कोर्ट में पेशी के दौरान आतंकी टुंडा को मारा ‘थप्पड़’


नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी के दौरान कुख्यात आतंकी अब्दुल करीम टुंडा पर हमला हुआ है। आज रिमांड खत्म होने के बाद टुंडा को कोर्ट में पेश किया गया है। टुंडा पर ये हमला कोर्ट परिसर के बाहर हुआ है।
दरअसल कोर्ट परिसर के बाहर पहले ही घात लगाए बैठे दो लोगों ने टुंडा को देखते ही उसपर झपट पड़ा। टुंडा को केवल एक थप्पड़ ही लगा, जिसके बाद पुलिस ने दोनों हमलावरों को दबोच लिया। पुलिस हमलावरों को थाने ले जाकर पूछताछ कर रही है। पुलिस के मुताबिक दोनों हमलावर खुद को हिन्दू सेना का सदस्य बता रहा है। जिसमें एक का नाम विष्णु गुप्ता है। हमले के बाद टुंडा को कोर्ट में पेश कर दिया गया है और कोर्ट की कार्यवाही चल रही है।
गौरतलब है कि भारत के सर्वाधिक मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादियों में से एक  अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया है।
 कौन है ये अब्दुल करीम उर्फ टुंडा
 1. अब्दुल करीम उर्फ टुंडा उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के पिलखुवा का रहने वाला है. अब्दुल करीम टुंडा बम तथा उन्नत विस्फोटक तैयार करने में माहिर माना जाता है. इसके लिए उसने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से 80 के दशक में ट्रेनिंग ली थी. इसके बाद वह लश्कर-ए-तैयबा संपर्क में आया. टुंडा माफिया डॉन दाउद इब्राहिम का सहयोगी भी है. बताया जाता है कि उसका परिवार पाकिस्तान में है.
2. आतंकवादी टुंडा ने 6 दिसंबर 1993 को इंटरसिटी ट्रेनों में भी विस्फोट किए जिसमें दो लोग मारे गए थे. इसी समय उसका नाम सामने आया. टुंडा आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का कुशल विस्फोटक विशेषज्ञ है. वर्ष 1996 में उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था.
3. वर्ष 2001 में संसद भवन पर हुए हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से जिन 20 आतंकवादियों के प्रत्यर्पण की मांग की थी, टुंडा उनमें से एक था. 20 आतंकवादियों की सूची में लश्कर प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद और जैश ए मोहम्मद के अगुआ मौलाना अजहर मसूद अल्वी के नाम भी है.
4. सीबीआई ने करीम पर जम्मू कश्मीर के बाहर लश्कर-ए-तैयबा के बड़े हमले करने का आरोप लगाया था. इनमें मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली, रोहतक और जालंधर में हुए 43 विस्फोट शामिल हैं जिनमें 20 से अधिक लोगों की मौत हुई और 400 से ज्यादा घायल हो गए.
5. टुंडा पर 1996 में पुलिस हेड क्‍वार्टर के सामने बम धमाका करने का आरोप है, इसके अलावा वह लाजपत नगर धमाके में भी आरोपी है.
6. सन 2000 में ऐसी खबरें आईं कि टुंडा बांग्लादेश में मारा गया है, लेकिन 2005 में जब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने लश्कर−ए−तैयबा के आतंकी अब्दुल रज्जाक मसूद को पकड़ा, तब टुंडा के जिंदा होने का खुलासा हुआ. टुंडा 1994 में बांग्लादेश भाग गया था. उसी वक्त वह जकी−उर−रहमान लखवी के संपर्क में आया.
7. मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाले इस आतंकवादी का नाम ‘टुंडा’ तब पड़ा जब बम बनाते वक्त धमाके में उसने अपना एक हाथ खो दिया. 70 साल के टुंडा पर 33 क्रिमिनल केस और 40 धमाकों के आरोप हैं.

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