जीवन न आये ऐसा पल जो उठे उंगली: न्यायमूर्ति अरोड़ा
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रिज़्ावान मुस्तफा
बाराबंकी। देवा-महादेवा के साथ में सांई बाबा की आबोहवा वाली इस धरती पर आकर आत्मिक शान्ति मिलती है। यह आत्मिक शान्ति हमें कामयाब बनाने में मदद करती है। यह बात नवनिर्मित कार्यालयों के उद्घाटन के लिए आये प्रशासनिक न्यायमूर्ति उच्च न्यायालय इलाहाबाद लखनऊ खण्ड पीठ देवेन्द्र कुमार अरोड़ा ने न्याय कर्मियों व अधिकारियों तथा अधिवक्ताओं को सम्बोधित करते हुए कही।
मंच पर बैठे जिला जज रमेश कुमार त्रिपाठी, अपर जिला जज सुभाष शर्मा व अपर जिला जज सरवद महमूद की मौजूदगी में जस्टिस अरोड़ा ने आगे कहा कि उच्च न्यायालय की अवस्थापना कमेटी का पूरे प्रदेश में सिर्फ एक मकसद है न्यायालय परिसर अच्छा बनायेंगे, अच्छा फर्नीचर देंगे। न्यायिक अधिकारियों के घर अच्छा साज-सज्जा युक्त करेंगे। घर अगर अच्छा नहीं होगा तो काम में अड़चन आयेगी और काम करने का वातावरण नहीं बन पायेगा। अपने घर में ही शान्ति नहीं मिली तो फैसले कैसे करेंगे। उन्होंने समस्त न्यायिक अधिकारियों से अनुरोध करते हुए कहा कि जीवन में ऐसा कोई पल न आये कि आप के ऊपर कोई उंगली उठा सके। भगवान रामचन्द्र जी को जब नहीं बख्शा गया तो हम लोग तो मानव हैं। अपनी अन्तर आत्मा की आवाज पर ही न्याय करना चाहिए। उन्होंने अधिवक्ताओं से कहा कि अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए। आपका कार्य है कोर्ट को बताना और जिसके अंदर काबलियत होती है वही कोर्ट में अच्छी बहस कर सकता है और इस काबलियत को आपको डेवलप करना पड़ेगा तभी फैसले सही होंगे। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं को अनुशासन में रहना चाहिए। जिला जज रमेश कुमार त्रिपाठी की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने महिला प्रतिज्ञालय कोर्ट परिसर में बनाकर बहुत ही अच्छा काम किया है। इसकी जितनी भी तारीफ की जाये कम है।
जिला रमेश कुमार त्रिपाठी ने इस मौके पर बताया कि उनका सपना एक सुन्दर न्यायालय परिसर कायम करने का है। जिसमें कर्मचारियों का आवास व सड़के तथा वकीलों का वातानुकूलित हाल शामिल है।
जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जगत बहादुर सिंह ने कहा बार और बेंच दोनो न्याय पालिका के पहिये हैं निचली अदालतों में कमी है इसको सुधारने की जरूरत है क्योंकि लोगों की इससे उम्मीदे जुड़ी हैं। उन्होंने प्रशासनिक जज से कहा कि अच्छे और ईमानदार लोगो की हौसला अफजाई करके उनका सम्मान करना चाहिए। वहीं बेईमान लोगों के बुरे कामो के लिए अपमान मिलना चाहिए। चैम्बरो की तादात बढ़ाने की उन्होंने मांग की।
