देवां-महादेवा की पावन धरती पर इमामे हरम काबा करेंगे सजदा

 जनपद के मुसलमानों में उत्साह

 नमाज पढ़ाने की जगह जहांगीराबाद किले को ले करके विरोध

सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा

बाराबंकी। देवां-महादेवा की मुबारक सरजमी पर इमामे हरम काबा शरीफ पढ़ायेंगे नमाज करेंगे सजदा। इसको लेकर मुसलमानों के साथ-साथ जिले के हर धर्म और मजहब के लोगों में खुशी फैल गयी है। लोग पांच मई के इन्तजार में अभी से तैयारियां कर रहे हैं। महिलायें भी इसमें पीछे नहीं दिख रही हैं। वहीं विवादित और अंग्रेज यूसुफकार की हत्या का सबब बने जहांगीराबाद के किले में मगरिब की नमाज पढ़ाने को लेकर मुस्लिम तंजीमों में एखतलाफ भी हो चला है। वह स्थल बदलने की मांग भी करने लगे हैं।
    इमामे हरम मौलाना डा0 शेख खालिद बिन अली अल घमदी जहांगीराबाद ऑफ टेक्नालॉजी में 5 मई को आ रहे हैं जहां वह नमाजे असर के बाद जनसमूह को सम्बोधित करेंगे एवं नमाजे मगरिब की इमामत करेंगे। मौलाना सलमान हसनी नदवी इमामे हरम के सम्बोधन को उर्दू में अनुवादित करेंगे।
    इमामे हरम उर्दू चैनल का भी उद्घाटन करेंगे जो कि जहांगीराबाद से आरम्भ किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का संजीव प्रसारण उर्दू चैनल हैदराबाद द्वारा किया जायेगा एवं इसका वेबकास्ट उर्दू टीवी लाइव लिंक के माध्यम से देखा जा सकता है। मौलाना डा0 शेख खालिद बिन अली अल घमदी सम्पूर्ण विश्व में प्रख्यात पवित्र स्थल काबा के इमाम हैं। इस प्रथम अवसर है जब बाराबंकी एवं आस पास के मुसलमानों को इमामे काबा के पीछे नमाज अदा करने का मौका मिलेगा। इस अवसर जहांगीराबाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालाजी के द्वारा प्रदत्त होगा। इस कार्यक्रम में उ0प्र0 सरकार के राज्यमंत्री फरीद महफूज किदवाई, वसीम अहमद एवं सीमावर्ती गांवों में स्थित मस्जिदों के इमाम तमाम लोगों के साथ इस कार्यक्रम में भागीदारी करेंगे। दूसरे धर्मों के सम्मानित नागरिक एवं अध्यक्ष अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग पीएल पुनिया के भी उपस्थित होने की संभावना है।
    इस दौरान जिला प्रशासन ने उक्त कार्यक्रम की सुचारू एवं सरल प्रक्रिया हेतु पार्किंग की उचित व्यवस्था की है। बाराबंकी से आने वाले समस्त वाहन इरम कालेज के समीप मुख्य सड़क से लगे मैदान में पार्क किये जायेंगे। जहांगीराबाद की ओर से आने वाले समस्त वाहन इरफान रसूल इण्टर कालेज एवं पोस्ट आफिस मैदान जो कि मस्जिद के सामने है वहां पर पार्क किये जायेंगे। अति विशिष्ट अतिथियों के अतिरिक्त अनय किसी भी प्रकार का वाहन किले के मेन गेट पर लाने की मनाही है।
    मालूम हो कि सऊदी अरब का एक पाकीजा मकाम जिसे सारी दुनियां में मक्का ए मुअज्जमा के नाम से जाना जाता है। यहीं पर कायम काबा शरीफ की फजीलत दीने इस्लाम की तारीखी में सुनहरी लफ्जों में नक्श है। जिस किसी की भी नमाज वहां अदा हो जाये उसकी तकदीर के भी क्या कहने। ऐसे मुकद्दस मकाम पर बतौर पेश इमाम नमाज का फरीजा अंजाम देने वाली शख्सियत का मुल्क हिन्दुस्तान की ओर रूख करने की खबर वास्तव मंे एक बहुत बड़ी खुशखबरी है। इससे कहीं बढ़कर देवा महादेवा की पावन सरजमी जिला बाराबंकी में आकर उनके नमाज पढ़ाने की चर्चा को लेकर मुस्लिम समुदाय फूला नहीं समा रहा। और क्यों न हो जबकि सभी को इमामे काबा के साथ एक तारीखी नमाज अदा करने का शरफ जो हासिल होने वाला
