हिंदुस्तान के मान्थें पर भारतमाता के लाल निहत्थे मुसलमानों के खून का लगा दाग
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इस नफरतो की हवा का कौन है ज़िम्मेदार,क्यों खामोश है सरकार
रिजवान मुस्तफा
कश्मीर घाटी में पिछले तीन महीनों से जारी हिंसा में सोमवार का दिन सबसे हिंसक साबित हुआ.यह आतंकवादियो द्वारा हमला नहीं था बल्कि सुरक्षाबलों के ज़ुल्म के विरोध में निहत्थे लोगो का पर्दर्शन था,आज हुए इस प्रदर्शनों में 18 लोगों की जानें गई हैं.अब तक हिंदुस्तान के मांथे पर मौजूद इस राज्य में जो कभी दुनिया का स्वर्ग कहा जाता था और फक्रे हिंदुस्तान था इस महीने लगभग १०० से जायदा भारत माता के लाल ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाने में सुरक्षाबलों के हाथो मारे जा चुके है हर तरफ नफरत की आग फैल रही है इसको रोकने के लिए नेता सिर्फ मामले का हल निकलने के नाम पर अपनी राजनीती की रोटिया सेंक रहे है, जिसका नतीजा है निहत्ता लोगो का कत्ले आम किया जा रहा जो आतंकवादियो को ताक़त दे रहा है उधर दिल्ली में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडीय समिति की अहम बैठक का नाटक चला जिसमे भी कोई नतीजा न निकला,
जैसे जैसे कश्मीर के हालात बिगड़ रहे हैं, केंद्र और राज्य सरकार के लिए विकल्प भी सिमटते जा रहे हैं. राज्य से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को हटाने और वहां राजनीतिक पहल शुरू करना बेहद जरूरी हो गया है. लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज भी यही कहा कि वह भारतीय संविधान के दायरे में बातचीत को तैयार हैं लेकिन हिंसा तो खत्म करो.
पिछले तीन महीनों से चल रहे विरोध प्रदर्शनों में आज का दिन कश्मीर घाटी में सबसे हिंसक रहा. बड़गाव जिले में एक पुलिकर्मी और पांच आम लोगों प्रदर्शनों के दौरान मारे गए. वहीं तंगमर्ग में पांच लोग उस वक्त सुरक्षा बलों की गोलियां का निशाना बने, जब प्रदर्शनकारियों ने एक ईसाई स्कूल को आग लगाने की कोशिश की. वे अमेरिका में कुरान के अपमान से नाराज थे. उत्तरी बांदीपुरा जिले में भी एक व्यक्ति की मौत हुई है. कर्फ्यू के बावजूद हजारों लोग सड़कों पर उतरे.हिंसा तो खत्म हो
राज्य के मुख्य सचिव एसएस कपूर ने लोगों से अपील करते हुए कहा, ''कानून को अपने हाथ में मत लीजिए. आप लोगों से हमारी हमदर्दी है. हम आपकी भावनाओं की कद्र करते हैं. भावनाओं को ठेस पहुंची है, मैं यह समझता हूं. धार्मिक भावनाएं बहुत संवेदनशील होती हैं. मैं आप सबसे अपील करता हूं कि कानून व्यवस्था बनाए रखने में मदद करें.''
राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला दिल्ली में हैं और चाहते हैं कि कुछ इलाकों से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को हटाया जाए. विपक्षी बीजेपी तो इसका विरोध कर रही है, साथ ही भारत सेना और रक्षा मंत्री एके एंटनी भी इसके हक में नहीं हैं. इसीलिए सरकार फूंक फूंक कर कदम बढ़ा रही है. आज सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी इस पर विचार करेगी. कश्मीर मामलों पर नजर रखने वाले बशीर मंजर कहते हैं, ''स्थिति तभी नियंत्रण में आ सकती है जब मौतों का सिलसिला रुके. लेकिन हर रोज मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है और लोगों में गुस्सा भी बढ़ रहा है. जितने ज्यादा लोग मरेंगे, आंदोलन उतना ही उग्र होगा.''
तीन महीने से घाटी में भारत विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षा बलों की गोलीबारी में अब तक कम से कम १०० से जायदा लोग मारे जा चुके हैं. लगातार जारी अशांति से यह आशंका भी जोर पकड़ रही है कि कहीं स्थिति हाथ से न निकल जाए.
अमरीका के प्रति नाराज़गी
इस बीच घाटी में कई जगह अमरीका विरोधी प्रदर्शन भी हुए हैं. नाराज़ लोगों ने राष्ट्रपति बराक ओबामा के पुतले भी जलाए हैं.
एक टेलीविज़न ख़बर प्रसारित की गई थी कि अमरीका के एक प्रांत में एक स्थान पर 11 सितंबर को मुसलमानों के पवित्र ग्रंथ क़ुरान के कुछ पन्ने फाड़े गए हैं.
इसके बाद से ये प्रदर्शन हो रहे हैं.
रविवार की रात को जुलूस निकाले गए थे जो सोमवार को दिन में भी जारी हैं.
अधिकारियों का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने श्रीनगर से 40 किलोमीटर दूर तंगमर्ग में एक ईसाई स्कूल में आग लगा दी है.
इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने कई जगह हिंसक प्रदर्शन किए हैं.
श्रीनगर के पास हुमहामा के प्रदर्शन को छोड़कर शेष प्रदर्शनों में क़ुरान के अपमान का विरोध करने वाले और भारत सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले एक साथ ही सड़कों पर उतरे थे.