बाराबंकी के गांवों में राष्ट्रीय पक्षी की रौनक
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बाराबंकी, राष्ट्रीय पक्षी मोर से समृद्ध है जिला। खासकर नगर के समीपवर्ती गांवों में मोर के झुंड हर गांव के खेतों में देखे जा सकते हैं। खसपरिया माती क्षेत्र गंज, केवाड़ी, मिश्रनपुरवा, तिलकपुरवा, बस्ती के अमूमन हर बाग, जंगल व खेतों से लेकर घरों की छतों तक दर्जनों की तादाद में विचरण करते मोर दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बिंदु बने हुए हैं।
बंकी विकास खंड लखनऊ सीमावर्ती सफेदाबाद क्षेत्र में यूं तो हरे भरे बाग व जंगलों की अंधाधुंध कटान के बाद प्लॉटिंग और भवनों का निर्माण कार्य जोर शोरों पर है। इसके बावजूद क्षेत्र में तमाम वन्य जीव सियार शाही व अन्य लुप्तप्राय प्राणियों सहित अनेक किस्म के परिंदों समेत राष्ट्रीय पक्षी मोर भारी भरकम पंख लिए घरों की छतों पर बैठे दिखते हैं। क्षेत्र में मोर और अन्य पखेरुआ की अधिक तादात होने की बाबत ग्रामीणों का कहना है कि आमतौर पर हर किसान परिवार जीव जंतुओं के प्रति उदार रवैया अपनाता है। पक्षियों से फसलों का नुकसान होने पर वो एक ही बात राम चिरैय्या रामै खेत, खाउ चिरैय्या भर भर पेट। कहते हैं कि कई बार शिकारियों से संघर्ष की घटनाओं के बाद अब क्षेत्र में बगुला, तीतर, बटेर, तिलोरी, बेहना, कटनास, धनेश, बुलबुल, पेढ़ुकी, वनमुर्गी, सारस सहित भांति भांति के पखेरुओं की भारी तादाद क्षेत्र में प्रकृति सुषमा में चार चांद लगा रही है। मिश्रनपुरवा के रामू मिश्र, दानियालपुर के ग्राम प्रधान रमेश वर्मा ने बताया कि हम लोग काफी देखभाल रखते हैं। जिससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
बंकी विकास खंड लखनऊ सीमावर्ती सफेदाबाद क्षेत्र में यूं तो हरे भरे बाग व जंगलों की अंधाधुंध कटान के बाद प्लॉटिंग और भवनों का निर्माण कार्य जोर शोरों पर है। इसके बावजूद क्षेत्र में तमाम वन्य जीव सियार शाही व अन्य लुप्तप्राय प्राणियों सहित अनेक किस्म के परिंदों समेत राष्ट्रीय पक्षी मोर भारी भरकम पंख लिए घरों की छतों पर बैठे दिखते हैं। क्षेत्र में मोर और अन्य पखेरुआ की अधिक तादात होने की बाबत ग्रामीणों का कहना है कि आमतौर पर हर किसान परिवार जीव जंतुओं के प्रति उदार रवैया अपनाता है। पक्षियों से फसलों का नुकसान होने पर वो एक ही बात राम चिरैय्या रामै खेत, खाउ चिरैय्या भर भर पेट। कहते हैं कि कई बार शिकारियों से संघर्ष की घटनाओं के बाद अब क्षेत्र में बगुला, तीतर, बटेर, तिलोरी, बेहना, कटनास, धनेश, बुलबुल, पेढ़ुकी, वनमुर्गी, सारस सहित भांति भांति के पखेरुओं की भारी तादाद क्षेत्र में प्रकृति सुषमा में चार चांद लगा रही है। मिश्रनपुरवा के रामू मिश्र, दानियालपुर के ग्राम प्रधान रमेश वर्मा ने बताया कि हम लोग काफी देखभाल रखते हैं। जिससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
घटते तोते चिंता का विषय
क्षेत्र में यूं तो अनगिनत पखेरुओं व जीव जंतुओं का आश्रय है। मगर मीठी बोली के लिए जाने जाने वाले तोता (सुआ) की तादाद काफी घट गई है। जिसे लेकर मिश्रनपुरवा के अजय मिश्र, राजकमल तथा डुबकी पुरवा के राम प्रकाश वर्मा कहते हैं कि अब आम तौर पर किसान मक्का व दलहनों की जगह मेंथा की खेती पर जोर देता है। जिसके चलते उसे मनमानी आहार चुनने खाने को नहीं मिलता। फलस्वरूप तोतों की तादात घटती जा रही है।