मनमोहन सरकार को मिला माया, मुलायम का सहारा

नयी दिल्ली, 20 मार्च .राज्यसभा ने आज राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को मंजूरी दी।
सरकार को उस समय राहत मिली जब सपा एवं बसपा के समर्थन से एनसीटीसी सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के संशोधनों को खारिज कर दिया गया। संप्रग में शामिल तृणमूल कांग्रेस ने मतदान में अनुपस्थित रही।
माकपा एवं भाजपा सदस्यों के चार संशोधनों पर एक साथ मतदान कराया गया जिसे 82 के मुकाबले 105 मतों से नकार दिया गया।
प्रस्ताव पर सदन में हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एनसीटीसी का बचाव किया। आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में इसे अहम बताते हुए उन्होंने कहा कि कें्रद सरकार देश के संघीय ढांचे का सम्मान करती है और इसे बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने इस आरोप को खारिज कर दिया कि कें्रद संघीय ढांचे के साथ छेडछाड़ कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी जिससे संविधान के संघीय ढांचे का उल्लंघन होगा।
लेकिन विपक्षी सदस्य इस संबंध में आश्वासन दिए जाने की मांग कर रहे थे कि जब तक मुख्यमंत्रियों के साथ ‘‘ समझौता ’’ नहीं होता, सरकार एनसीटीसी की दिशा में आगे नहीं बढ़ेगी।
सपा एवं बसपा के सदस्यों ने संशोधनों के खिलाफ मतदान किया।
श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे से संबंधित संशोधनों पर भी मत विभाजन हुआ और उसे नौ के मुकाबले 84 मतों से नकार दिया गया। उस समय वाम और राजग के सदस्य वाकआउट कर सदन से बाहर चले गए थे।
इसके बाद सदन ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
इसके पहले प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के मुद्दे पर देश को एकजुट होने की जरूरत पर जोर देते कहा कि 16 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों की बैठक में एनसीटीसी मुद्दे पर सलाह मशविरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को विश्वास में ले कर ही कोई भी कदम
उठाया जाएगा। सिंह ने कहा कि सरकार आतंकवाद से निपटने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। एनसीटीसी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रधानमंत्री के जवाब से असंतुष्ट भाजपा, जद यू, माकपा, भाकपा के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।
भाजपा, माकपा, बीजद, जदयू आदि के सदस्य प्रधानमंत्री से एनसीटीसी के संबंध में ठोस आश्वासन की मांग रहे थे। सदन में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ले कहा कि कानून व्यवस्था राज्य का मामला है और एनसीटीसी को दिया गया अधिकार राज्यों के अधिकार में अतिक्रमण है। उन्होंने कहा कि इसे पहले भी टाडा या पोटा जैसे कानून थे जिसमें राज्यों के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं किया गया।
जेटली ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जंग और संघीय ढांचे के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए और दोनों एक साथ रह सकते हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री से आश्वासन दिए जाने की मांग की कि एजेंसी द्वारा जांच, तलाशी और गिरफ्तारी किए जाने के पहले राज्यों से सहमति ली जानी चाहिए।
माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री को यह आश्वासन देना चाहिए कि मुख्यमंत्रियों के बीच समझौता होने के बाद ही एनसीटीसी की दिशा में आगे बढ़ा जाएगा।
येचुरी का समर्थन करते हुए जद यू के शिवानंद तिवारी ने यह आश्वासन मांगा कि अगर 16 अपै्रल को होने वाली बैठक में आम सहमति नहीं बनती है तो एनसीटीसी स्थापित नहीं किया जाएगा।
इस पर संसदीय कार्यमंत्री पवन कुमार बंसल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आप बैठक का नतीजा थोप रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में श्रीलंका से संबंधित अमेरिकी संकल्प के बारे में कहा कि सरकार के पास संकल्प का अंतिम मसौदा नहीं है लेकिन वह प्रस्ताव का समर्थन करने का इच्छुक है।
प्रधानमंत्री के जवाब से असंतुष्ट अन्ना्रदमुक और भाकपा ने अपने संशोधनों पर मत विभाजन कराने पर जोर दिया लेकिन सदन ने उसे नौ के मुकाबले 84 मतों से नकार दिया।





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