गोप के दांव से बेनी चारों खाने चित
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बाराबंकी। सपा के पक्ष में आए चुनाव परिणामों ने जिले की राजनीति में नया अध्याय लिख दिया है। कभी सपा सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले बेनी बाबू से लेकर अन्य बागियों की उसी सपा ने दुर्गति कर डाली। इसी के साथ पार्टी के प्रति निष्ठा ने अरविंद सिहं गोप का कद बढ़ाकर उन्हें जिले की राजनीति में समाजवाद का निर्विवाद अगवाकार भी बना दिया। जिस गोप को लेकर बेनी से लेकर छोटेलाल यादव तक ने पार्टी छोड़कर सपा मुखिया को सबक सिखाने की चुनौती दी थी उसी ने कुशल राजनीतिक दांवपेंच से सबको चारों खाने चित कर दिया।
मालूम हो कि बाराबंकी आजादी के बाद से ही समाजवादियों का गढ़ रहा है। स्वर्गीय रामसेवक यादव से लेकर बेनी प्रसाद वर्मा की यहां तूती बोलती रही है। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के बाद पार्टी में दूसरा स्थान रखने वाले बेनी बाबू ने 2007 में जिले में टिकट वितरण को लेकर सपा से नाता तोड़ लिया, इसमें सबसे बड़ा कारण बने अरविंद सिंह गोप। पर उस चुनाव में भी गोप और राजीव कुमार सिंह की जीत ने साबित कर दिया कि बेनी नहीं सपा का फैसला सही था। सपा में गोप को मंत्री बनाने से लेकर पूरी पहचान दिलाने के पीछे अमर सिंह का हाथ माना जाता रहा था। बाद में अमर सिंह ने जब पार्टी से किनारा किया तो सारी अटकलों को दरकिनार कर गोप ने सपा में ही निष्टा बनाए रखी। बेनी के बाद जिले में पार्टी मेंवर्चस्व को लेकर गोप और छोटेलाल यादव में फिर ठन गई। पार्टी ने फिर गोप पर भरोसा दिखाते हुए छोटेलाल का टिकट काट दिया। इसके बाद बेनी ने अपने धुर विरोधी छोटेलाल को हाथों हाथ लेकर कांग्रेस से टिकट दिला दिया। कई सपाइयों को तोड़कर जिले से सपा को खत्म करने की मंशा बेनी सार्वजनिक तौर पर दिखाते रहे। मुलायम पर जुबानी हमला हो या सपा पर कटाक्ष, गोप, छोटेलाल और बेनी को जवाब देने के बजाए अपनी जमीन को मजबूती देते रहे। चुनाव के दौरान बेनी के कई खासमखास लोगों को पार्टी में लाकर बेनी ने उन्हें कमजोर कर दिया। मुलायम और अखिलेश ने अपनी सभाओं में यहां तक कहा कि जिले का चुनाव गोप की सरपरस्ती में लड़ा जा रहा है। चुनाव के दौरान गोप ने अपने क्षेत्र की तरह पांच अन्य विधानसभाओं में भी उतनी ही मेहनत की। जिसका नतीजा यह रहा कि मंगलवार को आए चुनाव परिणाम के बाद सभी सीटें सपा की झोली में चली गई। ऐसी लहर जनता पार्टी और सपा-बसपा गठबंधन के दौरान भी नहंीं दिखी। मतगणना के दिन भी पार्टी के कार्यकर्ताओं और अन्य सपा प्रत्याशियों का केंद्र बिंदु गोप का घर ही रहा।
सपा प्रत्याशियों की जीत का अंतर और बागी हुए नेताओं की जो हालत परिणाम में दिखी उससे साफ हो गया कि आने वाली सरकार में जिले की सत्ता का केंद्र गोप ही रहेंगे।