पूर्वांचल राज्य बना तो...माफिया चलाएंगे सरकार

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उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के प्रदेश के विभाजन के प्रस्ताव का मुंबई के भाजपाइयों और दबी जुबान से कांग्रेसियों के अलावा आम मुंबईकर उत्तर भारतीय भी इसे गलत मान रहे हैं. उनका कहना है कि प्रदेश का विभाजन कर पूर्वांचल राज्य बना तो पूरी सरकार माफियाओं के कब्जे में होगी. पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों पर नजर डालें तो परोक्ष-अपरोक्ष रूप से हर जिले पर किसी न किसी माफिया का कब्जा है. जौनपुर के सांसद धनंजय सिंह, जेल में बंद माफिया मुन्ना बजरंगी, आजमगढ़ के सांसद रमाकांत यादव और उमाकांत यादव, वाराणसी में ब्रजेश सिंह, भदोही में विजय मिश्र, गाजीपुर और मऊ में मुख्तार अंसारी, बलिया में भोला पांडेय और पप्पू सिंह, गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी, गोंडा में ब्रजभूषण सिंह, रायबरेली में संजय सिंह, अशोक सिंह, फैजाबाद में राकेश पाण्डेय व पवन पाण्डेय और इलाहाबाद में अतीक अहमद का शासन चलेगा. ऐसी स्थिति में पूर्वांचल राज्य बनने की स्थिति में वहां विकास नहीं, बल्कि पूरे राज्य का विनाश हो जाएगा.
मुंबई में बड़ी संख्या में उत्तर भारतीय रहते हैं. इसमें सर्वाधिक उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल से ही आते हैं. पूर्वांचल के लोगों ने यहां राजनीति, उद्योग व फिल्म इंडस्ट्री सहित सभी क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है. दरअसल कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की उत्तर प्रदेश में सक्रियता से परेशान मायावती उत्तर प्रदेश को पूर्वांचल सहित चार भागों में बंटाने का शगूफा छोडक़र लोगों का ध्यान बांटने की कोशिश कर रही हैं. मुंबई में रहने वाले पूर्वांचलवासियों का मानना है कि इससे भले ही मायावती को राजनीतिक लाभ मिले, पर अलग पूर्वांचल से वहां के लोगों को कुछ नहीं मिलने वाला है. पूर्वांचल राज्य का विरोध करने वालों का मानना है कि नेतृत्व काबिल न हो तो छोटे राज्य भी विकास की गारंटी नहीं हो सकते.
पूर्वांचल में माफियाओं का राज चलता है. अब ये माफिया राजनीति का चोला पहन चुके हैं. अलग पूर्वांचल राज्य का विरोध करने वालों का विरोध के पीछे तर्क यह है कि अपने बड़े आकार के चलते देश की राजनीति तय करने वाले उत्तर प्रदेश के विभाजन से इस राज्य की राजनीतिक ताकत घटेगी, जिसकी वजह से राज ठाकरे जैसों को पूर्वांचलवासियों (पूर्वांचल राज्य बना तो) पर निशाना साधना और आसान हो जायेगा. यह वही मायावती हैं, जिन्होंने कभी राज ठाकरे की घटिया राजनीति की मुखालफत नहीं कीं, क्योंकि उन्हें दलित बाहुल्य महाराष्ट्र में अपनी पार्टी बसपा का भविष्य उज्ज्वल नजर आ रहा था. आज पूर्वांचल की अर्थव्यवस्था मुंबई, दिल्ली, कोलकाता जैसे शहरों में रहने वाले मेहनतकश पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों के कंधों पर टिकी है. इन शहरों से मनिऑर्डर न जाये तो कई घरों में चूल्हे न जलें. मुंबई में रहने वाले पूर्वांचल के लोगों को आशंका है कि पूर्वांचल राज्य बना तो इस बात की संभावना अधिक है कि इस इलाके के माफिया ही इस राज्य का मुख्यमंत्री तय करेंगे. कल्पना की जा सकती है कि ऐसी परिस्थिति में पूर्वांचल का भविष्य कैसा होगा.
लेखक विजय सिंह कौशिक नवभारत, मुंबई में सीनियर रिपोर्टर हैं.