करवा चौथ के नाम पर ‘पत्नी सेवा’ का चलन

किसी भी विवाहित स्त्री के लिए करवा चौथ का व्रत बेहद अहम होता है. जिन महिलाओं की शादी हो चुकी है या वे महिलाएं जो मन ही मन किसी को अपना पति मान चुकी हैं वह इस दिन भूखी-प्यासी रहकर ईश्वर से अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करते हुए आजीवन सुहागन रहने के लिए प्रार्थना करती हैं. सदियों से चली आ रही यह परंपरा आज भी भारतीय महिलाओं के लिए काफी अहमियत रखती है. अल्ट्रा मॉडर्न स्त्री हो या फिर घरेलू नारी सभी के लिए यह व्रत बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है. अब आप खुद ही सोचिए बॉलिवुड सिलेब्रिटीज जो स्वयं आधुनिक रीति-रिवाजों की अगुवाई करती हैं वह भी इस व्रत को रखकर अपने पतिव्रता होने की कसौटी पर खरा उतरने की कोशिश करती हैं ऐसे में सामान्य महिलाओं के लिए यह व्रत कितना अहम होगा इस बात का आंदाजा तो स्वत: ही लग जाता है.

एक दौर था जब करवा चौथ का यह व्रत बड़े ही सादे तरीके के साथ मनाया जाता है. घर की महिलाएं सुबह सरगी खाकर दिनभर भूखी-प्यासी रहकर घर का काम करती थी, परिवार को संभालती थी और परिवार के अन्य सदस्यों की बाकी जरूरतों को भी पूरा करती थी. रात को चांद निकलने के बाद अपने पति के हाथ से पहला निवाला खाकर वह अपन व्रत तोड़ती थीं.

लेकिन जैसे-जैसे समाज आधुनिकता की पर बढ़ता गया व्रत और त्यौहार तो वही रहे लेकिन उन्हें मनाने के तरीके में काफी अंतर आने लगा. करवा चौथ के इस व्रत की ही बात करें तो इससे संबंधित सबसे पहला अंतर तो तभी दिखाई दे जाता है जब पतियों ने भी अपनी पत्नियों के लिए करवा चौथ का व्रत रखना शुरु कर दिया. जहां पहले स्त्रियां ही अपने साथी की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कामना में करवा चौथ का व्रत रखती थीं वहीं अब पतियों ने भी यह मोर्चा बखूबी संभाल लिया है. अब अपनी जीवनसाथी के प्रति अपने प्यार को प्रदर्शित करने के लिए वह भी भूखे रहते हैं, पूरे दिन का उपवास रखते हैं. लेकिन विडंबना यह है कि आधुनिकता की ओर बढ़ते भारतीय समाज के उस रूढ़िवादी हिस्से, जिसके अनुसार पति की भूमिका अभी भी उसी पुराने ढर्रे पर ही है, के लिए पतियों का अपनी पत्नी के लिए साथ घरेलू कामों में सहयोग करना निंदनीय है इसीलिए वे पति जो अपनी पत्नियों के लिए करवा चौथ का व्रत रखते हैं उन्हें कुछ खास आदर या सम्मान नहीं देता. लेकिन इससे कुछ खास फर्क पड़ता दिखाई नहीं देता क्योंकि वे पति जो अपनी पत्नियों के लिए यह व्रत रखते हैं वह बढ़चढ़कर इस पर्व का आनंद उठाते हैं और महिलाएं सजधजकर, हाथों में महंदी लगाकर, पूरा श्रृंगार कर अपने पति की खुशहाली की दुआ मांगती हैं.

वहीं महिलाएं भी बहुत समझदार हो गई हैं. इस दिन उन्हें ऑफिस से छुट्टी तो मिल ही जाती है साथ ही घर पर भी उनके आराम का पूरा ध्यान रखा जाता है. इतना ही नहीं खाने-पीने के ढंग से लेकर पहनावे और पूजा करने के तरीके में भी बहुत बड़ा अंतर दिखाई देता है.

जैसे हर त्यौहार का रंग-ढंग थोड़ा ग्लैमरस हो गया है वैसे ही करवा चौथ का व्रत भी अब बड़े ही ग्लैमरस तरीके के साथ मनाया जाता है और यह कोई हैरानी की बात भी नहीं है कि मार्केट भी अब करवा चौथ को अपनी पसंद अनुसार कैश करने में लगा हुआ है. इस दौरान हर चीज के दाम दुगनी-तिगुनी गति से बढ़ जाते हैं और जिन्हें खरीदना है वह तो हर कीमत पर सामान खरीदते ही हैं. खैर एक बात तो माननी ही पड़ेगी कि आज जब पारंपरिक पर्वों और त्यौहारों के महत्व को भूलकर लोग वैलेंटाइन डे जैसे दिनों को मनाने ही होड़ में शामिल हो गए हैं ऐसे में भले ही कुछ परिवर्तनों के साथ ही सही लेकिन अभी भी ऐसे में त्यौहारों के महत्व को बरकरार रखा गया है.

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