आओ-आओ,तुम्हारी कब्र तैयार है !

तेहरान:ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने रविवार को अमेरिका और इजरायल के खिलाफ तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया के देश लतिया कर अमेरिका को क्षेत्र से बाहर कर देंगे। उन्होंने अमेरिका पर हाल की अपनी सबसे तीखी टिप्पणी में कह ‘यदि आप क्षेत्र नहीं छोड़ते हो तो आपको पता होना चाहिए कि जल्द ही क्षेत्र के देश पीछे लात मारकर तुम्हें निकाल देंगे।’
अहमदीनेजाद ने अमेरिका पर 11 सितंबर को हुए आतंकी हमले पर भी नए सिरे से संदेह जताए हैं। उन्होंने तेहरान के बाहर एक आवासीय परियोजना की शुरुआत के मौके पर कहा ‘हमारे पास 11 सितंबर के हादसे के बारे में सैंकड़ों निरुत्तर सवाल हैं, जिनका जवाब उन्हें देना चाहिए और हम इस पर पीछे नहीं हटेंगे।’
अहमदीनेजाद ने पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमेरिकी सरकार पर 11 सितंबर 2001 के हमले में शामिल होने का आरोप लगाते हुए अमेरिका और दुनिया के अन्य हिस्सों में बखेड़ा खड़ा कर दिया था। अमेरिका और इजरायल ने ईरान पर परमाणु हथियार रखने का आरोप लगाता रहा है और उसके परमाणु अभियान कार्यक्रम की राह में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं। उधर, ईरान कहता रहा है कि उसके परमाणु कार्यक्रम का शांतिपूर्ण मकसद है। विश्व समुदाय के लाख दबाव के बावजूद परमाणु मिसाइल बनाने की कगार पर पहुंच चुके ईरान का पिछले दिनों अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के साथ खासा विवाद हुआ। वजह साफ़ थी, अमेरिका नहीं चाहता ईरान परमाणु बम बनाए।
अहमदीनेजाद ने अपने भाषण में कहा कि विश्व में कुछ लोग मानते हैं कि 2001 में न्यूयॉर्क पर हुआ आतंकी हमला खुद अमेरिका ने कराया था। ताकि उसकी गिरती अर्थव्यवस्था सुधर सके और मध्य एशिया में उसकी पकड़ और इजरायल की सत्ता बनी रहे।
ईरान के ऐसे बयान पर भड़के अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और अहमदीनेजाद के इस बयान को घृणित और अपमानजनक बताया है।ईरान और अमेरिका की इस तनातनी से इस क्षेत्र में भीषण युद्ध छिडने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
आइए नज़र डालते हैं अब तक के सारे विवाद पर...
अमेरिका द्वारा ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के मार्फ़त बनाए जा रहे दबाव से इतर ईरान के शीर्ष नेतृत्व ने भी स्पष्ट कर दिया की देश के परमाणु संयंत्रों में काम बदस्तूर जारी रहेगा और ईरान किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेगा
अमेरिका और ईरान के बीच हुई इस तनातनी का नतीजा यह निकला कि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध छिडने की आशंका व्यक्त की जाने लगी, वहीं ईरान द्वारा रह रह कर दिए जा रहे बयानों से ये साफ़ होता जा रहा था कि बातचीन का रास्ता अब धीरे धीरे बंद हो रहा है
क्यूं है सारा विवाद
आईएईए की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षा परिषद के कड़े प्रतिबंधों और अमेरिका सहित विश्व समुदाय के भारी दबाव के बावजूद ईरान संवर्धित यूरेनियम तैयार कर रहा है। हाल ही में जारी की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान के वैज्ञानिकों ने लगभग 22 किलो संवर्धित यूरेनिय बनाने में सफलता हासिल कर ली है। आईएईए ने अपनी गोपनीय रिपोर्ट में कहा है कि ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम की जाँच के काम में बाधा डाली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान उसने परमाणु एजेंसी के इंस्पेक्टरों के चुनाव पर बार-बार आपत्ति की है और ईरान इंस्पेक्टरों को वो जानकारी नहीं उपलब्ध करा है जो वो चाहते हैं।
परमाणु केंद्र पर हमले की तैयारी
एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार संडे हेराल्ड– में छपी रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले कर सकता है और इसके लिए तैयारियों में तेजी ला रहा है। इसके तहत वह हिंद महासागर में डिएगो गार्शिया स्थित अपने एयर बेस पर सैकड़ों बंकर बस्टर बम पहुंचाने में लगा है।
