आखिर फंस ही गए बेनी प्रसाद वर्मा, सीबीआई जांच की सिफारिश


बाराबंकी, गोंडा के घोटाले में संसदीय समिति ने की केंद्रीय एजेंसी से जांच की सिफारिश

स्टील मंत्रालय के करोडों रुपए निजी फायदे के लिए फूंकने का मामला

रिजवान मुस्तफा,
बाराबंकी केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा बुरी तरह फंस गए हैं। अपने चुनाव क्षेत्र गोंडा और अपने बेटे के चुनाव क्षेत्र बाराबंकी में स्टील मंत्रालय के पैसों की जमकर बर्बादी करने के मामले में स्टील मंत्रालय की संसदीय समिति ने उन्हें लपेटे में ले लिया है। समिति ने बेनी प्रसाद वर्मा और उनके मंत्रालय को पद के दुरुपयोग का दोषी करार देते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी से जांच कराने की सिफारिश कर दी है। इसके साथ ही बेनी वर्मा के इशारे पर बाराबंकी और गोंडा में स्टील मंत्रालय के करोड़ों फूंक देने वाले अफसरों के खिलाफ भी कड़ी विभागीय कार्यवाही की सिफारिश की गई है। ध्यान देने वाली बात यह है कि स्टील मंत्री बेनी वर्मा ने अपने मंत्रालय के करोड़ों रुपए बाराबंकी व गोंडा में खुद के फायदे के लिए फूंक डाले थे। उन्होंने इस पैसे से खुद का स्कूल तक बनवा लिया। अपने बेटे के चुनाव क्षेत्र में करोड़ों रुपए स्कूल, कालेज, सड़कों और पुल के नाम पर कागजों में खर्च कर दिए। मगर हकीकत में काम न के बराबर हुआ। स्टील मंत्रालय की संसदीय समिति ने इसी गोरखधंधे की जांच करके अपनी रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट के आने के बाद बेनी भारी मुश्किल में फंस सकते हैं।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बैनर्जी की अगुवाई वाली स्टील एवं कोल मंत्रालय की संसदीय समिति ने मंत्रालय के अफसरों से पूछताछ करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट के तथ्य बेनी प्रसाद वर्मा के निजी फायदे के लिए स्टील मंत्री पद के गंभीर दुरुपयोग की पूरी कहानी बयां करते हैं। रिपोर्ट में लिखा है कि स्टील मंत्रालय ने स्टील मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा को संतुष्ट करने के लिए मंत्रालय के फंड का जमकर दुरुपयोग किया। स्टील मंत्रालय के सीएसआर फंड का पैसा यूपी के दो जिलों गोंडा और बाराबंकी में अंधाधुंध तरीके से खर्च किया गया, जबकि वहां स्टील के प्लांट और प्रोजेक्ट दोनो ही नदारद हैं। सीएसआर फंड का मतलब स्टील मंत्रालय के कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलटी फंड से है जो देश के उन हिस्सों की गरीब व पिछड़ी जनता के विकास के लिए होता है, जहां स्टील मंत्रालय के प्लांट्स व यूनिटें हैं। संसदीय समिति की रिपोर्ट के मुताबिक इन जरूरत वाली जगहों की उपेक्षा कर स्टील मंत्रालय की करोड़ों की धनराशि स्टील मंत्री को संतुष्ट करने की खातिर इन दो जिलों मे फूंक दी गई।
मई 2013 यानि इसी महीने तैयार हुई यह रिपोर्ट बेनी वर्मा समेत स्टील मंत्रालय के अधिकारियों के होश उड़ा देने के लिए काफी है। बेनी की करतूतों का जिक्र करते हुए इस रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2012-13 में देश भर में कुल 64 करोड़ रुपए सेल यानि स्टील अथारिटी आफ इंडिया के सीएसआर फंड में खर्च किए गए। हैरानी की बात यह है कि इसमें से अधिकतम धनराशि यूपी के सिर्फ एक जिले यानि बाराबंकी में ही खर्च कर दी गई। सबूतों की सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि बाराबंकी में एक भी स्टील प्लांट नहीं है, इसके बावजूद स्टील मंत्रालय के कामकाज के इलाकों की गरीब पिछड़ी जनता की भलाई के लिए जुटाए गए करोड़ों रुपए महज बेनी की मिजाज पुर्सी में फूंक डाले गए।

संसदीय समिति को इस बात की भी जानकारी मिली कि यूपी में साल 2012-13 के बीच सेल ने सीएसआर फंड के मद से 90.6 फीसदी धनराशि केवल बाराबंकी, गोंडा और बलरामपुर में खर्च कर दी। मतलब यूं कि कुल 8,19,98,180 रुपए में से 7,43,32,180 रुपए बेनी की सनक की भेंट चढ़ गए।

स्टील मंत्रालय की हर कंपनी पर बेनी का ग्रहण--
बेनी ने सिर्फ स्टील अथारिटी आफ इंडिया को ही अपनी सनक का शिकार नहीं बनाया बल्कि संसदीय समिति के मुताबिक स्टील मंत्रालय की हर कंपनी को बेनी का मिजाज ठीक रखने की भारी कीमत चुकानी पड़ी। स्टील मंत्रालय की एक और कंपनी एनएमडीसी यानि नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कार्पोरेशन ने सीएसआर फंड के तहत यूपी में कुल 7 प्रोजेक्ट लिए जिसमें से 5 प्रोजेक्ट केवल गोंडा और बाराबंकी के खाते में डाल दिए गए। इसका मतलब यह कि कुल 97 फीसदी रकम इन्हीं दो जिलों में खर्च कर दी गई। इसी तरह से स्टील मंत्रालय की नागपुर स्थित कंपनी MOIL यानि मैंगनीज ओर लिमिटेड से भी 83,38,000 की रकम गोंडा में फूंक दी गई।

