गोपीनाथ मुंडे की मौत के पीछे साजिश की बू ,

दिल्ली-केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गोपीनाथ मुंडे का मंगलवार सुबह  में एक सड़क हादसे के बाद संभवतः अंदरूनी चोट के कारण मौत हो गई। उन्हें हादसे के 10 मिनट के भीतर ही एम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया, लेकिन जान नहीं बचाई जा सकी। गोपीनाथ मुंडे के सम्मान में दिल्ली समेत सभी राज्यों की राजधानियों और केंद्र शासित प्रदेश में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। उनके शव का पोस्टमॉर्टम हो चुका है और पार्थिव शरीर को 11 अशोक रोड स्थित बीजेपी मुख्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी और संघ के नेता व कार्यकर्ता उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। शाम को स्पेशल प्लेन से शव को मुंबई ले जाया जाएगा। बुधवार को बीड में उनके पैतृक गांव में उनका अंतिम संस्कार होगा।
भाजपा नेता अवधूत वाग को गोपीनाथ मुंडे की  के पीछे साजिश की बू आ रही है। उन्‍होंने महाराष्‍ट्र भाजपा की ओर से हादसे की सीबीआई जांच करवाने की मांग की है। महाराष्‍ट्र भापजा के प्रवक्‍ता अवधूत ने सवाल उठाया है कि मुंडेजी हमेशा गार्ड्स के साथ हाई सिक्‍योरिटी व्‍हीकल में सफर करते थे, फिर वह एक सामान्‍य कार में कैसे सफर कर रहे थे? उन्‍होंने कहा कि यह किसी मामूली आदमी की दुर्घटना नहीं थी, गोपीनाथ मुंडे की दुर्घटना थी। यह एक साजिश का नतीजा भी हो सकती है। इसलिए हम इसकी जांच चाहते हैं।
जानकारी के मुताबिक, गोपीनाथ मुंडे सुबह अपने घर से इंदिरा गांधी इंटरनैशनल एयरपोर्ट के लिए निकले थे। इसी दौरान सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर पृथ्वीराज रोड से आगे अरविंदो चौक पर उनकी मारुति एसएक्स-4 कार से इंडिका कार टक्करा गई। कार में सवार ड्राइवर और सहायक आनन-फानन में उन्हें एम्स लेकर पहुंचे। सूचना मिलते ही स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी एम्स पहुंच गए। इन दोनों ने ही मीडिया को मुंडे के निधन की खबर दी। एम्स के डॉक्टर सुधीर गुप्ता ने पोस्टमॉर्टम के बाद बताया कि अंदरूनी चोटों के कारण मुंडे की मौत हुई है। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई राजनीतिक पार्टियों के नेतओं ने केंद्रीय मंत्री के निधन पर दुख जताया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि वह अपने मित्र और साथी गोपीनाथ मुंडे की मौत से बेहद दुखी और स्तब्ध हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि गोपीनाथ मुंडे का निधन देश और सरकार के लिए बड़ी क्षति है। मोदी ने लिखा है, 'गोपीनाथ मुंडे जी एक जननेता थे। समाज के पिछड़े हिस्से से आने वाले मुंडे ऊंचाइयों तक पहुंचे और बिना थके लोगों की सेवा करते रहे।'
गोपीनाथ मुंडे का पूरा नाम गोपीनाथ पांडुरंग मुंडे था। उनका जन्म महाराष्ट्र के बीड़ जिले के परली गांव में एक साधारण परिवार में हुआ था। मुंडे के पिता पांडुरंग मुंडे एक साधारण किसान थे। उनकी मां का नाम लिंबाबाई मुंडे था। गोपीनाथ मुंडे ने अपनी प्राथमिक शिक्षा नाथ्रा में पूरी की। गोपीनाथ मुंडे एक ऐसे स्कूल में पढ़ा करते थे जो एक पेड़ के नीचे लगता था। कुछ साल बाद जिला परिषद ने पेड़ के बगल में तीन कमरे का एक स्कूल तैयार किया। मुंडे 12 किलोमीटर का सफर तय कर पढ़ने जाया करते थे।
 गोपीनाथ मुंडे ने 21 मई 1978 को बीजेपी नेता स्वर्गीय प्रमोद महाजन की बहन प्रदन्या महाजन से शादी की। प्रदन्या एक गृहिणी हैं। गोपीनाथ से  प्रदन्या की मुलाकात कॉलेज में पढ़ाई के दौरान हुई थी। प्रमोद महाजन कॉलेज में गोपीनाथ मुंडे के सीनियर थे। मुंडे अपने पीछे अपनी तीन बेटियां पंकजा पालवे, डॉक्टर प्रीतम मते और यशश्री मुंडे को छोड़ गए। गोपीनाथ मुंडे की बड़ी बेटी पंकजा ने मुंबई के रिया कॉलेज से एमबीए की डिग्री हासिल की है। गोपीनाथ मुंडे की दूसरी बेटी प्रीतम मुंबई में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही हैं और उनकी तीसरी बेटी यशश्री भी मुंबई में पढ़ाई कर रही हैं। 
 मुंडे का बचपन बेहद तंगहाली में गुजरा। वह अक्सर गांव में स्थित आर्यसमाज मंदिर में जा कर अखबार और किताबें पढ़ा करते थे। 1969 में पिता पांडुरंग मुंडे की मृत्यु के बाद उनके बड़े भाई पंडित अण्णा मुंडे ने गोपीनाथ मुंडे की पढ़ाई और पूरे परिवार की जिम्मेदारी संभाली। गांव से बारहवीं करने के बाद मुंडे ने आंबेजोगी से कॉमर्स में स्नातक की पढ़ाई की। 
कॉलेज में पढ़ाई के दौरान मुंडे छात्र राजनीति से जुड़े। कॉलेज में कई बार उन्होंने आंदोलन का नेतृ्त्व किया। हालांकि अपने छात्र राजनीति के जीवन में मुंडे कभी भी चुनाव नहीं जीते। बीड़ में पड़ने वाले सूखे और किसानों की समस्या ने गोपीनाथ मुंडे को राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया।
मुंडे की बहन सरस्वती कराड भी सामाजिक कार्य के लिए जानी जाती हैं। सरस्वती ने हमेशा मुंडे को राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया। मुंडे के चुनाव क्षेत्र में अक्सर उनकी बहन सरस्वती चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभालती थी। गोपीनाथ मुंडे के दो भाई माणिकराव और वेंकटराव मुंबई के परेल इलाके में एक फार्म को संभालते हैं।


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