जहरीले जानलेवा रसायनों का खतरनाक इस्तेमाल कर लोगों की हत्याएं करा रही हैं बहुराष्ट्रीय कम्पनियां
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क्रिमिनल हैं ये ब्रांडेड कम्पनियां
हम विस्तार से करेंगे इनका अपराध उजागर
दो साल में 67 बड़ी कम्पनियों का खुलासा
दो वर्ष और मिला दें तो संख्या 150 के पार
प्रभात रंजन दीन
बहुराष्ट्रीय कम्पनियां, बड़े कॉरपोरेट घराने और बड़ी कम्पनियां आपराधिक कृत्य में लिप्त हैं। ये कम्पनियां लोगों की हत्याएं करा रही हैं। धन के बल पर देश में ड्रग सिंडिकेट चला रही हैं। जहरीले जानलेवा रसायनों के प्रयोग और उपयोग के लिए ये किसी भी आपराधिक स्तर पर उतर रही हैं। इन गैरकानूनी-गैरमानवीय हरकतों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का साथ दे रही है केंद्र सरकार, राज्य की सरकारें, नेता और नौकरशाह। हम इन कम्पनियों का नाम प्रकाशित कर रहे हैं। आपराधिक गतिविधियों में शामिल इन कम्पनियों की फेहरिस्त और इनके कारनामे देख कर आप चौंक जाएंगे... अरे इतनी बड़ी बड़ी कम्पनियां ऐसा जघन्य कृत्य कर रही हैं!!! जिन कम्पनियों के आपराधिक कृत्यों का लेखा-जोखा हम क्रम में छापेंगे, उसे आप गौर से पढ़ें, इसमें किसी भी कम्पनी के हाथों आप कभी भी शिकार हुए हों या आपका कोई सगा-सम्बन्धी या परिचित इनमें से किसी भी कम्पनी का शिकार होकर मारा गया हो। आप हमें तत्काल सूचित करें या हमसे मिलें। हम मिलजुल कर लड़ेंगे आपकी लड़ाई। यह समाज की लड़ाई है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लडऩे की फर्जी बातें करने वाली केंद्र सरकार सत्ता संरक्षित बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के आतंक के खिलाफ नागरिकों का ध्यान केंद्रित नहीं करने देती।
बीते दो वर्ष के सरकारी दस्तावेज ही बताते हैं कि 67 बड़ी कॉरपोरेट कम्पनियां भारत में आपराधिक कृत्य में शामिल हैं। इनमें अधिकतर बहुराष्ट्रीय कम्पनियां हैं, जिनके बड़े नाम हैं। ऐसी कम्पनियां जिन्हें लोग ‘ब्रांड’ की तरह अर्से से जानते हैं। तो आप यह समझ लें कि जिन कम्पनियों को आप ब्रांड-नेम से जानते और आंख मूंद कर विश्वास करते रहे हैं, वे आपकी हत्या कर रही हैं। आपके विश्वास से धोखा कर जहरीले रसायन आपके शरीर में ठूंस कर आपकी जान के एवज में उनका प्रयोग और नतीजा निकाल रही हैं। यही कम्पनियां भारत में दवाओं का सुगठित सिंडिकेट चला रही हैं और यही कम्पनियां देश की राजनीतिक-शासनिक व्यवस्था को अपने चंगुल में रखती हैं। कैसे चंगुल में रखती हैं, यह आप अच्छी तरह समझते हैं। ये जिन 67 बड़ी कम्पनियों का हम जिक्र कर रहे हैं, वे सरकारी रिकॉर्ड से निकाली गई हैं। वर्ष 2010 और वर्ष 2011 के सरकारी दस्तावेजों से निकाली गई सूचनाओं के आधार पर इन बड़ी कम्पनियों की संख्या 67 होती है। वर्ष 