बार के महामंत्री हरीश अग्निहोत्री ने इस मौके पर बोलते हुए जिला जज को साधू पुरूष बताया और उनके संरक्षण की प्रशंसा की। इससे पूर्व प्रशासनिक न्यायमूर्ति को माला पहनाकर सभी न्यायिक अधिकारियों व बार के वकीलों ने स्वागत किया तथा लता श्रीवास्तव ने स्वागत गीत गाया। सभा का संचालन अपर जुडीशियल मजिस्ट्रेट हुमायू रशीद खान ने किया। इस मौके पर बार के उपाध्यक्ष एसडी शर्मा के अलावा सभी न्यायिक अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे। सभा के अन्त में सभी ने सदर मुंसरिम अशोक श्रीवास्तव व सेन्ट्रल नाजिर मो0 उमर अंसारी तथा अजीत श्रीवास्तव की व्यवस्था की सराहना की। इसी दौरान प्रशासनिक न्यायमूर्ति ने करीब एक दर्जन बालिकाओं को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अबुल कलाम की पुस्तिका ‘‘विंग्स ऑफ फायर’’ भेंट में दी तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को वर्दी भी उपहार स्वरूप दी।
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वकील बदलने के लिए लेनी होगी एनओसी: न्यायमूर्ति
सीधी बातचीत में सरकार असहयोग पर छलका दर्द
बाराबंकी। दीवानी न्यायालय परिसर में प्रशासनिक न्यायमूर्ति उच्च न्यायालय इलाहाबाद लखनऊ खण्ड पीठ देवेन्द्र कुमार अरोड़ा ने आज एक छोटी सी मुलाकात में न्यायालयों पर सरकार की तरफ से अनदेखी का दर्द छलका, वहीं वकीलों को अनुशासन और पारदर्शी रहने की सीख भी दी।
जस्टिस अरोड़ा ने कहा मुवक्किल अब वकील को बदलने के लिए पहले उसे एनओसी लेनी होगी तब कोर्ट उसको परमिट करेगी तब नया वकालतनामा पास होगा। यह एडवोकेट रूल के नियम 39 के तहत है। इस पर मैंने आदेश भी दिये हैं यह नियम नया नहीं। उन्होंने जिला जज से कहा कि इसको अदालतों में रायज होना चाहिए। वही न्याय पालिका में धन की कमी से विकास कार्यों में हो रही रूकावट पर कहा कि सरकार अदालतों के विकास के लिए खुद कोई फंड नहीं दे रही है यह सब सुप्रीम कोर्ट ऑफ इण्डिया के निर्देश पर काम चल रहा है। विधायक, सांसद, विधान परिषद सदस्य की निधि से न्यायालयों में कक्ष निर्माण हो सकता है कि नहीं पर जस्टिस अरोड़ा का जवाब था मना नहीं है लेकिन न्यायालय के वकार को देखते हुए नजरअंदाज किया जाता है। साफ-सुथरी छवि वाले जनप्रतिनिधियों के सहयोग को स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है। जिनके मुकदमे चाहे सिविल में हो या क्रिमिनल में उनसे इस तरह का सहयोग नहीं लेना चाहिए कल मालूम हुआ जिस कमरे में सजा हुई या मुकदमा हारे वह उन्हीं महाशय की निधि से बना था।
वक्फ कर्बला बड़ेल के पीछे जजेस आवास में आ रही रूकावट को दूर करने और उसकी पैरवी का मुद्दा भी सामने आया। जिस पर जस्टिस अरोड़ा का कहना था मामला अदालत में है पैरवी की जायेगी तो इन्साफ जल्द मिलेगा। इस पर जब उनको बताया गया कि भूमाफियाओं ने बंजर जमीन को हथियाने के लिए ग्राम समाज बड़ेल के नक्शे में हेरा-फेरी कर 64 की जगह 451 बनाकर अपने नाम करा लिया था उस वक्त मौजूदा डीएम ने जांच की की तो घोटाला सामने आया। इन भूमाफियाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश भी दिये गये व 64 नम्बर दुरूस्त कराकर जजेस आवास के नाम आवंटित कर दी गयी। जब जजेस आवास की बाउन्ड्री का निर्माण होने लगा तो उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश आ गया। ऐसे मामले में इतनी जल्दी स्थगन आदेश अजीब से लगता है के सवाल पर जस्टिस अरोड़ा का जवाब था कि ऐसा नहीं है भूमाफिया जमीनों की हेरा-फेरी करने के लिए रजिस्ट्री वगैराह सबकुछ फर्जी तरीके से करा लेते हैं। पूरे मामले की पैरवी होगी अदालत से इन्साफ जल्द मिलेगा।
