दरियाए तबाही बनी घाघरा



 चरसरी एल्ग्रिन बांध ढहने से बाराबंकी और गोंडा के दर्जनों गाँव में बर्बादी
दर्जनों लापता,बच्चे भूखे ,बीमार परेशान ,कोई नहीं पुरसाने हॉल  
गुस्साए लोगो  ने बाढ़ कार्य खंड के एक अभियंता की पिटाई कर  सरकारी गाड़ी तोड़ डाली
तहलका टुडे टीम 
बाराबंकी। घाघरा नदी पर बने चरसरी एल्ग्रिन बांध ढहने से बाराबंकी और गोंडा के दर्जनाें गांवाें में तबाही मच गई। परसावल गांव में छप्पर के नीचे दबने से एक महिला की मौत हो गई। लापता हुए करीब बीस बच्चाें की तलाश के लिए उनके परिजन भटकते रहे। सैकड़ाें जानवर नदी में बह गए। तबाही का आलम यह था कि जो जहां था, वहीं जान बचाकर भागा। स्कूल में पढ़ रहे बच्चाें को पूरे दिन विद्यालय की छत पर बिठाए रखा गया। शाम को उन्हे निकाला जा सका। इस बीच बांध ढहने से गुस्साए ग्रामीणाें ने बाढ़ कार्य खंड के एक अभियंता की पिटाई कर दी और उनकी सरकारी गाड़ी तोड़ डाली। हालात बेकाबू होते देख मौके पर पहुंचे आला अधिकारियाें ने पुलिस पीएसी के साथ ही सेना के जवानाें को बुलाकर राहत कार्य में जुटाया है। देर रात तक बाढ़ में फंसे लोगों को बाहर निकालने का कार्य जारी था। जिलाधिकारी विकास गोठलवाल ने किसी बच्चे के लापता होने की बात से इंकार किया है। बाढ़ से घिरे गांव को खाली कराया जा रहा है। हालात की गंभीरता को देखते हुए बाढ़ मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने पूरे इलाके का आधे घंटे तक हवाई सर्वेक्षण किया।
शनिवार की सुबह गोंडा बाराबंकी सीमा पर घाघरा नदी के किनारे चरसरी एल्ग्रिन बांध करीब तीन सौ मीटर टूट गया। बांध टूटते ही परसावल और गोड़ियनपुरवा में देखते ही देखते पानी का बहाव इतना तेज था कि लोग घर छोड़कर भाग भी नहीं पाए, न ही अपना सामान समेट सके। घाघरा के तेज बहाव से बाराबंकी के दर्जनाें गांवाें के अलावा गोंडा के भी सैकड़ाें गांवाें में पानी पहुंच गया है। हादसे से आक्रोशित लोगों ने गोंडा बाढ़ खंड के एक अभियंता की पिटाई कर गाड़ी तोड़ डाली। ग्रामीणों का आरोप था कि कई दिन से चल रहा मरम्मत कार्य में विभाग द्वारा ढिलाई बरतने के कारण बांध ढह गया। परसावल गांव में ५५ वर्षीय गुरूपता पत्नी रामधीरज की छप्पर के नीचे दबकर मौत हो गई। यही हालात परसावल मजरे गोड़ियानपुरवा के थे। पानी का बहाव देखकर जो जहां था, वह वहीं से भाग लिया। घराें में फंसे कई बच्चाें के गायब होने की सूचना से हड़कंप मच गया। परसावल निवासी रघुनाथ ने बताया कि उनके चार बच्चे सोनू ७, सीमा ५, राहुल ४ व दिनेश ढाई वर्ष लापता हो गए हैं। यहीं के उमाशंकर अपने बेटे अमर ६ व रामबरन साढ़े ४ वर्ष की तलाश में भटक रहे थे। इस गांव के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई कर रहे बच्चों को विद्यालय की छत पर सुरक्षित बिठाया गया, जिन्हे देर शाम बाहर निकाला जा सका। बाढ़ पीड़ित गांव नैपुरा, कमियार, रायपुर के तीन हजार लोगाें को बाहर निकाला गया है, फिर भी गांव में अधिकांश लोग फंसे हुए हैं, इन्हे निकालने के लिए पुलिस, पीएसी के जवान और स्थानीय नावें लगाई गई हैं। डीएम विकास गोठलवाल, समेत सभी अधिकारी मौके पर जमे हुए थे।  डीएम विकास गोठलवाल ने बताया कि ड्रेगन लाइट व जेनरेटर लगाकर बाढ़ प्रभावित गांव खाली कराए जा रहे हैं। जो लोग बाहर आ गए हैं, उनके खाने व रहने का इंतजाम शुरू करा दिया गया है


