विरोधियो पर हमला कर अपनी नाक बचाने में लगे राहुल गाँधी



अंबरीश कुमार
आजमगढ़, उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी अब मायावती और मुलायम को सीधी चुनौती दे रहे हैं। पूर्वांचल के दौरे पर निकले राहुल गांधी की भाषा तेवर और अंदाज अब बदल चुके हैं। अब वे इंदिरा गांधी की तरह विरोधियों पर सीधा हमला कर रहे हैं। राहुल ने जब राजनीति में कदम रखा था और उत्तर प्रदेश के राजनीतिक अखाड़े में उतरे  तब से इस संवाददाता को उनकी राजनीति को करीब से देखने का मौका मिला है। अब उन्हें राजनीति में बच्चा नहीं माना जा सकता। मंगलवार की आजमगढ़ की जनसभा में जिस अंदाज में उन्होंने मुसलमानों के सवाल पर प्रदेश के दोनों बड़े नेताओं को घेरा वह बेमिसाल था।
राहुल ने मुसलमानों के आरक्षण का सवाल उठाते हुए कहा- हमने जब आरक्षण दिया तो ये कह रहे हैं- कम है अठारह फीसद देना चाहिए। मैं पूछता हूं जब ये सत्ता में थे, तो क्यों नहीं आरक्षण दिया। देना है तो अपने घोषणा पत्र में लिखें कि सत्ता में आने के बाद मुसलमानों को अठारह फीसद आरक्षण देंगे। राहुल की बात लोग इसलिए भी गंभीरता से ले रहे हैं क्योंकि आजादी के बाद कांग्रेस के संभवत पहले बड़े नेता हैं जो गांव, गरीब और किसान की सिर्फ बात ही नहीं कर रहे बल्कि उनके बीच जाकर राजनीति का ककहरा भी सीख रहे हैं।
राहुल के तेवर में यह बदलाव लोगों को भीतर तक छू जा रहा है। राहुल अपनी सभाओं में कहते हैं -क्या आपने कभी मायावती जी को अपने गांव में अपने बीच देखा है। जो नेता आम लोगों के बीच नहीं जाएगा, वह गरीबों का दुख दर्द क्या समझेगा। राहुल की नई छवि नाराज नौजवान की है जो अब काफी आक्रामक तेवर में अपनी बात लोगों के सामने रख रहा है। राहुल ने जब राजनीति में कदम रखा था तो जो शैली उनकी थी उसपर लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग के प्रोफेसर आशुतोष मिश्र ने कहा था -उत्तर प्रदेश जिस सामाजिक उठा पटक से गुजरा है उसमें यहां मार डालो, काट डालो वाली राजनीति हावी रही है। ऐसे में राहुल की एनजीओ वाली शैली ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाएगी। इसलिए
उन्हें आक्रामक शैली अपनानी चाहिए। यह टिपण्णी कुछ साल पुरानी है और अब राहुल जिस अंदाज में हमला कर रहे हैं उससे विरोधी जल्दी विचलित हो रहे हैं।
मंगलवार को राहुल ने आजमगढ़ की सभा में जब मनरेगा का हवाला देते हुए कहा कि यह हमने किसी जाति के लिए नहीं क्या तो तालियों से जनसभा गूंज गई। राहुल गांधी ने गरीबों, वंचितों और गरीबों का सवाल उठाया कहा-जो पैसा इन योजनाओं में आता है वह मनमोहन सिंह का पैसा नहीं है, आडवाणी का पैसा नहीं है, मायावती का पैसा नहीं है। यह तो आपका पैसा है, आपके खून पसीने का पैसा है जो आपको ही हम लौटा रहे हैं। इस टिपण्णी पर राहुल गांधी जिंदाबाद के नारे से माहौल गूंज उठा। राहुल ने आगे कहा- हम चाहते हैं एक बच्चा भी भूखा न सोने पाए।
पहले तो मायावती राहुल के हर दौरे के बाद लंबा चौड़ा बयान जारी करती थी पर अब तो प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य उनके भाषणों का लगता है इन्तजार करते हैं और फौरन प्रतिक्रिया देते हैं। पूर्वांचल में राहुल की दो टिपण्णी बहुत मशहूर हो चुकी हैं। राहुल ने गोरखपुर में कहा था-भाजपा ने पहले राम को बेचा अब बाबू सिंह कुशवाहा ने उसे खरीद लिया है। इस बयान पर भाजपा किस कदर बिगड़ी थी वह उनके नेताओं की  टिपण्णी से सामने आ चुका है। इससे पहले राहुल का- लखनऊ में बैठा जादुई हाथी पैसा खा जाता है, काफी लोकप्रिय हो चुका है। राहुल अब धारा प्रवाह बोलते हैं जो लिखा हुआ भाषण तो नहीं हो सकता। जिसमें बीच-बीच में राजनीतिक  चुटकुले और गांवों में बिताए समय के अनुभव भी होते हैं। जबकि मायावती आज भी आमतौर पर लिखित भाषण पढ़ती हैं जो इतनी क्लिष्ठ हिंदी में होता है कि कई बार लोग समझ नहीं पाते। दूसरे वे अपने अनुभव नहीं बल्कि जो जानकारी दी जाती है उसके आधार पर बोलती हैं।
मायावती जहां दलितों की जातीय गोलबंदी की कोशिश करती हैं वहीं राहुल हर तरह की जातीय गोलबंदी को तोड़ने की कोशिश करते हैं। फिरोजाबाद में यही हुआ था और यादवों के गढ़ में राजबब्बर जीते थे। इसलिए राहुल गांधी लोगों को पसंद आ रहे हैं।

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