    इसी के साथ बाराबंकी जनपदवासी भी चर्चा के आधार पर इमामे काबा की राह में आंखे बिछाये हैं। यकीनन कितने पुरकशिश होंगे वह लम्हें जिनमें लोगों की नमाज इमामे काबा के साथ अदा होगी। उस वक्त एक ऐतिहासिक भीड़ इन खूबसूरत लम्हों की गवाह भी अवश्य बनेगी।
वहीं दूसरी तरफ जिले में इमामे काबा शरीफ की आमद की चर्चा अगर अपने आम में मसर्रत से भरपूर है तो जिस जगह उनके नमाज पढ़ाने की खबरें मिल रही है। वह काफी अफसोसजनक है। सुनने में आया है कि इमामे काबा शरीफ के जहांगीराबाद स्थित जहांगीराबाद एजूकेशनल ट्रस्ट में नमाज पढ़ाने के इंतजामात किए जाएंगे। जबकि जहांगीराबाद किले में ही ब्रिटानियां कम्पनी के मालिक के पुत्र यूसुफकार जो मुसलमान हो गया था हत्या कर दी गयी थी। और यहां कई ऐसी हरकते की गयी हैं जो इस्लाम और मुसलमानों की बदनामी का सबब बनी है।
इस ट्रस्ट के काले कारनामों की एक लम्बी फेहरिस्त अखबारों के पन्नों से लेकर कानूनी इंसाफगाहों तक खुलेआम नमूदार है। इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय से ले करके मुख्यमंत्री कार्यालय तक की गयी। यहां होने वाली अय्याशी का भी कई बार भण्डफोड़ हुआ। इस जगह को खरीदने से ले करके बनवाने तक और मुसलमानों को मुफ्त शिक्षा देने के ऐलान को यहां के जिम्मेदारों को पानी पिला दिया। अव्वल तो यह तालीमगाह दूसरे की जमीन पर जबरन काबिज होकर कायम की गयी है। दूसरे यह कि यहां के तालिबे इल्म के साथ जुल्म ज्यादती की हद भी यहां के कारकुनों ने पार कर रखी है और यह सब उस धनलालसा में जिसकी खातिर लोग अपना धरम ईमान तक बेंचने में भी नहीं झिझकतें। मुख्तसर यह कि इस संस्था के काले कारनामों का कच्चा चिट्ठा जिला प्रशासन और न्यायालय के गलियारों में मौजूद है तथा इनका खुलासा समाचार पत्रों ने भी समय-समय पर किया है। कहना गलत न होगा कि पूरी दुनियां मे इस्लाम के मरकज का रूतबा रखने वाले काबा शरीफ के पेश इमाम के ऐसी जगह पर नमाज पढ़ाने से कई सवाल उठेंगे। जिनके जवाब शायद किसी के पास नहीं होंगे। सूत्रों के अनुसार जहांगीराबाद किले में आने वाली जकात फितरा और मक्कये मोअजमा में होने वाली कुर्बानी के नाम से पूरे दुनिया में रक्म वसूलने का सिलसिला और तेज हो जायेगा और लोग इस पर यकीन ज्यादा मानने लगेंगे। जबकि मंजूर गौरी और ख्वाजा ने इस्लामी फण्ड की रक्म को बर्बाद करने और दुरूप्रयोग करने में ज्यादा खर्च की। सबसे बड़ी बात यह है कि इस सरजमीन के कई मुकदमें चल रहे हैं। जिस पर अदालत का आदेश भी है। नजायज जमीन पर नमाज पढ़ना या पढ़ाना इस्लाम में हराम करार दिया गया है। अब इस विवादित जमीन पर नमाज इमामे हरम को पढ़ाकर जहांगीराबाद इंस्टीटयूट के लोग एक धोखा इमामे हरम को भी देने के लिए लगे हैं। देखना यह है कि मुसलमानों के पेशवा इस जहांगीराबाद इंस्टीटयूट के जाल से इमामे हरम को कैसे बचायेंगे या आने वाला वक्त बतायेगा।
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