अंतरिक्ष में होगा प्लांट, सूरज से लेंगे बिजली
https://tehalkatodayindia.blogspot.com/2012/01/blog-post_2797.html
चेन्नै ।। दिन की तरह सूरज अगर रात को भी रोशनी फैलाता तो कितना बेहतर होता। कम से कम पावर कट की प्रॉब्लम से तो निजात मिल जाती... यह कल्पना अब शायद हकीकत में बदल सके। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कुछ ऐसा ही अनूठा सुझाव पेश किया है। उन्होंने धरती पर बिजली की कमी पूरी करने के लिए अंतरिक्ष (स्पेस बेस्ड) पावर प्लांट के जरिए ' नैनो एनर्जी पैक ' का प्रपोजल तैयार किया है।
चेन्नै की अन्ना यूनिवर्सिटी में 20वें नैशनल लेजर सिंपोजियम के मौके पर उन्होंने कहा कि सूरज से 100 खरब बार किरणें निकलती हैं, जो पूरी दुनिया में इंसानों के काम आती हैं। अगर हम इस ऊर्जा का एक छोटा सा हिस्सा भी हासिल करने में कामयाब हुए तो ये भविष्य में बिजली की जरूरतें पूरी करने में पूरी तरह सक्षम होंगी।
धरती के सोलर प्लांट से बेहतर
धरती पर लगे सोलर पावर प्लांट की क्षमता को सीमित बताते हुए कलाम कहते हैं कि अंतरिक्ष के सोलर पावर प्लांट से कई तरह के फायदे होंगे। इस तरह के प्लांट धरती पर लगने वाले सोलर पावर प्लांट के मुकाबले ज्यादा प्रभावी होंगे। पहला तो यह कि धरती की तुलना में ऊपर (एक्स्ट्रा टेरेस्टियल लेवल) का सोलर रेडिएशन 1.4 गुना ज्यादा होता है। दूसरा यह कि धरती पर लगा सोलर पावर प्लांट दिन में केवल छह से आठ घंटे तक ही सोलर एनर्जी इकट्ठा कर सकता है जबकि स्पेस-बेस्ड पावर प्लांट चौबीसों घंटे सोलर एनर्जी कलेक्ट कर सकता है। इन पर मौसम का भी कोई असर नहीं पड़ता है।
धरती पर कैसे आएगी बिजली
सबसे बड़ा सवाल यह है कि अंतरिक्ष में सोलर प्लांट से बनी बिजली को हम धरती तक कैसे पहुंचाएंगे। इस सवाल का जवाब भी पूर्व राष्ट्रपति ने दिया। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में बने सोलर पावर प्लांट से धरती पर बिजली माइक्रोवेव या लेजर टेक्नॉलजी जैसी किसी तकनीक के जरिए भेजी जा सकेगी।
चेन्नै की अन्ना यूनिवर्सिटी में 20वें नैशनल लेजर सिंपोजियम के मौके पर उन्होंने कहा कि सूरज से 100 खरब बार किरणें निकलती हैं, जो पूरी दुनिया में इंसानों के काम आती हैं। अगर हम इस ऊर्जा का एक छोटा सा हिस्सा भी हासिल करने में कामयाब हुए तो ये भविष्य में बिजली की जरूरतें पूरी करने में पूरी तरह सक्षम होंगी।
धरती के सोलर प्लांट से बेहतर
धरती पर लगे सोलर पावर प्लांट की क्षमता को सीमित बताते हुए कलाम कहते हैं कि अंतरिक्ष के सोलर पावर प्लांट से कई तरह के फायदे होंगे। इस तरह के प्लांट धरती पर लगने वाले सोलर पावर प्लांट के मुकाबले ज्यादा प्रभावी होंगे। पहला तो यह कि धरती की तुलना में ऊपर (एक्स्ट्रा टेरेस्टियल लेवल) का सोलर रेडिएशन 1.4 गुना ज्यादा होता है। दूसरा यह कि धरती पर लगा सोलर पावर प्लांट दिन में केवल छह से आठ घंटे तक ही सोलर एनर्जी इकट्ठा कर सकता है जबकि स्पेस-बेस्ड पावर प्लांट चौबीसों घंटे सोलर एनर्जी कलेक्ट कर सकता है। इन पर मौसम का भी कोई असर नहीं पड़ता है।
धरती पर कैसे आएगी बिजली
सबसे बड़ा सवाल यह है कि अंतरिक्ष में सोलर प्लांट से बनी बिजली को हम धरती तक कैसे पहुंचाएंगे। इस सवाल का जवाब भी पूर्व राष्ट्रपति ने दिया। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में बने सोलर पावर प्लांट से धरती पर बिजली माइक्रोवेव या लेजर टेक्नॉलजी जैसी किसी तकनीक के जरिए भेजी जा सकेगी।