गंगा को प्रदूषित करने वालों पर कार्रवाई की तय्यारी से हडकंप

सना जैदी  
कानपुरकन्नौज से वाराणसी तक लगभग 450 किलोमीटर के दायरे में स्थित 165 फैक्ट्रियां और टेनरियां ही गंगा में प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार पाई गई हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा इन्हें सोमवार को एक नोटिस जारी कर 15 दिन की मोहलत दी जाएगी और इस अवधि में अगर इन्होंने गंगा में प्रदूषित कचरा डालना बंद नहीं किया तो इन्हें बंद कर दिया जाएगा।
आईआईटी कानपुर में शनिवार को गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट वर्कशाप में भाग लेने आए केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री जयराम रमेश ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि गंगा को प्रदूषण से बचाने की जिम्मेदारी अब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स्वयं संभालेगा।
उन्होंने बताया कि बोर्ड ने अपने सर्वेक्षण में पाया कि कन्नौज से लेकर वाराणसी तक 450 किलोमीटर के दायरे में करीब 165 फैक्ट्रियां और टेनरियां है, जो गंगा को प्रदूषित कर रही हैं। आगामी सोमवार से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इंवायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट-1986 के सेक्शन-5 के तहत इन फैक्ट्रियों को नोटिस देकर इन्हें सुधरने और गंगा में प्रदूषण न फैलाने के लिए 15 दिन की मोहलत देगा। 15 दिन बाद बोर्ड का दल एक बार फिर इन फैक्ट्रियों और टेनरियों की जांच करेगा और अगर इन्होंने गंगा के आंचल को मैला करना बंद नहीं किया तो इन पर ताले लगा दिए जाएंगे।
जयराम रमेश ने कहा कि अभी तक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यह जिम्मेदारी राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंप रखी थी, लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई न होने पर अब केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने यह जिम्मेदारी स्वंय संभाल ली है। उन्होंने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को इस पर तुरंत अमल करने और इलाके की अन्य फैक्ट्रियों और टेनरियों की जांच कराने के आदेश दिए।
पत्रकार वार्ता में मौजूद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन एसपी गौतम ने बताया कि कानपुर के जाजमऊ में स्थित चमडे़ का काम करने वाली टेनरियां जानवरों की खालों के साथ नमक का इस्तेमाल बहुत करती हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले छह माह में इन टेनरियों में नमक वाली खालों का इस्तेमाल बंद करवाया जाएगा।
गंगा घाटी प्रबंधन योजना की जिम्मेदारी आईआईटी कानपुर समेत सात आईआईटी संयुक्त रूप से उठा रहे हैं तथा गंगा का मूल रूप सुरक्षित रखते हुए जल प्रबंधन की योजना तैयार कर रहे है। इसमें गंगा की धारा को निर्मल व अविरल बनाना प्राथमिकता हैं। जयराम रमेश ने कहा कि इस परियोजना की रिपोर्ट हमें तीन से चार माह के नियमित अंतराल पर मिलनी चाहिए ताकि इसकी नियमित निगरानी हो सके।
आईआईटी कानपुर में आयोजित इस बैठक में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश के अलावा आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो संजीव गोविंद धांडे, अनेक स्वंय सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि व कई प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे। बैठक में जिन पांच राज्यों में गंगा बहती है वहां के अधिकारी भी शामिल हुए।                           

Post a Comment

emo-but-icon

Featured Post

करंसी नोट पर कहां से आई गांधी जी की यह तस्वीर, ये हैं इससे जुड़े रोचक Facts

नई दिल्ली. मोहनदास करमचंद गांधी, महात्मा गांधी या फिर बापू किसी भी नाम से बुलाएं, आजादी के जश्न में महात्मा गांधी को जरूर याद किया जा...

Follow Us

Hot in week

Recent

Comments

Side Ads

Connect Us

item