बेनी ने स्टील मंत्रालय में कुछ भी नही छोड़ा--

स्टील मंत्रालय के पैसों की बर्बादी की यह कतार खासी लंबी है। इसी तर्ज पर स्टील मंत्रालय की एक कंपनी मेकान लिमिटेड से भी बाराबंकी, गोंडा और बलरामपुर में साल 2012-13 के बीच 31,56,786 रुपए खर्च कर दिए गए। स्टील मंत्रालय की ही एक कंपनी एमएसटीसी के मामले में तो बेनी की शह पर कमाल ही हो गया। कंपनी के सीएसआर फंड की 70 फीसदी रकम सिर्फ बाराबंकी में एक कम्युनिटी सेंटर बनाने में खर्च कर दी गई। बाकी की 30 फीसदी रकम पश्चिम बंगाल में 16 अलग लग प्रोजेक्टों में खर्च की गई। यह तब किया गया जबकि एमएसटीसी कंपनी का यूपी में एक राई रत्ती भर का भी काम नहीं है। इसी तरह से स्टील मंत्रालय की एक और कंपनी हिंदुस्तान स्टील वर्क कंस्ट्रक्शन लिमिटेड यानि एचएससीएल के खाते से 18 लाख की रकम बाराबंकी में रोड के नाम पर फूंक दी गई, रोड का क्या हुआ, ये कहानी भी बेहद ही दिलचस्प है।

स्टील मंत्रालय के चुनाव के लिए नहीं है सीएसआर फंड--
संसदीय समिति ने खास तौर पर इस बात का संज्ञान लिया है कि सीएसआर फंड को स्टील मंत्री के चुनाव क्षेत्र में खर्च कर दिया गया  जबकि वहां पर स्टील के न तो कोई बड़े प्लांट हैं और न ही कोई प्रोजेक्ट हैं। समिति ने इसे सीधे तौर पर मंत्रालय की ओर से आफिस के दुरुपयोग का मामला करार दिया जो केवल मंत्री को संतुष्ट करने की खातिर किया गया।

राष्ट्रीय हित के साथ खिलवाड़--
 
बेनी वर्मा के मामले में संसद की इस समिति की कुछ टिप्पणियां बेहद ही गंभीर हैं। समिति ने साफ तौर पर कहा है कि स्टील मंत्रालय की इन कंपनियों ने नियम कायदों को ताक पर रखकर अपनी गतिविधियां कीं। कंपनियों की यह हरकत राष्ट्र के हितों के सख्त खिलाफ है।


बेटे के मोह में धृतराष्ट्र बने बेनी
संसदीय समिति ने बेनी वर्मा के इशारे पर हुई स्टील मंत्रालय के पैसों की बर्बादी की जो कलई खोली है, उसके पीछे की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। बेनी वर्मा के इशारों पर यह धनराशि साल 2011 के अंतिम महीनों में विशेष तौर पर बाराबंकी के दरियाबाद इलाके में खर्च के लिए स्वीकृत की गई। इसी इलाके से बेनी के बेटे राकेश वर्मा ने कांग्रेस के टिकट पर यूपी विधानसभा का चुनाव लड़ा था। राकेश वर्मा को चुनाव जिताने के लिए बेनी ने स्टील मंत्रालय के पैसों की दरियाबाद और उसके आस पास के इलाकों में जमकर बंदरबाट की। स्कूलों को पैसा बांटा गया, सड़क, पुल के नाम पर करोड़ों का खर्च घोषित कर दिया गया। मगर चुनाव के नतीजे बेनी की उम्मीदों के खिलाफ रहे और राकेश वर्मा बुरी तरह चुनाव हार गए।

बेटे के चुनाव हारते ही बेनी भूले वायदे—
बेटे के चुनाव हारते ही बेनी ने दरियाबाद इलाके से किनारा कर लिया। स्टील मंत्रालय के पैसों से जो स्कूल स्वीकृत किए गए थे, वे आधे अधूरे ही रह गए। सड़क बीच से टूट गई और पुल बना ही नहीं। ये अलग बात है कि स्टील मंत्रालय के इन पैसों से ठेकेदारों और बेनी के करीबियों की बन आई।

अब गोंडा में बंट रही हैं लालटेने
लोकसभा के चुनाव नजदीक हैं, सो बेनी वर्मा के इशारों पर स्टील मंत्रालय की कंपनियां गोंडा में जमकर सोलर लालटेने, सोलर लाइट्स बांट रही हैं। विशेषकर सेल (स्टील अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड), एनएमडीसी (नेशनल मिनिरल डेवलपमेंट कार्पोरेशन) और आरइएनएल
(राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड) के पैसों पर ये बंदरबांट जारी है। बेनी वर्मा स्टील मंत्रालय के इन्हीं पैसों के जरिए वोटरों को लुभाकर चुनाव जीतने के लिए बेचैन हैं।

कहां खर्च हो सीएसआर की रकम--
संसदीय समिति के मुताबिक सीएसआर की रकम वहां खर्च की जानी चाहिए, जहां स्टील के प्लांट हों। नैतिकता यही कहती है। मगर बेनी वर्मा ने इस नैतिकता की सारी इबारत ही ध्वस्त कर डाली।

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