ईरान को क्लीन चिट, अब खुद इजरायल की ओर शक की सुई!
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नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में इजरायली राजनयिक की गाड़ी पर हमला किसने करवाया? इस हमले की साजिश कहां रची गई? धमाके के तीसरे दिन भी ये सवाल मुंह बाए खड़े हैं। तहलका टुडे को पता चला है कि देश की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी ने बैंकॉक से सरकार को एक गुप्त रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली का हमला एक गहरी अंतरराष्ट्रीय साजिश का नतीजा था और ये साजिश अमेरिका या इजरायल में ही रची गई। रिपोर्ट मिलने के बाद ही सरकार ने ईरान को इस मामले में क्लीन चिट दे दी है।
इस हमले के कुछ ही मिनट बाद इजरायल ने इसके लिए ईरान को जिम्मेदार ठहरा दिया था लेकिन जैसे-जैसे भारतीय एजेंसियों की जांच आगे बढ़ रही है, ईरान की शक्ल धुंधलाती जा रही है। खुद देश के विदेश मंत्री ने भी ईरान को क्लीन चिट दे दी है। खुफिया विभाग की बैंकॉक यूनिट की रिपोर्ट कहती है कि दिल्ली, बैंकॉक और जार्जिया के ब्लास्ट एक समान हैं। तीनों धमाकों में लो इंटेंसिटी बम का प्रयोग किया गया। तीनों धमाकों की साजिश इजराइल या अमेरिका में ही रची गई और तीनों जगहों पर लोकल लोगों ने ही इसे अंजाम दिलाया। तीनों ब्लास्ट का मकसद किसी को मारने का नहीं था। दिल्ली ब्लास्ट में बम को जानबूझकर ड्राइवर की तरफ लगाया गया ताकि इजरायली महिला राजनयिक को ज्यादा नुकसान न पहुंचे। विस्फोट का मकसद तबाही फैलाना नहीं था बल्कि भारत और कुछ देशों के बीच मनमुटाव पैदा कर संबंधित देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करना था।
जांच में ये भी साफ हो गया है कि दिल्ली में इजरायली दूतावास की कार पर हमले से पहले कोई रेकी नहीं की गई। सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसी ने घटना से पहले और घटना के दिन उन सारे इलाकों में लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले हैं जिन-जिन इलाकों में राजनयिक की गाड़ी गई। इससे ये बात साफ हो गई कि कोई भी लाल मोटरसाइकिल पहले से उसका पीछा नहीं कर रही थी।
सवाल है कि भारत सरकार की ओर से ईरान को क्लीन चिट देना और भारतीय खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट में ये कहना कि साजिश अमेरिका या खुद इजरायल में ही रची गई आखिर किस ओर इशारा कर रहा है? क्या वाकई ईरान के इन दावों में अब और दम आता दिख रहा है कि खुद इजरायल ने ये धमाका अपनी बदनाम सीक्रेट सर्विस मोसाद के जरिये करवाया? सूत्रों के मुताबिक जांच की सुई 15 दिन पहले हुई एक घटना की ओर मुड़ रही है।
15 दिन पहले खुफिया एजेंसी रॉ ने केरल के कोच्चि में इजरायल के एक दंपति को संदिग्ध गतिविधियों के लिए पकड़ा। पूछताछ के बाद उन्हें वापस इजरायल भेज दिया गया। ये पति-पत्नी कई महीने से यहां रह रहे थे और मकान के लिए बाजार दाम से कहीं ज्यादा किराया अदा कर रहे थे। शक ये था कि ये दंपति देश विरोधी गतिविधियां कर रहा था और इस काम में वहीं का एक शख्स इनका मददगार साबित हो रहा था। इजरायली दूतावास की गाड़ी पर बम से किए गए हमले से इस दंपति का कोई लेना-देना है या नहीं, इसकी जांच के लिए एक टीम को कोच्चि भेजा गया है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक केरल के अलावा जांच एजेंसियों की टीम महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश भी भेजी गई है। सूत्रों के मुताबिक जो टीमें जांच के लिए भेजी गई हैं वो केरल में सक्रिय कई आतंकी संगठनों की छानबीन में लगी हैं। इसमें नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट और इस्लामिक यूथ सेंटर का नाम सबसे ऊपर है। इन दोनों को सिमी नियंत्रित करती है। माना जा रहा है कि इन्हीं संगठनों से जुड़े लोगों ने इस हमले को अंजाम दिया। नाम तो लश्कर-ए-तैयबा का भी लिया जा रहा है। अकेले केरल में सिमी से जुड़े 12 आतंकी संगठन सक्रिय हैं। इनमें से दो तिरुवनंतपुरम, एक कोच्चि औऱ एक कोन्डोती और मल्लापुरम में है।
पहले भी इस बात के सबूत मिले हैं कि इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ इस तरह के हथियार इस्तेमाल करता रहा है। फिलिस्तीन और दूसरे अरब देशों में इसके उदाहरण मिले हैं। शुरुआत में इसे काउंटर इंटेलिजेंस का तरीका माना जाता रहा लेकिन जानकारों की मानें तो ये मुमकिन है कि इस तरीके का इस्तेमाल कुछ खास मिशन के लिए भी किया जा सकता है।
विस्फोट के लिए इस्तेमाल केमिकल की जांच भी इसी थ्योरी की ओर इशारा करती है। सूत्रों के मुताबिक जो सफेद केमिकल बम लपेटने के लिए इस्तेमाल किया गया था, वो दरअसल प्रेशर बम का हिस्सा था। प्रेशर बम का इस्तेमाल इजरायल में टैंक उड़ाने के लिए किया जाता है। उधर इजरायली दंपति की जांच कर रही खुफिया एजेंसियों के मुताबिक ये दोनों कई आतंकी संगठनों के संपर्क में भी थे। वैसे, गृह मंत्रालय अब तक कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। लेकिन मंत्रालय इस बात से भी इंकार नहीं कर रहा कि ये काम अंतरारष्ट्रीय और स्थानीय संगठनों के गठजोड़ का नतीजा है।