशोक स्तंभ
पिछले
हिस्से में : दांडी मार्च का चित्र
1000 रुपए के नोट की खासियत:
अग्र भाग में : महात्मा गांधी की फोटो, अशोक स्तंभ
पिछले हिस्से में : भारतीय अर्थव्यस्था को दर्शाता चित्र