बाराबंकी। देवा-महादेवा के साथ में सांई बाबा की आबोहवा वाली इस धरती पर आकर आत्मिक शान्ति मिलती है। यह आत्मिक शान्ति हमें कामयाब बनाने में मदद करती है। यह बात नवनिर्मित कार्यालयों के उद्घाटन के लिए आये प्रशासनिक न्यायमूर्ति उच्च न्यायालय इलाहाबाद लखनऊ खण्ड पीठ देवेन्द्र कुमार अरोड़ा ने न्याय कर्मियों व अधिकारियों तथा अधिवक्ताओं को सम्बोधित करते हुए कही।
मंच पर बैठे जिला जज रमेश कुमार त्रिपाठी, अपर जिला जज सुभाष शर्मा व अपर जिला जज सरवद महमूद की मौजूदगी में जस्टिस अरोड़ा ने आगे कहा कि उच्च न्यायालय की अवस्थापना कमेटी का पूरे प्रदेश में सिर्फ एक मकसद है न्यायालय परिसर अच्छा बनायेंगे, अच्छा फर्नीचर देंगे। न्यायिक अधिकारियों के घर अच्छा साज-सज्जा युक्त करेंगे। घर अगर अच्छा नहीं होगा तो काम में अड़चन आयेगी और काम करने का वातावरण नहीं बन पायेगा। अपने घर में ही शान्ति नहीं मिली तो फैसले कैसे करेंगे। उन्होंने समस्त न्यायिक अधिकारियों से अनुरोध करते हुए कहा कि जीवन में ऐसा कोई पल न आये कि आप के ऊपर कोई उंगली उठा सके। भगवान रामचन्द्र जी को जब नहीं बख्शा गया तो हम लोग तो मानव हैं। अपनी अन्तर आत्मा की आवाज पर ही न्याय करना चाहिए। उन्होंने अधिवक्ताओं से कहा कि अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए। आपका कार्य है कोर्ट को बताना और जिसके अंदर काबलियत होती है वही कोर्ट में अच्छी बहस कर सकता है और इस काबलियत को आपको डेवलप करना पड़ेगा तभी फैसले सही होंगे। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं को अनुशासन में रहना चाहिए। जिला जज रमेश कुमार त्रिपाठी की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने महिला प्रतिज्ञालय कोर्ट परिसर में बनाकर बहुत ही अच्छा काम किया है। इसकी जितनी भी तारीफ की जाये कम है।
जिला रमेश कुमार त्रिपाठी ने इस मौके पर बताया कि उनका सपना एक सुन्दर न्यायालय परिसर कायम करने का है। जिसमें कर्मचारियों का आवास व सड़के तथा वकीलों का वातानुकूलित हाल शामिल है।
जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जगत बहादुर सिंह ने कहा बार और बेंच दोनो न्याय पालिका के पहिये हैं निचली अदालतों में कमी है इसको सुधारने की जरूरत है क्योंकि लोगों की इससे उम्मीदे जुड़ी हैं। उन्होंने प्रशासनिक जज से कहा कि अच्छे और ईमानदार लोगो की हौसला अफजाई करके उनका सम्मान करना चाहिए। वहीं बेईमान लोगों के बुरे कामो के लिए अपमान मिलना चाहिए। चैम्बरो की तादात बढ़ाने की उन्होंने मांग की।
बार के महामंत्री हरीश अग्निहोत्री ने इस मौके पर बोलते हुए जिला जज को साधू पुरूष बताया और उनके संरक्षण की प्रशंसा की। इससे पूर्व प्रशासनिक न्यायमूर्ति को माला पहनाकर सभी न्यायिक अधिकारियों व बार के वकीलों ने स्वागत किया तथा लता श्रीवास्तव ने स्वागत गीत गाया। सभा का संचालन अपर जुडीशियल मजिस्ट्रेट हुमायू रशीद खान ने किया। इस मौके पर बार के उपाध्यक्ष एसडी शर्मा के अलावा सभी न्यायिक अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे। सभा के अन्त में सभी ने सदर मुंसरिम अशोक श्रीवास्तव व सेन्ट्रल नाजिर मो0 उमर अंसारी तथा अजीत श्रीवास्तव की व्यवस्था की सराहना की। इसी दौरान प्रशासनिक न्यायमूर्ति ने करीब एक दर्जन बालिकाओं को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अबुल कलाम की पुस्तिका ‘‘विंग्स ऑफ फायर’’ भेंट में दी तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को वर्दी भी उपहार स्वरूप दी।
