जापानी बुखार और अबोध बच्चे
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बेजान मूर्तियों
छोटे जानदार बच्चे विकलांग हो रहे है उत्तर प्रदेश में
उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से के गोरखपुर, देवरिया एवं बस्ती मंडल में हर बरसात के बाद बाढ़ आती है और अपने साथ लाती है एक भयंकर बीमारी जिसे “मष्तिष्क ज्वर” यानि जापानी बुखार कहते है.
शासन चाहे समाजवादी हो अथवा बहुजनवादी हो, सभी शासको को साल के निश्चित महीने में होने वाली बाढ़ और बाढ़ के बाद होने वाली इस बीमारी का पूर्व ज्ञान होता है. फिर भी इस बीमारी के विरुद्ध पोलियो की भांति कोई युद्ध स्तरीय ना तो तैयारी की जाती है और ना ही इसके रोकथाम की सुचारू व्यवस्था. परिणाम स्वरुप बच्चे विकलांग हो जाते है अथवा म्रत्यु का वरण करते है.
सन २००५ में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री श्री रामदास के साथ जा कर गोरखपुर में टीका लगवाने का उपक्रम मैने ही करवाया था और आज भी गरीब बच्चों के सहायतार्थ लोकमंच की तरफ से २ लाख रूपए की राशि मैने ही प्रदत्त की है. जापानी भुखार ऐसी व्याधि कि निश्चितता का ज्ञान होते हुए भी हम इस विभीषिका को झेलने की तैय्यारी क्यों नहीं करते?
यदि मायावती जी मुझे समय दे तो मै निश्चित रूप से इसमें योजनाबद्ध तरीके से उनका सहयोग करने को तैय्यार हूँ. क्योंकि सुरक्षा, सफाई, बीमारी, कानून और शिक्षा ऐसे विषय है जिनका न तो कोई मजहब है और ना ही सियासत. अच्छी सियासत तो यही है कि इन विषयों पर सभी सियासतदा आपसी मतभेद भूल कर सियासत करना ही छोड़ दे.
हमारी लोकशाही में अभी कुछ दशको पूर्व तक यह परम्परा थी कि इंदिरा जी, चौधरी चरण सिंह जी की बात, पंडित कमलापति त्रिपाठी तत्कालीन जनसंघी नेता श्री यादवेन्द्र दत्त दुबे जी की बात और वीरबहादुर सिंह जी श्री मुलायम सिंह यादव की बात मान लेते थे. अब तो जनहित का स्थान स्वहित ले चुका है.
चापलूसों पर से भी भरोसा उठ चला है और आज के शासक अब अपने विचारों और चारणों पर भी निर्भर ना रह के स्वयं अपने ही जीवनकाल और शासनकाल में स्वयम्भू बन कर अपनी ही प्रस्तर की मूर्तियों को प्राणप्रतिष्टित कर देते है. बेजान मूर्तियों के बजाय छोटे जानदार विकलांग हो रहे पूर्वी उत्तर प्रदेश के छोटे नन्हे मुन्नों के जापानी बुखार के इलाज का प्रबंध जाने कब होगा? सरकार को यह बीमारी शायद बड़ी बात नहीं लगती,
“यूं देखिये तो कोई बड़ी बात भी नहीं, पर सोचिये तो वाकया कितना अजीब है”
बीमारी का पता हो, साधन हो, सरकार हो तो यह बिल्कुल बड़ी बात नहीं कि इलाज ना हो पर नहीं हो पा रहा इलाज, सच! यह वाकया कितना अजीब है
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Unknown