बीजेपी सांसद प्रियंका सिंह रावत ने उड़ाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेशों की धज्जियां,दिखाए बगावती तेवर
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बाराबंकी -प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पदभार संभालते ही दिए गए पहले आदेश की ही धज्जियां उड़ती दिख रही हैं। मोदी ने अपने मंत्रियों और सांसदों को अपने स्टाफ में परिजन और रिश्तेदारों को न रखने के लिए कहा था, लेकिन उनका यह आदेश उन्हीं की सांसद ने नहीं माना और अपने पिता को ही आधिकारिक रूप से अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया।
मामला उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से चुनी गईं बीजेपी सांसद प्रियंका सिंह रावत का है जिन्होंने अपने पिता को सभी शासकीय विभागों और क्षेत्र के तमाम विकास कार्यों के लिए अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया है। रावत ने इसके पीछे तर्क दिया है कि वे अपने क्षेत्र के बीजेपी कार्यकर्ताओं से जुड़ी रहना चाहती थीं इसलिए उन्होंने ऐसा किया। (फोटो- अपने पिता उत्तम राम और पति रघुराम के साथ सांसद रावत।)
26 मई को जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, उसी दिन रावत ने बाकायदा एक सर्कुलर जारी कर यह नियुक्ति की। रावत के पिता उत्तम राम जो सेवानिवृत्त अधिकारी रह चुके हैं, अब बतौर सांसद प्रतिनिधि सभी सरकारी बैठकों में भाग लेंगे और क्षेत्र में विकास कार्यों का जिम्मा संभालेंगे। रावत का यह सर्कुलर बाराबंकी के सभी सरकारी विभागों के प्रमुखों, कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को भी भेजा गया है। गौरतलब है कि प्रियंका के पति भी सरकारी अधिकारी हैं। प्रियंका ने बाराबंकी में कांग्रेस के पीएल पुनिया को हराया है।
बता दें मोदी ने पदभार संभालते ही पहली कैबिनेट बैठक में मंत्रिमंडल सहयोगियों से कहा था कि वे भाई-भतीजावाद से दूर रहें और अपने स्टाफ में किसी परिजन या रिश्तेदार की नियुक्ति न करें।
स्थानीय बीजेपी नेताओं ने किया विरोध-
सांसद प्रतिनिधि के तौर पर रावत द्वारा अपने पिता की नियुक्ति का विरोध भी शुरू हो गया है। बाराबंकी के जिला बीजेपी अध्यक्ष शरद अवस्थी ने कहा कि 'प्रियंका ने इस संबंध में उनकी एक न सुनी और अपने पिता की नियुक्ति कर दी।' एक अन्य बीजेपी कार्यकर्ता ने कहा कि 'हम चुनाव में मेहनत करते हैं, ताकि हमारे प्रतिनिधि हमें भी आगे बढ़ाएं, लेकिन अगर ऐसा होगा, तो कार्यकर्ता आगे कैसे बढ़ पाएगा।' वहीं प्रियंका ने विरोध की खबरों को सिरे से नकारते हुए कहा कि 'सभी जानते हैं कि बाराबंकी में बीजेपी के दो गुट हैं। मैं अगर किसी एक गुट के व्यक्ति को नियुक्त करती तो दूसरा गुट नाराज हो जाता, इसलिए मैंने अपने पिता को प्रतिनिधि बनाया जो मेरे राजनीतिक गुरू भी हैं।' प्रियंका ने कहा कि 'मेरे पिता भाजपा के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं, स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं से उनका समन्वय भी बहुत अच्छा है, इसीलिए मैंने उन्हें अपना प्रतिनिधि बनाया है ताकि मेरा क्षेत्र से जुड़ाव लगातार बना रहे।'
मामला उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से चुनी गईं बीजेपी सांसद प्रियंका सिंह रावत का है जिन्होंने अपने पिता को सभी शासकीय विभागों और क्षेत्र के तमाम विकास कार्यों के लिए अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया है। रावत ने इसके पीछे तर्क दिया है कि वे अपने क्षेत्र के बीजेपी कार्यकर्ताओं से जुड़ी रहना चाहती थीं इसलिए उन्होंने ऐसा किया। (फोटो- अपने पिता उत्तम राम और पति रघुराम के साथ सांसद रावत।)
26 मई को जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, उसी दिन रावत ने बाकायदा एक सर्कुलर जारी कर यह नियुक्ति की। रावत के पिता उत्तम राम जो सेवानिवृत्त अधिकारी रह चुके हैं, अब बतौर सांसद प्रतिनिधि सभी सरकारी बैठकों में भाग लेंगे और क्षेत्र में विकास कार्यों का जिम्मा संभालेंगे। रावत का यह सर्कुलर बाराबंकी के सभी सरकारी विभागों के प्रमुखों, कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को भी भेजा गया है। गौरतलब है कि प्रियंका के पति भी सरकारी अधिकारी हैं। प्रियंका ने बाराबंकी में कांग्रेस के पीएल पुनिया को हराया है।
बता दें मोदी ने पदभार संभालते ही पहली कैबिनेट बैठक में मंत्रिमंडल सहयोगियों से कहा था कि वे भाई-भतीजावाद से दूर रहें और अपने स्टाफ में किसी परिजन या रिश्तेदार की नियुक्ति न करें।
स्थानीय बीजेपी नेताओं ने किया विरोध-
सांसद प्रतिनिधि के तौर पर रावत द्वारा अपने पिता की नियुक्ति का विरोध भी शुरू हो गया है। बाराबंकी के जिला बीजेपी अध्यक्ष शरद अवस्थी ने कहा कि 'प्रियंका ने इस संबंध में उनकी एक न सुनी और अपने पिता की नियुक्ति कर दी।' एक अन्य बीजेपी कार्यकर्ता ने कहा कि 'हम चुनाव में मेहनत करते हैं, ताकि हमारे प्रतिनिधि हमें भी आगे बढ़ाएं, लेकिन अगर ऐसा होगा, तो कार्यकर्ता आगे कैसे बढ़ पाएगा।' वहीं प्रियंका ने विरोध की खबरों को सिरे से नकारते हुए कहा कि 'सभी जानते हैं कि बाराबंकी में बीजेपी के दो गुट हैं। मैं अगर किसी एक गुट के व्यक्ति को नियुक्त करती तो दूसरा गुट नाराज हो जाता, इसलिए मैंने अपने पिता को प्रतिनिधि बनाया जो मेरे राजनीतिक गुरू भी हैं।' प्रियंका ने कहा कि 'मेरे पिता भाजपा के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं, स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं से उनका समन्वय भी बहुत अच्छा है, इसीलिए मैंने उन्हें अपना प्रतिनिधि बनाया है ताकि मेरा क्षेत्र से जुड़ाव लगातार बना रहे।'