अखिलेश सरकार में 'अ' का जलवा
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लखनऊ, यह भी एक अद्भुत संयोग है कि सूबे के नये मुखिया अखिलेश का नाम 'अ' से है तो इस निजाम में जिन लोगों की अहमियत बढ़ी है, उनमें से कई के नाम का शुरुआती अक्षर 'अ' ही है। अखिलेश के 19 कैबिनेट मंत्रियों में पांच ऐसे हैं जिनके नाम के शुरुआती अक्षर 'अ' से है।
वरिष्ठ मंत्री आजम खां को ही लें। संसदीय कार्य, नगर विकास, नगरीय रोजगार मुस्लिम वक्फ विभागों की जिम्मेदारी के साथ वे मुख्यमंत्री के बाद दूसरे स्थान पर हैं।
अहमद हसन का कद भी भारी है। इन्हें चिकित्सा, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, मातृ एवं शिशु कल्याण आदि विभाग देकर पूर्ववर्ती मुलायम सरकार की तुलना में इस बार ज्यादा महत्व दिया गया है।
तीसरे हैं आनन्द सिंह, इन्हें कृषि और उससे जुड़े विभागों का जिम्मा सौंपा गया है। उनकी जिम्मेदारी उन किसानों का ख्याल रखने की है, जिन्हें सपा के महत्वपूर्ण वोट बैंक के रूप में देखा जाता है।
चौथे मंत्री अम्बिका चौधरी हैं, उनकी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह एकमात्र ऐसे मंत्री हैं जिन्हें चुनाव हारने के बावजूद मंत्रिपद से नवाजा गया।
पांचवें हैं समाज कल्याण मंत्री अवधेश प्रसाद, राज्यमंत्रियों में जिन चार को पदोन्नति देकर स्वतंत्र प्रभार का मंत्री बनाया गया है उनमें दो का नाम भी 'अ' से ही शुरू होता है। ये हैं ग्राम्य विकास मंत्री अरविन्द सिंह गोप और महिला कल्याण और संस्कृति मंत्री अरुणा कुमारी कोरी।
मुख्यमंत्री सचिवालय भी इसका अपवाद नहीं है। मुख्यमंत्री ने अपने जिन दो सचिवों की नियुक्ति की हैं उनके नाम हैं अनीता सिंह और आलोक कुमार। सर्वोच्च शासकीय मुखिया कहे जाने वाले मुख्य सचिव अनूप मिश्र हों या पुलिस फोर्स की बागडोर संभालने वाले सूबे के पुलिस महानिदेशक अंबरीश चन्द्र शर्मा, वे भी इस संयोग के साक्षी हुए। शासन में अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त का पद मुख्य सचिव के बाद अहमियत वाला माना जाता है। इस पद पर सरकार ने अनिल कुमार गुप्ता को तैनात किया है। यही नहीं राजधानी लखनऊ का जिलाधिकारी भी अनुराग यादव को बनाया गया है।
वरिष्ठ मंत्री आजम खां को ही लें। संसदीय कार्य, नगर विकास, नगरीय रोजगार मुस्लिम वक्फ विभागों की जिम्मेदारी के साथ वे मुख्यमंत्री के बाद दूसरे स्थान पर हैं।
अहमद हसन का कद भी भारी है। इन्हें चिकित्सा, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, मातृ एवं शिशु कल्याण आदि विभाग देकर पूर्ववर्ती मुलायम सरकार की तुलना में इस बार ज्यादा महत्व दिया गया है।
तीसरे हैं आनन्द सिंह, इन्हें कृषि और उससे जुड़े विभागों का जिम्मा सौंपा गया है। उनकी जिम्मेदारी उन किसानों का ख्याल रखने की है, जिन्हें सपा के महत्वपूर्ण वोट बैंक के रूप में देखा जाता है।
चौथे मंत्री अम्बिका चौधरी हैं, उनकी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह एकमात्र ऐसे मंत्री हैं जिन्हें चुनाव हारने के बावजूद मंत्रिपद से नवाजा गया।
पांचवें हैं समाज कल्याण मंत्री अवधेश प्रसाद, राज्यमंत्रियों में जिन चार को पदोन्नति देकर स्वतंत्र प्रभार का मंत्री बनाया गया है उनमें दो का नाम भी 'अ' से ही शुरू होता है। ये हैं ग्राम्य विकास मंत्री अरविन्द सिंह गोप और महिला कल्याण और संस्कृति मंत्री अरुणा कुमारी कोरी।
मुख्यमंत्री सचिवालय भी इसका अपवाद नहीं है। मुख्यमंत्री ने अपने जिन दो सचिवों की नियुक्ति की हैं उनके नाम हैं अनीता सिंह और आलोक कुमार। सर्वोच्च शासकीय मुखिया कहे जाने वाले मुख्य सचिव अनूप मिश्र हों या पुलिस फोर्स की बागडोर संभालने वाले सूबे के पुलिस महानिदेशक अंबरीश चन्द्र शर्मा, वे भी इस संयोग के साक्षी हुए। शासन में अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त का पद मुख्य सचिव के बाद अहमियत वाला माना जाता है। इस पद पर सरकार ने अनिल कुमार गुप्ता को तैनात किया है। यही नहीं राजधानी लखनऊ का जिलाधिकारी भी अनुराग यादव को बनाया गया है।
hiiiiiiiiiiiiii dadaa je i am aman srivastava from balrampur up 271201
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