2008 और वर्ष 2009 की आधिकारिक सूचनाओं को अगर इसमें मिलाया जाए तो आपराधिक कृत्यों में शामिल कम्पनियों की संख्या तकरीबन 150 से पार चली जाती हैं। इस वर्ष यानी 2012 के इन पांच महीनों में भारत में जिस जबरदस्त गति से ‘लूट’ बढ़ी है, तो निश्चित तौर पर आपराधिक कृत्यों में शरीक कम्पनियों की संख्या भी इसी तेजी से बढ़ी होगी। हमारे पास 2007 से लेकर 2011 तक के इन बड़ी कम्पनियों के घटिया कृत्य के दस्तावेज भी हैं, जिन्हें हम आपके सामने क्रमवार रखेंगे।
भारत में ठंडे दिमाग से की जा रही नियोजित हत्याओं (कोल्ड ब्लडेड मर्डर) का सिलसिलेवार संत्रास रचने में सबसे जघन्य नाम ‘बेयर फार्मास्यूटिकल्स’ का है। हम सबके लिए यह नाम काफी पहले से परिचित है। ‘एस्पीरीन’ या ‘सीप्रोफ्लॉक्सोसीन’ जैसी दवा का नाम लेते ही हमें ‘बेयर’ कम्पनी की याद आ जाती है। भारतवर्ष के नेताओं ने अपने देश को बूचडख़ाना बना कर रख दिया है। मारे जाने के लिए मुफ्त का आम आदमी उपलब्ध है। ये जो ‘बेयर’ नामकी कम्पनी नियोजित हत्याएं करा रही है, उसी राक्षसी ‘यूनियन कार्बाइड’ सेजुड़ी है, जिसने अस्सी के दशक में भोपाल में हजारों लोगों की जान ले ली थी। यूनियन कार्बाइड के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। उसे ‘डाउ केमिकल्स’ ने खरीद लिया। अब वही डाउ केमिकल्स इंग्लैंड में ओलम्पिक खेलों का आयोजन करा रही है और भारत के खिलाड़ी अपने मां-बाप-भाई-बहनों-बच्चों की लाशों पर खेलने और पदक जीतने के लिए उतावले हैं। उसी डाउ केमिकल्स के साथ सम्बद्ध ‘बेयर फार्मास्यूटिकल्स’ भारत में खूनी खेल में लिप्त है, लेकिन केंद्र सरकार मस्त है। डाउ केमिकल्स का अमेरिका में साउथ चाल्र्सटन इकाई का काम ‘बेयर फार्मास्यूटिकल्स’ ही सम्भालती है और यूनियन कार्बाइड की तरफ से ही बेयर को कर्मचारी मुहैया कराए जाते हैं। हत्या और आतंक फैलाने में बेयर का नाम आधिकारिक दस्तावेजों में दर्ज है। 1956 में बेयर के चेयरमैन फ्रित्ज टर मीर पर सामूहिक हत्याएं कराने, अत्याचार आधारित गुलामी कराने, लूटपाट कराने, जालसाजी करने और मानव शरीर पर खतरनाक रसायनों का खतरनाक प्रयोग करने जैसे सनसनीखेज आरोप लगे थे। न्यूरमबर्ग ट्रायल में उसे दोषी पाया गया था और सजा हुई थी। वही ‘बेयर फार्मास्यूटिकल्स’ भारत में उत्पात मचाए हुई है। भारत में किए जा रहे इनके कृत्यों का हम विस्तार से खुलासा करते जाएंगे।
फाइज़र, जॉनसन एंड जॉनसन, ग्लैक्सो-स्मिथक्लिन, सानोफी, मैक्स नीमैन, मनिपाल-एक्यूनोवा, कैडिला, एबॉट, एली-लिली, बोहेङ्क्षरगर, ब्रिस्टल-मायेर, मर्क स्पेशियलिटीज़, लैम्बडा, आइकॉन, इनटास, एमएसडी, एलरगन, एसीटेलियन, पीरामल लाइफ साइंसेज़ लिमिटेड, फार्म-ओलम इंटरनेशनल, पैरेक्स इंटरनेशनल, क्विंटिल्स टेक्नोलॉजीज़ प्राइवेट लिमिटेड, टाकेदा ग्लोबल रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर, केंडल डाटा एंड टेक्नोलॉजीज़, सन फार्मा समेत कई बड़ी कम्पनियां उस आधिकारिक सूची का हिस्सा हैं, जो सरकारी गलियारे से निकली और अब हमारे पास हैं। आप हैरत करेंगे कि मनुष्य के खिलाफ अपराध में भारत सीरम एंड वैक्सीन लिमिटेड, नेशनल एड्स रिसर्च इंस्टीट्यूट जैसी सरकारी संस्थाएं भी लिप्त हैं।
