राहुल ने दिखाए अपने जख्म, पढ़िए उन्हीं की जुबानी उनकी दस दर्दभरी कहानियां

चूरू/खेड़ली। मैं भाषण नहीं देता। विकास की बातें नहीं करता। ...दिल के दर्द की कहानियां कहता हूं। पिछली सभा में मैंने अपनी मां की कहानी सुनाई तो मां ने फोन पर कहा कि मेरी कहानी क्यों बताते हो, अपनी कहानियां बताओ। इसलिए आज मैं आप सभी को अपनी कहानी, अपना दर्द बताने जा रहा हूं। यह मैं आपको इसलिए भी बता रहा हूं कि आपको पता चलेगा कि मैं भाजपा का इतना विरोध क्यों करता हूं।
मैं और प्रियंका जब छोटे थे, पापा से खूब डरते थे। पापा घर में भी सख्त कानून बनाते थे। उनके सख्त कानून से दादी मुझे बचा लेती थीं। जैसे कि मुझे बचपन में पालक अच्छा नहीं लगता था। पापा मुझे खाने में पालक देते। मेरी दादी अखबार की ओट कर देतीं और मैं सारा पालक दादी की थाली में डाल देता। वो देश की प्रधानमंत्री थीं, लेकिन मेरे लिए तो दादी थीं।
मेरी दादी से सब डरते थे, लेकिन मैं नहीं डरता था। दादी के काम के लिए नियुक्त नथूराम भी मुझसे पूछता था कि आज दादी का मूड ठीक है क्या। ऐसे ही मेरे दो-तीन दोस्त थे, जो मुझे खेलना सिखाते थे। एक दोस्त मुझे सिखाता कि बैडमिंटन में शॉट कैसे लगाते हैं और खेलते कैसे हैं। दूसरा मुझे कसरत करना सिखाता। ये दोस्त थे बेअंत सिंह और सतवंत सिंह।
984 की बात है। मैं एक दिन पार्क में घूमने गया तो बेअंतसिंह मिले और उन्होंने मुझसे पूछा कि आपकी दादी कहां सोती हैं। मुझे उनका सवाल अजीब लगा, इसलिए मैंने उलटा-पुलटा सा जवाब दे दिया। फिर उन्होंने पूछा- आपकी दादी की सुरक्षा में कोई कमी तो नहीं है। फिर उन्होंने बताया कि यदि आप पर कोई हथगोला फेंके तो आप लेट कर जान बचा सकते हैं? बाद में पता चला कि सतवंत और बेअंत सिंह दीपावली के दिन मेरी दादी पर हथगोला फेंकना चाहते थे।
दादी की हत्या जिस दिन हुई मैं स्कूल में था। भूगोल की क्लास थी। इतने में ही क्लास में घर से एक व्यक्ति आया और टीचर से बात की। टीचर ने मुझसे घर जाने को कहा। प्रिंसिपल के रूम में पहुंचकर घर बात की। घर पर काम करने वाली महिला चीख रही थी। ऐसी चीख मैंने पहले कभी नहीं सुनी। मैंने उससे पूछा पापा ठीक हैं। उसने कहा हां ठीक हैं। फिर मैंने पूछा ममा ठीक हैं। उसने कहा वो भी ठीक हैं। फिर मैंने सोचा अब तो दादी ही बची हैं। मैंने उससे पूछा दादी ठीक हैं, तो उसने कहा नहीं कुछ भी ठीक नहीं है। इतना सुनते ही मेरा दिल बैठ सा गया, पैर कांपने लगे। वहां से हम प्रियंका के स्कूल गए, उसे कुछ भी पता नहीं था। हमें गाड़ी के पीछे डिक्की में डालकर लाया गया। घर पहुंचा तो देखा कि सड़क पर दादी का खून और कमरों में मेरे उन दोनों दोस्तों बेअंतसिंह और सतवंत के शरीर पड़े थे। उस दिन मुझे बहुत गुस्सा आया और जो दर्द हुआ उसे बयां नहीं कर सकता।
मेरे पिता की भी हत्या हो गई, तब भी मुझे गुस्सा आया। उस गुस्से को खत्म करने में कोई बीस साल लग गए। तब मैंने जाना कि गुस्सा करने में चंद मिनट लगते हैं, लेकिन उसको खत्म करने में वर्षों बीत जाते हैं। ऐसा ही गुस्सा राजनेता अपने स्वार्थों के लिए जनता में डालते हैं। इससे आम आदमी को चोट पहुंचती है और वो गुस्से में कुछ भी कर बैठता है। इसलिए मैं हमेशा भाजपा का विरोध करता हूं। भाजपा हमेशा राजनीतिक लाभ के लिए चोट पहुंचाती रही है।
