पत्रकार काजमी को ईरान के साथ काम करने की ऐसी सजा न दें : सईद नकवी

Saeed Naqvi
काजमी के बारे में जानकारी छुपा रही भारत सरकार : दिल्ली : इस्राइली दूतावास की कार पर हमले मामले में गिरफ्तार सैयद अहमद काजमी दूरदर्शन में ऊर्दू न्यूज रीडर भी है। यह बात अब पता चली है लेकिन सरकार इस बात को छिपा रही है। यह दावा एक इस्राइली अखबार ने किया है। काजमी के समर्थन में संसद के पास स्थित प्रेस क्लब में शुक्रवार को आयोजित प्रेसवार्ता में लोगों ने मोहम्मद काजमी को निर्दोष बताया। इस दौरान मोहम्मद काजमी का बेटा भी मौजूद था। लोगों ने मामले की पारदर्शिता पूर्ण और सही तरीके से जांच कराने की मांग की है।
दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (डीयूजे) द्वारा आयोजित प्रेसवार्ता में मोहम्मद काजमी के बेटे शौजब ने कहा कि मेरे पिता निर्दोष हैं। उन्होंने देश के लिए इराक युद्ध कवर किया। शौजब ने आरोप लगाया कि पुलिस पिता को मानसिक रुप से प्रताड़ित कर रही है। रिश्तेदारों को भी पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है। गिरफ्तारी मेमो पर पिता के जबरदस्ती हस्ताक्षर करवाए गए हैं। पिता का 25 साल से पीआईबी से एक्रीडिएशन है। घर में कभी कोई ईरानी नहीं ठहरा। जिस स्कूटी को पुलिस ने जब्त किया है वह दो साल से घर में खड़ी थी। मेरठ के रहने वाले उसके चाचा स्कूटी को एम्स जाने के लिए प्रयोग करते थे।

वहीं, काजमी के दोस्त सईद नकवी ने कहा कि काजमी बहुत ही ईमानदार है। उसे ईरान और पश्चिमी एशिया के साथ काम करने की सजा ऐसे नहीं देनी चाहिए। काजमी हाल ही में डेलीगेशन के साथ सीरिया गया था। काजमी को इंडिया इस्लामिक सेंटर के बाहर से गिरफ्तार किया गया। जबकि घर उसे रात में ले जाया गया। प्रेसवार्ता के दौरान कुछ संदिग्धों को घूमते देखा गया। इस पर पत्रकारों ने नारेबाजी और हंगामा किया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि संदिग्ध आईबी के लोग थे, जिन्हें पत्रकार पुलिसकर्मी समझ बैठे। हंगामा और नारेबाजी काफी देर तक होती रही। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ।

ईरानी समाचार एजेंसी के लिए काम कर रहे पत्रकार सैयद अहमद काजमी की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बीके गुप्ता और इस मामले की जांच कर रहे डीसीपी अशोक चांद व एसीपी संजीव यादव ने गृहसचिव आरके सिंह के मुलाकात कर इस मामले का ब्यौरा दिया। इस सवाल पर कि इतनी बड़ी वारदात के बाद इमिग्रेशन में ईरानी नागरिकों पर सख्त नजर क्यों नहीं रखी गई, गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इमिग्रेशन पर नजर रखने के आदेश बैंकाक में हुए आतंकी हमले के बाद दिए गए थे।

उस हमले के बाद ही भारतीय एजेंसी को लगा कि दिल्ली की घटना के अंतरराष्ट्रीय तार जुड़े हैं। मुमकिन है कि इसी देरी की वजह का फायदा इन चार ईरानी नागरिकों ने उठाया। मालूम हो कि दिल्ली में हमले के चंद घंटे बाद ही इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने वारदात में ईरानी के लोगों के शामिल होने की बाद कही थी। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने उस वक्त यह जरूरी नहीं समझा कि देश से बाहर जाने वाले ईरानी नागरिकों की जांच की जाए।

Post a Comment

emo-but-icon

Featured Post

करंसी नोट पर कहां से आई गांधी जी की यह तस्वीर, ये हैं इससे जुड़े रोचक Facts

नई दिल्ली. मोहनदास करमचंद गांधी, महात्मा गांधी या फिर बापू किसी भी नाम से बुलाएं, आजादी के जश्न में महात्मा गांधी को जरूर याद किया जा...

Follow Us

Hot in week

Recent

Comments

Side Ads

Connect Us

item