बहुराष्ट्रीय कम्पनियां, बड़े कॉरपोरेट घराने और बड़ी कम्पनियां आपराधिक कृत्य में लिप्त हैं। ये कम्पनियां लोगों की हत्याएं करा रही हैं। धन के बल पर देश में ड्रग सिंडिकेट चला रही हैं। जहरीले जानलेवा रसायनों के प्रयोग और उपयोग के लिए ये किसी भी आपराधिक स्तर पर उतर रही हैं। इन गैरकानूनी-गैरमानवीय हरकतों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का साथ दे रही है केंद्र सरकार, राज्य की सरकारें, नेता और नौकरशाह। हम इन कम्पनियों का नाम प्रकाशित कर रहे हैं। आपराधिक गतिविधियों में शामिल इन कम्पनियों की फेहरिस्त और इनके कारनामे देख कर आप चौंक जाएंगे... अरे इतनी बड़ी बड़ी कम्पनियां ऐसा जघन्य कृत्य कर रही हैं!!! जिन कम्पनियों के आपराधिक कृत्यों का लेखा-जोखा हम क्रम में छापेंगे, उसे आप गौर से पढ़ें, इसमें किसी भी कम्पनी के हाथों आप कभी भी शिकार हुए हों या आपका कोई सगा-सम्बन्धी या परिचित इनमें से किसी भी कम्पनी का शिकार होकर मारा गया हो। आप हमें तत्काल सूचित करें या हमसे मिलें। हम मिलजुल कर लड़ेंगे आपकी लड़ाई। यह समाज की लड़ाई है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लडऩे की फर्जी बातें करने वाली केंद्र सरकार सत्ता संरक्षित बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के आतंक के खिलाफ नागरिकों का ध्यान केंद्रित नहीं करने देती।
बीते दो वर्ष के सरकारी दस्तावेज ही बताते हैं कि 67 बड़ी कॉरपोरेट कम्पनियां भारत में आपराधिक कृत्य में शामिल हैं। इनमें अधिकतर बहुराष्ट्रीय कम्पनियां हैं, जिनके बड़े नाम हैं। ऐसी कम्पनियां जिन्हें लोग ‘ब्रांड’ की तरह अर्से से जानते हैं। तो आप यह समझ लें कि जिन कम्पनियों को आप ब्रांड-नेम से जानते और आंख मूंद कर विश्वास करते रहे हैं, वे आपकी हत्या कर रही हैं। आपके विश्वास से धोखा कर जहरीले रसायन आपके शरीर में ठूंस कर आपकी जान के एवज में उनका प्रयोग और नतीजा निकाल रही हैं। यही कम्पनियां भारत में दवाओं का सुगठित सिंडिकेट चला रही हैं और यही कम्पनियां देश की राजनीतिक-शासनिक व्यवस्था को अपने चंगुल में रखती हैं। कैसे चंगुल में रखती हैं, यह आप अच्छी तरह समझते हैं। ये जिन 67 बड़ी कम्पनियों का हम जिक्र कर रहे हैं, वे सरकारी रिकॉर्ड से निकाली गई हैं। वर्ष 2010 और वर्ष 2011 के सरकारी दस्तावेजों से निकाली गई सूचनाओं के आधार पर इन बड़ी कम्पनियों की संख्या 67 