हाल ही में मैं मुजफ्फरनगर में हिंदू और मुस्लिमों से मिला, उनकी कहानी सुनने के बाद उनका दुख मुझे मेरे दुख सा लगा। तब चाहता हूं कि हिंदुस्तान एक साथ रहे। भाजपा आग लगाने का काम करती है और उसे बुझाने के लिए हमें या आप को जाना पड़ता है। इससे देश का ही नुकसान होता है। उन्होंने मेरी दादी की हत्या करवा दी, मेरे पिता को मरवा डाला और एक दिन मुझे भी मार देंगे शायद! लेकिन मैं मौत से नहीं डरता।
 अमीर और गरीब मिलकर देश को आगे बढ़ाएंगे
हर महिला टीवी पर देखती है कि राहुल हवाई जहाज में जा रहा है, उसे इतनी सुविधा है और मेरे बच्चे को रोटी तक नहीं मिल पाती। एक महिला से पूछा तो राजबाला नाम की महिला ने कहा हां यह सही है। युवाओं की ओर इशारा करते हुए, युवाओं में बेरोजगारी का दर्द और गुस्सा है। भीड़ में पूछा, तो महावीर नाम के युवा ने कहा कि सही है। इस गुस्से को कम करने के लिए ही हमने रोजगार गारंटी कानून बनाया। गरीबों की भूख मिटाने के लिए ही कानून बनाकर भोजन का अधिकार दिया। कांग्रेस ने हमेशा गरीबों के हितों के लिए दिलाने की राजनीति की है और करते रहेंगे। हम चाहते है कि किसान समृद्ध हो, लेकिन हम ये भी चाहते है कि उस किसान के खेत में काम करने वाले मजदूर का भी जीवन स्तर सुधरे। हिंदुस्तान में केवल गरीब ही नहीं हैं, अमीर लोग भी हैं। इसलिए उद्योग धंधों का विकास भी होना चाहिए। अमीर व गरीब को मिलकर देश को आगे बढ़ाना चाहिए। भाजपा कहती है कि सड़के खूब बनाई, तो मैं बता देना चाहता हूं कि हमारे कार्यकाल में भाजपा से पांच गुणा अधिक सड़कों का निर्माण हुआ है। इतनी शानदार योजनाएं लागू की है, जो वे सपने में भी नहीं सोच सकते थे।
सिर्फ तीन सौ से पांच सौ आदमी चलाते हैं राजनीतिक पार्टियों को
चाहे कांग्रेस हो, भाजपा, बसपा या सपा या अन्य कोई राजनीतिक दल इनको मात्र तीन सौ से पांच सौ व्यक्ति चलाते आ रहे है। मैं चाहता हूं कि इस ढांचे को लाखों लोग चलाएं। राजनीति में कोटे की स्थिति खत्म होनी चाहिए। राजनति के बंद कमरों तक ग्रामीणों की आवाज पहुंचनी चाहिए। कांग्रेस पार्टी यह करेगी तो सभी पार्टियों को पीछे-पीछे आना पड़ेगा।
आतंकवाद का समय था। पंजाब मेंं और कई जगह गुस्सा था। गुस्सा लोगों के दिलों में नहीं था डाला गया था। लड़वाई करवाई जाती है। 1977 में दादी चुनाव हारी थी तो घर से निकाली गई। हमारे पास घर नहीं था। हमारे पारिवारिक मित्र थे मोहम्मद युनूस ने हमें घर दिया। चुनाव हारते हैं तो सब दोस्त चले जाते हैं। हमारे घर कोई नहीं दिखता था।
आज शेखावतजी का जन्मदिन है, उनका आदर इसलिए होना चाहिए कि वे हिंदुस्तान के नेता थे न कि इसलिए कि वे बड़े राजपूत नेता थे :
मुझे बताया गया कि आज भैरोंसिंह शेखावतजी की जयंती है। शेखावतजी बड़े राजपूत नेता थे। उनका आदर करना चाहिए, अच्छे नेता थे। उनका आदर इसलिए करना चाहिए कि वे हिंदुस्तान के नेता थे इसलिए नहीं कि राजपूत नेता थे। यह देश आगे बढ़े तो एक साथ बढ़े, लड़ाई करें तो एक साथ करेंगे, जीएंगे तो एक साथ मरेंगे तो एक साथ। जब सब एक साथ खड़े हों तो कोई इस देश को नहीं छू सकता।
आपसे विकास के बारे में बोलना चाहता हूं। पेंशन योजना शुरू की। मुफ्त दवा का वादा पूरा किया, हमारी सरकार फिर से केंद्र में बनी तो यह योजना पूरे भारत में लागू होगी। हमने एक ऐतिहासिक कानून दिया है, इस देश में कोई भूखा नहीं रहेगा।

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