क्या इजराइल के पास हैं जवाब...


If you want to make peace, you don't talk to your friends. You talk to your enemies.

ये कहावत अंग्रेजी में जरूर है लेकिन मुझे यकीन है कि हिबरू भाषा में भी इससे मिलती-जुलती कोई न कोई कहावत जरूर होगी। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा मसला हो जिसका हल बातचीत से नहीं निकल सकता हो। हो सकता है कि उसमें वक्त थोड़ा ज्यादा लगे, हो सकता है कि उसका असर एकदम से दिखाई न दे लेकिन जो फैसले टेबल पर बैठ कर लिए जा सकते हैं वो शायद जंग के मैदान में मुमकिन नहीं।

गाजा में चल रहे नरसंहार को इजराइल भले कितना ही सही ठहराए, अमेरिकी सरकार भले की शुतुरमुर्ग की तरह हर चीज से नजर फेर ले लेकिन सच्चाई यही है कि जिस मंजिल तक पहुंचने के लिए इस राह को चुना गया है वो मंजिल इस रास्ते के दूसरी तरफ है।

गाजा पर हुए हमले के बाद से इजराइल की पीआर मशीन पूरी शिद्दत से अपने आप को सही साबित करने में जुटी हुई है। हर टीवी चैनल, हर अखबार में इजराइली नुमाइंदे (जिसमें न्यू यॉर्क के गवर्नर ब्लूमबर्ग भी शामिल हैं) एक ही बात कह रहे हैं- इस जंग का मकसद है, शांति। लेकिन मैं इजराइली सरकार से तीन सवाल पूछना चाहता हूं। वो तीन सवाल जिसका जवाब अगर इजराइल ने खुद तलाश लिए होते तो सैकड़ों बेकसूरों को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ती।

पहला और सबसे अहम सवाल तो यही है कि क्या दक्षिणी इजराइल को हमास के रॉकेटों से बचाने ये इकलौता तरीका है?

जी नहीं। 2005 में गाजा से हटने के बाद से इजराइली सरकार ने गाजा को एक ओपन एयर जेल में तब्दील कर दिया। एक ऐसी जेल जहां जिंदगी की आम जरूररियात का सामान मुशकिल से नसीब होता है। अगर इजराइल गाजा की नाकेबंदी खत्म कर देता तो हमास को एक जिम्मेदार सरकार की तरह काम करने का मौका मिल जाता और रॉकेटों का सिलसिला अपने आप ही थम जाता। वैसे भी इस हमले के बाद किसी भी शांति प्रस्ताव में गाजा से नाकेबंदी हटाने की शर्त जरूर शामिल होगी। यानी अव्वल और आखिर इजराइल को गाजा की सीमाओं को खोलना ही पड़ेगा।

दूसरा सवाल ये कि अगर इजराइल का मकसद हमास को कमजोर करना है तो क्या जो रास्ता उसने चुना है वो सही है?

मेरे ख्याल से जो रास्ता इजराइल ने इख्तियार किया है वो हमास को कमजोर करने के बजाए उसे उल्टा मजबूत कर देगा। बात बिल्कुल सीधी है या तो इजराइली थिंक टैंक अभी तक अरब मानसिकता को समझा नहीं है या समझना ही नहीं चाहता क्योंकि अगर उनकी सोच ये है कि गाजा पर हमले से गाजा के लोग हमास के खिलाफ हो जाएंगे तो ये बिल्कुल गलत है। उजड़े घर, तबाह शहर और मासूम बच्चों की लाशों के मंजर गाजा के लोगों को इजराइल के खिलाफ ही करेंगे और अगर हमास के लोग इस लड़ाई में हिज्बुल्लाह जैसी कारगुजारी दिखा पाए तो वो अपने लोगों की नजरो में हीरो बन जाएंगे।

तीसरा सवाल ये कि क्या गाजा में कहर बरपाने के बाद इजराइल को अरब दुनिया में ऐसे लोग मिल पांएगे जिनसे वो शांति की बात कर सके?

मेरे हिसाब से नहीं, क्योंकि इजराइल का ये कदम उन्हीं लोगों को सबसे ज्यादा कमजोर कर रहा है जिसका रुख इजराइल की तरफ नरम है। गाजा पर हुए हमले ने महमूद अब्बास जैसे लोगों को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया है और अब इजराइल से बातचीत की कोई भी पहल उनको अपने ही लोगों की नजरों से गिरा देगी।

इजराइल के मुताबिक गाजा पर इजराइली हमले का मकसद इराक की तरह गाजा की सरकार को बदलना नहीं है बल्कि गाजा के गणित को इस तरह से तब्दील करना है कि हमास को इजाराइल पर रॉकेट दागना घाटे का सौदा लगने लगे लेकिन इस लड़ाई का अंत कैसे और क्या होगा इसका अंदाजा खुद इजराइल को भी नहीं है। खैर, इस जंग से इजराइल ने अगर कुछ हासिल किया है तो वह है सिर्फ और सिर्फ नफरत। एक ऐसी नफरत जो इजराइल में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में तबाही ला सकती है।

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