होती है। वर्ष 2008 और वर्ष 2009 की आधिकारिक सूचनाओं को अगर इसमें मिलाया जाए तो आपराधिक कृत्यों में शामिल कम्पनियों की संख्या तकरीबन 150 से पार चली जाती हैं। इस वर्ष यानी 2012 के इन पांच महीनों में भारत में जिस जबरदस्त गति से ‘लूट’ बढ़ी है, तो निश्चित तौर पर आपराधिक कृत्यों में शरीक कम्पनियों की संख्या भी इसी तेजी से बढ़ी होगी। हमारे पास 2007 से लेकर 2011 तक के इन बड़ी कम्पनियों के घटिया कृत्य के दस्तावेज भी हैं, जिन्हें हम आपके सामने क्रमवार रखेंगे।
भारत में ठंडे दिमाग से की जा रही नियोजित हत्याओं (कोल्ड ब्लडेड मर्डर) का सिलसिलेवार संत्रास रचने में सबसे जघन्य नाम ‘बेयर फार्मास्यूटिकल्स’ का है। हम सबके लिए यह नाम काफी पहले से परिचित है। ‘एस्पीरीन’ या ‘सीप्रोफ्लॉक्सोसीन’ जैसी दवा का नाम लेते ही हमें ‘बेयर’ कम्पनी की याद आ जाती है। भारतवर्ष के नेताओं ने अपने देश को बूचडख़ाना बना कर रख दिया है। मारे जाने के लिए मुफ्त का आम आदमी उपलब्ध है। ये जो ‘बेयर’ नामकी कम्पनी नियोजित हत्याएं करा रही है, उसी राक्षसी ‘यूनियन कार्बाइड’ सेजुड़ी है, जिसने अस्सी के दशक में भोपाल में हजारों लोगों की जान ले ली थी। यूनियन कार्बाइड के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। उसे ‘डाउ केमिकल्स’ ने खरीद लिया। अब वही डाउ केमिकल्स इंग्लैंड में ओलम्पिक खेलों का आयोजन करा रही है और भारत के खिलाड़ी अपने मां-बाप-भाई-बहनों-बच्चों की लाशों पर खेलने और पदक जीतने के लिए उतावले हैं। उसी डाउ केमिकल्स के साथ सम्बद्ध ‘बेयर फार्मास्यूटिकल्स’ भारत में खूनी खेल में लिप्त है, लेकिन केंद्र सरकार मस्त है। डाउ केमिकल्स का अमेरिका में साउथ चाल्र्सटन इकाई का काम ‘बेयर फार्मास्यूटिकल्स’ ही सम्भालती है और यूनियन कार्बाइड की तरफ से ही बेयर को कर्मचारी मुहैया कराए जाते हैं। हत्या और आतंक फैलाने में बेयर का नाम आधिकारिक दस्तावेजों में दर्ज है। 1956 में बेयर के चेयरमैन फ्रित्ज टर मीर पर सामूहिक हत्याएं कराने, अत्याचार आधारित गुलामी कराने, लूटपाट कराने, जालसाजी करने और मानव शरीर पर खतरनाक रसायनों का खतरनाक प्रयोग करने जैसे सनसनीखेज आरोप लगे थे। न्यूरमबर्ग ट्रायल में उसे दोषी पाया गया था और सजा हुई थी। वही ‘बेयर फार्मास्यूटिकल्स’ भारत में उत्पात मचाए हुई है। भारत में किए जा रहे इनके कृत्यों का हम विस्तार से खुलासा करते जाएंगे।