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वकील बदलने के लिए लेनी होगी एनओसी: न्यायमूर्ति
सीधी बातचीत में सरकार असहयोग पर छलका दर्द
बाराबंकी। दीवानी न्यायालय परिसर में प्रशासनिक न्यायमूर्ति उच्च न्यायालय इलाहाबाद लखनऊ खण्ड पीठ देवेन्द्र कुमार अरोड़ा ने आज एक छोटी सी मुलाकात में न्यायालयों पर सरकार की तरफ से अनदेखी का दर्द छलका, वहीं वकीलों को अनुशासन और पारदर्शी रहने की सीख भी दी।
जस्टिस अरोड़ा ने कहा मुवक्किल अब वकील को बदलने के लिए पहले उसे एनओसी लेनी होगी तब कोर्ट उसको परमिट करेगी तब नया वकालतनामा पास होगा। यह एडवोकेट रूल के नियम 39 के तहत है। इस पर मैंने आदेश भी दिये हैं यह नियम नया नहीं। उन्होंने जिला जज से कहा कि इसको अदालतों में रायज होना चाहिए। वही न्याय पालिका में धन की कमी से विकास कार्यों में हो रही रूकावट पर कहा कि सरकार अदालतों के विकास के लिए खुद कोई फंड नहीं दे रही है यह सब सुप्रीम कोर्ट ऑफ इण्डिया के निर्देश पर काम चल रहा है। विधायक, सांसद, विधान परिषद सदस्य की निधि से न्यायालयों में कक्ष निर्माण हो सकता है कि नहीं पर जस्टिस अरोड़ा का जवाब था मना नहीं है लेकिन न्यायालय के वकार को देखते हुए नजरअंदाज किया जाता है। साफ-सुथरी छवि वाले जनप्रतिनिधियों के सहयोग को स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है। जिनके मुकदमे चाहे सिविल में हो या क्रिमिनल में उनसे इस तरह का सहयोग नहीं लेना चाहिए कल मालूम हुआ जिस कमरे में सजा हुई या मुकदमा हारे वह उन्हीं महाशय की निधि से बना था।
वक्फ कर्बला बड़ेल के पीछे जजेस आवास में आ रही रूकावट को दूर करने और उसकी पैरवी का मुद्दा भी सामने आया। जिस पर जस्टिस अरोड़ा का कहना था मामला अदालत में है पैरवी की जायेगी तो इन्साफ जल्द मिलेगा। इस पर जब उनको बताया गया कि भूमाफियाओं ने बंजर जमीन को हथियाने के लिए ग्राम समाज बड़ेल के नक्शे में हेरा-फेरी कर 64 की जगह 451 बनाकर अपने नाम करा लिया था उस वक्त मौजूदा डीएम ने जांच की की तो घोटाला सामने आया। इन भूमाफियाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश भी दिये गये व 64 नम्बर दुरूस्त कराकर जजेस आवास के नाम आवंटित कर दी गयी। जब जजेस आवास की बाउन्ड्री का निर्माण होने लगा तो उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश आ गया। ऐसे मामले में इतनी जल्दी स्थगन आदेश अजीब से लगता है के सवाल पर जस्टिस अरोड़ा का जवाब था कि ऐसा नहीं है भूमाफिया जमीनों की हेरा-फेरी करने के लिए रजिस्ट्री वगैराह सबकुछ फर्जी तरीके से करा लेते हैं। पूरे मामले की पैरवी होगी अदालत से इन्साफ जल्द मिलेगा।