मानवता के हथियार से जरूरतमंदों के दुख हर लीजिए
https://tehalkatodayindia.blogspot.com/2013/08/blog-post_19.html
मानवता एक
ऐसा शब्द है जिसकी परिभाषा बहुत ही बड़ी है. आज विश्व का हर देश मानवता की
कमी की वजह से कराह रहा है. हम मानव होकर भी मानवता के भाव से परे हैं.
जैसे-जैसे मानव प्रगति की राह पर आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे वह मानवता की
भावना से दूर होता जा रहा है. आज लोग दूसरों की मदद तो दूर अपनों की ही मदद
करने में झिझक महसूस करते हैं. एक देश मानवता को भुला अपने ही देश की जनता
पर बम गिराने में लगा है तो दूसरा अपने देश में भागकर आए शरणार्थियों को
मार-मार कर भगा रहा है. अफ्रीका में करोड़ों लोग भूख की वजह से दम तोड़ रहे
हैं वहीं कांगो जैसे गणराज्यों में हैवानियत का नंगा नाच नाचा जा रहा है.
विश्व के कई हिस्सों में मानवता का निरंतर क्षय हो रहा है और इन हिस्सों
में मदद के नाम पर जमीनी तौर पर कुछ भी नहीं किया जा रहा है.
विश्व
मानवता दिवस लोगों में मानवता की भावना जगाने के लिए ही शुरू किया गया है.
दिसम्बर 2008 में संयुक्त राष्ट्र ने 19 अगस्त को विश्व मानवता दिवस के रूप
में मनाने का निर्णय लिया था. दरअसल 19 अगस्त, 2003 को ही बगदाद में
संयुक्त राष्ट्र के हेडक्वार्टर पर आतंकवादी हमले में 22 लोग मारे गए थे
जिनमें एक समाज सेवक सरगिओ विएरा डी मेलो (Sergio Vieira de Mello) भी
शामिल थे. विश्व मानवता दिवस उन सभी लोगों को एक श्रद्धाजंलि थी जिन्होंने
अपना जीवन मानवता की राह पर चलते हुए विश्व को समर्पित कर दिया. भारत में
भी मानवता के कई ऐसे प्रतीक हैं जिन पर हमें गर्व है जैसे महात्मा गांधी,
मदर टेरसा आदि. लेकिन आज भारत में भी मानवता का कत्ल होता दिख रहा है.
विश्व
मानवता दिवस के मौके पर आप असहाय लोगों की मदद कर सकते हैं. एशिया और
अफ्रीका के कई हिस्सों में इस समय करोड़ो लोग भूखमरी और गंभीर अकाल की वजह
से पीड़ित हैं. इनमें से सबसे बुरी हालत महिलाओं और बच्चों की है. हालत
इतने गंभीर हैं कि संयुक्त राष्ट्र भी सभी पीडितों की मदद करने में खुद को
असहाय पा रहा है. जिन लोगों को सहायता मिल रही है वह तो ठीक हैं बाकियों ने
अपनी जिंदगी भगवान के सहारे छोड़ दी है.
अफ्रीका
ही नहीं विश्व के कई अन्य हिस्सों में समाज को मानवता की जरूरत है. आज जहां
भी प्राकृतिक आपदाएं या कोई अन्य घटना होती है तो सरकारी मदद से पहले लोग
आसपास की जनता से मानवता के नाते मदद की आस रखते हैं. मानवता ही एकमात्र
ऐसा हथियार है जिससे हम पूरी मानव जाति की सहायता कर सकते हैं.