गोण्डा जिले में  घाघरा के कछार में बसे एक दर्जन गांवों में पलक झपकते ही सब कुछ बह गया। लोग कुछ समझ पाते व सम्भल पाते तब तक घाघरा ने उन्हें आगोश में ले लिया।
शनिवार को सुबह करीब सवा नौ बजे का वक्त था। कोई सोकर उठा था तो कोई चूल्हा चौका का इंतजाम कर रहा था। कोई खेत गया था कि घाघरा नदी के किनारे बना एल्गिन चरसड़ी बांध अचानक कट गया।
घरघराती हुई घाघरा गांवों में जा पहुंची। जो लोग घर से बाहर थे वे तो किसी तरह बच निकले बाकी महिलाएं, बच्चे व वृद्ध गांव में ही फंस गये। कोई छप्पर पर चढ़ गया तो कोई पेड़ पर। परसावल में बने प्राथमिक विद्यालय की छत पर सैकड़ों लोग जाकर बैठ गये। चारो तरफ से चीखने चिल्लाने व बचाओ-बचाओ की आवाज आ रही थी। लेकिन बांध पर उपस्थित अधिकारी हों या अपने सभी बेबस थे। सभी को इंतजार था गांव से निकलने के साधन का। काफी देर बाद पीएसी की दो मोटर बोटें तथा एक निजी नाव मंगायी गयी जिससे गांव वालों को बाहर निकालने का क्रम देर शाम तक चलता रहा। लोग अपने बदन पर जो कपड़े पहने थे वही पहने भागे। कुछ लोग सिर पर चारपाई भी लादकर ला रहे थे। कुछ माताएं बच्चों के लिए कुछ रोटियां साथ ले आयीं। परसावल के साधू ने बताया कि वह जैसे था वैसे भाग आया। इसी गांव की मझिला, निर्मला, सुनीता, शिवपता,ननका, शीला, जुगना, पार्वती आदि महिलाओं ने बताया कि वे जान बचाकर किसी तरह बंधे पर नाव से आ पायीं। तमाम लोग अभी गांव में फंसे हैं।
नहीं मिल पायी राहत सामग्री
बाराबंकी  बांध सुबह ही कट गया लेकिन सायं पांच बजे तक बाढ़ प्रभावित लोगों को कोई राहत सामग्री नहीं मिल पायी थी।
जिलाधिकारी बाराबंकी विकास गोठलवाल ने बताया कि भोजन व राहत सामग्री मंगायी जा रही है। तीन और मोटर बोटें मंगायी गयी हैं। किसी को भूखा नहीं रहने दिया जायेगा और बाढ़ में फंसे सभी लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जायेगा।

 1458 लाख रुपये से निर्मित एल्गिन-चरसरी बांध दो साल भी नहीं टिक सका। शनिवार को घाघरा की धारा में बाराबंकी जिले के परसावल गांव के पास बांध का 500 मीटर हिस्सा समा गया। इससे चारों तरफ कोहराम मच गया।वर्ष 2005-06 में बाराबंकी व गोण्डा के बीच घाघरा नदी के किनारे एल्गिन-चरसरी बांध का निर्माण शुरु किया गया था। इस बांध का निर्माण दो साल पहले पूरा हुआ। बांध निर्माण के समय ही मानक की अनदेखी की चर्चा गरम हो गयी थी, वहीं कुछ अभियन्ताओं का मानना था कि जिस स्थान पर इस बांध का निर्माण कराया जा रहा है वह औचित्यहीन है। बावजूद इसके 14 करोड़ 58 लाख रुपये से बांध का निर्माण पूरा करा लिया गया। यही नहीं इस नये बंधे के मरम्मत पर विभाग निर्माण की लागत से अधिक धनराशि खर्च कर चुका है। करोड़ों खर्च के बाद भी यह बांध क्षेत्र की जनता को बाढ़ से राहत देने के बजाय खतरा बन गया।बांध शनिवार को कट गया, जिससे हजारों लोग बेघर हो गये और दर्जनों गांव घाघरा के पानी में डूब गये। यह बांध दो साल भी नहीं टिक सका

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