प्रतिबंधित/नामंजूर दवाएं
https://tehalkatodayindia.blogspot.com/2013/08/blog-post_4905.html
कोई
दवा एक देश
में
प्रतिबंधित
हो सकती है
लेकिन दूसरे
देशों के
बाजार में
बेची जा सकती
है, क्योंकि
हर देश की
सरकारें दवा
के इस्तेमाल,
खुराक, उससे
जुड़े जोखिम,
अनुपात के बारे
में अलग-अलग
निर्णय लेती
है। राज्य
औषधि
नियंत्रण
विभाग अपने
क्षेत्राधिकार
के अंतर्गत
प्रतिबंधित
दवाओं की
बिक्री पर नियंत्रण
रखने के लिए
छापे डालते
हैं। 2011 में दिल्ली
और मुंबई के
पास केन्द्रीय
औषधि मानक
नियंत्रण
संगठन ने छापे
डाले।
जैटिफलॉक्स
सेसिन,
टिगासरोड,
रोजीगिलिटाजोन
की वापसी के
लिए यह छापे
डाले गए थे, क्योंकि
ये दवाएं
प्रतिबंधित
की गई थीं। यह
पाया गया कि 29
दुकानों में
भारत के गजट
में अधिसूचना
जारी होने के
बाद
प्रतिबंधित
दवाएं बेची जा
रही थीं। इन
मामलों में
औषधि तथा
प्रसाधन
कानून-1940 के प्रावधानों
के तहत
कार्रवाई की
गई।
औषधि
महानियंत्रक
की मंजूरी के
बिना राज्य
के
लाइसेंसिंग
प्राधिकरणों
ने नई दवाएं
समझकर तय
खुराक वाले
मिश्रणों के 23
मामलों को मंजूरी
दी। राज्य की
लाइसेंसिंग
प्राधिकरणों
से कहा गया कि
वे इन मामलों
में औषधि तथा
प्रसाधन कानून-1940
के तहत
कार्रवाई
करें।
नई
दवाओं की
मंजूरी केन्द्रीय
औषधि मानक
नियंत्रण
संगठन देता
है। यह मंजूरी
नान- क्लिनिकल
डाटा, सुरक्षा
संबंधी
क्लिनिकल डाटा,
तथा दूसरे
देशों में
उनकी नियामक
स्थिति को
देखकर दी जाती
है, लेकिन ऐसे
मामले में
क्लिनिकल
जांच की जरूरत
नहीं होती,
जिनमें दवाएं
अन्य देशों
में उपलब्ध
डाटा के आधार
पर मंगाने की
मंजूरी
सार्वजनिक
हित में
लाइसेंसिंग
प्राधिकरण
देता है।
सीडीएससीओ
ने बिना
क्लिनिकल
जांच के निम्न
संख्या में
दवाओं की
मंजूरी दी-
वर्ष
|
बिना
क्लिनिकल
जांच के मंजर दवाओं
की संख्या
|
2010
|
13
|
2011
|
3
|
2012
|
8
|
2013(जुलाई तक)
|
2
|
यह
जानकारी आज
लोकसभा में स्वास्थ्य
और परिवार कल्याण
मंत्री श्री
गुलाम नबी
आजाद ने एक
प्रश्न के
लिखित उत्तर
में दी।