इस रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिकी सरकार ने जनवरी में कैलिफोर्निया से 10 हथियार कंटेनरों को डिएगो गार्शिया तक पहुंचाने के लिए सुपीरियर मेरीटाइम सर्विसेज से ठेके पर दस्तखत किए थे। बताया जाता है कि ईरान के महत्वपूर्ण परमाणु प्रतिष्ठान भूमिगत हैं तथा इस प्रकार के बम उन्हें निशाना बनाने के लिहाज से प्रभावी हैं।
वहीं अमेरिका के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन माइकमूलेन ने हाल ही में कहा था कि अमेरिकी सेना के पास ईरान पर हमले की आपात योजना है।
ईरान ने भी किया पलट वार
अमेरिका के इस रुख पर ईरान ने आक्रामक तेवर अपनाते हुए कहा कि हमले की स्थिति में मरने वाले अमेरिकी सैनिकों को दफनाने के लिए उसने बड़े पैमाने पर कब्र पहले ही खोद ली हैं। अमेरिकी सैनिक ईरान की मिट्टी पर कदम रखने से पहले ही मारे जाएंगे।
ईरान की धमकी का सीधा मतलब है कि उस पर सैन्य हमले से क्षेत्र में भीषण युद्घ छिड़ सकता है। ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड के कमांडर जनरल हुसैन कानानी मोगदम के मुताबिक, अमेरिकी सैनिकों के लिए कब्र मुल्क के दक्षिण-पश्चिम खूजेस्तान प्रांत में खोदी गई हैं। यहीं ईरान-इराक युद्घ में मारे गए इराक के सैनिकों को दफनाया गया था।
अमेरिका को सीधी धमकी
ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने ईरान-अमेरिका मसले पर अपना मुंह खोलते हुए कहा है कि यदि उनके देश के परमाणु संयंत्रों पर हमला होगा तो ऐसा युद्ध छिड़ेगा, जिसकी कोई सीमा नहीं होगी।न्यूयॉर्क में अमेरिकी मीडिया मालिकों और संपादकों से मुलाकात के दौरान अहमदीनेजाद ने कहा कि अमेरिका यह नहीं समझता कि युद्ध कैसा होता है। जब युद्ध शुरू हो जाता है तो वह कोई सीमा नहीं देखता।
ताकतवर है ईरान
अमरीकी रक्षा मंत्नालय का कहना है कि ईरान सन 2015 तक ऐसी मिसाइल का निर्माण करने में सक्षम हो जाएगी जिसकी मारक क्षमता अमरीका तक होगी
ईरान संभवत: सन 2015 तक इंटरकांटिनेंटल बेलिस्टिक मिसाइल(आईसीबीए) का विकास कर लेगा जिसकी पहुंच अमरीका तक होगी
‘फतह-110’-
जमीन से जमीन पर मार करने वाली नई मिसाइल ‘फतह-110’ ईरान की शान है। ‘फतह-110’ को ईरान के ‘एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज आर्गनाईजेशन’ ने तैयार किया है। ‘फतह-110’ द्वारा इजरायल सहित क्षेत्र के अन्य देशों को लक्ष्य बनाया जा सकता है।
क्याम मिसाइल-
वहीं सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल क्याम के प्रक्षेपण के फौरान बाद ईरान ने दावा किया कि जमीन से जमीन पर मार करने वाली यह मिसाइल दुनिया की सबसे उन्नत मिसाइल है।बताया जा रहा है कि यह नई मिसाइल में उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया गया है और यह आसानी से दुश्मन की पकड़ में नहीं आ सकती है।
शहाब 3 और सज्जिल मिसाइल -
शहाब-3 व सज्जिल मिसाइलों की मारक क्षमता 2000 किमी तक है। इस दायरे में पूरा इजरायल तथा खाड़ी क्षेत्र में अमेरिकी फौजी ठिकाने तो आते ही हैं, भारत का आधे से ज्यादा हिस्सा, पूरा पाकिस्तान तथा इराक, सऊदी अरब व कजाकिस्तान भी आते हैं। आपको बता दें कि सैन्य बल के मामले में जहां अमेरिका दुनिया का नम्बर एक देश है वहीँ ईरान 18वे स्थान पर है।
आईए नज़र डालें ईरान और अमेरिका की सैन्य शक्ती पर...
ईरान
सक्रिय सैन्य कर्मी : 5,45,000
रिजर्व सैन्य कर्मी: 3,50,000
सक्रिय अर्द्धसैनिक इकाइयां : 1,13,90,000
टैंक: 1613
कुल विमान: 331
हेलीकाप्टर: 84
कुल नौसेना जहाज: 65
पनडुब्बियां: 3
अमेरिका
सक्रिय सैन्य कर्मी: 1385122
रिजर्व सैन्य कर्मी: 1458500
सक्रिय अर्द्धसैनिक इकाइयां: 453000
कुल विमान: 18169
हेलीकाप्टर: 4593
कुल नौसेना जहाज: 1559
पनडुब्बियां: 75