फाइज़र, जॉनसन एंड जॉनसन, ग्लैक्सो-स्मिथक्लिन, सानोफी, मैक्स नीमैन, मनिपाल-एक्यूनोवा, कैडिला, एबॉट, एली-लिली, बोहेङ्क्षरगर, ब्रिस्टल-मायेर, मर्क स्पेशियलिटीज़, लैम्बडा, आइकॉन, इनटास, एमएसडी, एलरगन, एसीटेलियन, पीरामल लाइफ साइंसेज़ लिमिटेड, फार्म-ओलम इंटरनेशनल, पैरेक्स इंटरनेशनल, क्विंटिल्स टेक्नोलॉजीज़ प्राइवेट लिमिटेड, टाकेदा ग्लोबल रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर, केंडल डाटा एंड टेक्नोलॉजीज़, सन फार्मा समेत कई बड़ी कम्पनियां उस आधिकारिक सूची का हिस्सा हैं, जो सरकारी गलियारे से निकली और अब हमारे पास हैं। आप हैरत करेंगे कि मनुष्य के खिलाफ अपराध में भारत सीरम एंड वैक्सीन लिमिटेड, नेशनल एड्स रिसर्च इंस्टीट्यूट जैसी सरकारी संस्थाएं भी लिप्त हैं।
आपराधिक कृत्यों में लिप्त कम्पनियों की सूची में देश की भी कुछ बड़ी नामधारी कम्पनियां शामिल हैं। रिलाएंस लाइफ साइंस प्राइवेट लिमिटेड, धीरूभाई अंबानी लाइफ साइंस सेंटर इनमें से एक हैं। ये कितनी मशहूर हैं और कितनी प्रभावशाली यह देश-दुनिया को पता है। डॉ. रेड्डी लेबोरेट्रीज़ प्राइवेट लिमिटेड के नाम से भी आप परिचित ही हैं। यह कंपनी भी उस खूनी-फेहरिस्त में शामिल है। अपना उत्तर प्रदेश भी दूध का धोया नहीं है। यहां की भी कुछ कम्पनियां हैं, जो बड़ी कम्पनियों के आपराधिक मार्ग पर अग्रसर हैं। इनमें जुबिलेंट लाइफ साइंसेज़ और एक्सेल लाइफ साइंसेज़ शामिल हैं। खबर की पहली कड़ी में हम ऐसी कुछ प्रमुख कम्पनियों के नाम आपके सामने रख रहे हैं। ताकि इसे आप अपने ध्यान में रखें औरजब हम इनके आपराधिक कारनामे आपके समक्ष रखें, तो आपको तस्वीर साफ-साफ दिखे। साथ ही आगे के संघर्ष की भी दिशा सुस्पष्ट होती जाए। वैसे हम आपको यह बता दें कि इन कम्पनियों के खौफनाक कृत्यों के खिलाफ कानूनी लड़ाई की पहल हम उत्तर प्रदेश में शुरू कर चुके हैं। बस आपको इसे धार देनी है। आम लोगों के समाज के खिलाफ हो रहे इन शीर्ष स्तरीय साजिशी कृत्यों के खिलाफ कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाने की पहल जुझारू अधिवक्ता राहुल दत्त कर चुके हैं। इस गंभीर सामाजिक मसले में वे हमारे साथ हैं और हम उनके साथ हैं।
जिन कम्पनियों का ऊपर उल्लेख किया गया है, लिस्ट उससे आगे जाती है। हम उन सभी कम्पनियों के नाम उजागर करेंगे, जिनके अपराध के आधिकारिक दस्तावेज हमारे पास हैं। आज की खबर का उद्देश्य उन बड़ी कंपनियों का नाम एक साथ आपके समक्ष लाना था, जिनके नाम छापने से आम तौर पर लोग हिचकते हैं। रास्ता साफ है। अब जो बाद के नाम हैं, वे तो अगले अंकों में अपने आप ही छप जाएंगे। इन कम्पनियों के आपराधिक कृत्य सनसनीखेज हैं, जो हम इसके बाद के क्रम में प्रकाशित कर रहे हैं। उन विस्तार और विवरणों के जरिए हम पहुंचेंगे यथार्थ की दुनिया में जहां हम महसूस करेंगे कि हम कैसे जीते हैं, संविधान में जीने के अधिकार का जो अध्याय है, वह कितना बेमानी है और हम जिन्हें सत्ता के विभिन्न आसनों पर बैठने का दायित्व देकर भेजते हैं, वे कितने जघन्य और निकृष्ट हैं...
आभार Kainwhiz Times
आगे भी देखते रहे धमाका .............
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