पुलिस कार्य में जनसहभागिता के प्रयोग को आजमाने की रणनीति बृजलाल ने बनाई
https://tehalkatodayindia.blogspot.com/2010/09/blog-post_3919.html
तहलका टुडे टीम
लखनऊ। नक्सल प्रभावित अंचलों में कम्युनिटी पुलिसिंग [पुलिस कार्य में जनसहभागिता] की कामयाबी के दावे के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर 24 सितंबर को आ रहे हाईकोर्ट के निर्णय के बाद सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए भी पुलिस कार्य में जनसहभागिता के प्रयोग को आजमाने की रणनीति बनाई है।
प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था बृजलाल ने बताया है कि नक्सल प्रभावित अंचलों में कम्युनिटी पुलिसिंग का प्रयोग कामयाब रहा है और उस पर अमल के बाद से राज्य में नक्सलवाद की कोई वारदात नहीं हुई है। अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर 24 सितंबर को आ रहे अदालत के निर्णय के बाद सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए हमने पहली बार इस प्रयोग को पूरे प्रदेश में आजमाने की रणनीति बनाई है और इसमें समाज के हर तबके को सहयोगी बनाने का प्रयास किया है।
उन्होंने बताया कि अयोध्या फैसले के बाद पैदा होने वाली किसी भी अप्रिय स्थिति से निबटने के उद्देश्य से जिलों में जो सुरक्षा तैयारियों की गई हैं, उनकी समीक्षा के लिए अपने प्रदेश व्यापी दौरों के दौरान प्रमुख सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक और स्वयं उन्होंने अधिकारियों को समाज में संाप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए समाज के सभी तबकों की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं, क्योंकि हर समय हर जगह पुलिस और सुरक्षाकर्मियों की भौतिक उपस्थिति संभव नहीं है। बृजलाल ने बताया कि प्रदेश के हर गांव कस्बे में ऐसे सरकारी कर्मचारी, शिक्षक, सेवानिवृत्त अधिकारी कर्मचारी मौजूद हैं, जो समाज में किसी प्रकार की अप्रिय घटना पर अंकुश और समाज के विभिन्न तबकों में आपसी सौहार्द बनाए रखने में पुलिस को अहम सहयोग दे सकते हैं।
उन्होंने बताया कि समाज में हर हाल में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने में जहां एक ओर अराजक तत्वों पर नजर रखी जा रही है, वहीं हर जिले में एक संवाद डायरी बनाकर इसमें सहयोगी हो सकने वाले विश्वसनीय और जिम्मेदार लोगों के नाम, पते और टेलिफोन नंबर आदि दर्ज किए गए हैं। बृजलाल ने बताया कि संवाद डायरी में स्थानीय संतों, साधुओं और मौलानाओं के भी नाम, पते और टेलिफोन नंबर दर्ज हैं।
पुलिस के इस प्रयास के प्रति सभी का रिसपांस बहुत उत्साहपूर्ण होने का दावा करते हुए बृजलाल ने बताया कि वरिष्ठ अधिकारी समय-समय पर संवाद डायरी में उपलब्ध टेलिफोन नंबरों पर लोगों से बात भी करते रहते हैं और उन्हें उनके दायित्व की याद दिलाने के साथ ही उनके सहयोग के महत्व को बताते रहते हैं।
लखनऊ। नक्सल प्रभावित अंचलों में कम्युनिटी पुलिसिंग [पुलिस कार्य में जनसहभागिता] की कामयाबी के दावे के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर 24 सितंबर को आ रहे हाईकोर्ट के निर्णय के बाद सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए भी पुलिस कार्य में जनसहभागिता के प्रयोग को आजमाने की रणनीति बनाई है।
प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था बृजलाल ने बताया है कि नक्सल प्रभावित अंचलों में कम्युनिटी पुलिसिंग का प्रयोग कामयाब रहा है और उस पर अमल के बाद से राज्य में नक्सलवाद की कोई वारदात नहीं हुई है। अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर 24 सितंबर को आ रहे अदालत के निर्णय के बाद सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए हमने पहली बार इस प्रयोग को पूरे प्रदेश में आजमाने की रणनीति बनाई है और इसमें समाज के हर तबके को सहयोगी बनाने का प्रयास किया है।
उन्होंने बताया कि अयोध्या फैसले के बाद पैदा होने वाली किसी भी अप्रिय स्थिति से निबटने के उद्देश्य से जिलों में जो सुरक्षा तैयारियों की गई हैं, उनकी समीक्षा के लिए अपने प्रदेश व्यापी दौरों के दौरान प्रमुख सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक और स्वयं उन्होंने अधिकारियों को समाज में संाप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए समाज के सभी तबकों की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं, क्योंकि हर समय हर जगह पुलिस और सुरक्षाकर्मियों की भौतिक उपस्थिति संभव नहीं है। बृजलाल ने बताया कि प्रदेश के हर गांव कस्बे में ऐसे सरकारी कर्मचारी, शिक्षक, सेवानिवृत्त अधिकारी कर्मचारी मौजूद हैं, जो समाज में किसी प्रकार की अप्रिय घटना पर अंकुश और समाज के विभिन्न तबकों में आपसी सौहार्द बनाए रखने में पुलिस को अहम सहयोग दे सकते हैं।
उन्होंने बताया कि समाज में हर हाल में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने में जहां एक ओर अराजक तत्वों पर नजर रखी जा रही है, वहीं हर जिले में एक संवाद डायरी बनाकर इसमें सहयोगी हो सकने वाले विश्वसनीय और जिम्मेदार लोगों के नाम, पते और टेलिफोन नंबर आदि दर्ज किए गए हैं। बृजलाल ने बताया कि संवाद डायरी में स्थानीय संतों, साधुओं और मौलानाओं के भी नाम, पते और टेलिफोन नंबर दर्ज हैं।
पुलिस के इस प्रयास के प्रति सभी का रिसपांस बहुत उत्साहपूर्ण होने का दावा करते हुए बृजलाल ने बताया कि वरिष्ठ अधिकारी समय-समय पर संवाद डायरी में उपलब्ध टेलिफोन नंबरों पर लोगों से बात भी करते रहते हैं और उन्हें उनके दायित्व की याद दिलाने के साथ ही उनके सहयोग के महत्व को बताते रहते हैं।