कौन होगा टाटा समूह का अगला रतन?

तलाश उत्तराधिकारी के रूप में समिति को ग्रुप के भीतर या बाहर से या देश के किसी भी कोने से ऐसे व्यक्ति की तलाश करनी है, जिसमें चुनौतीपूर्ण मौजूदा अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के बीच ग्रुप के मूल्यों को बनाए रखते हुए आगे ले जाने का जज्बा हो।

भारत की सबसे प्रतिष्ठित कंपनी और चुङ्क्षनदा अंतरराष्ट्रीय-भारतीय ब्रांड में अग्रणी टाटा संस ने ग्रुप के मौजूदा प्रमुख रतन टाटा के उत्तराधिकारी की तलाश के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की है। हांलाकि यह नहीं बताया गया है कि इस पांच सदस्यीय समिति के सदस्यों के नाम क्या हैं? लेकिन, समूह द्वारा जारी वक्तव्य में फिलहाल सिर्फ इतना ही कहा गया है कि टाटा संस लिमिटेड के बोर्ड द्वारा गठित समिति में एक सदस्य ग्रुप से बाहर का भी है। अभी यह भी मालूम नहीं है कि स्वयं रतन टाटा इस समिति के सदस्य हैं या नहीं।

उत्तराधिकार के मामले में लीक से हट कर नितांत पेशेवराना रवैया अपनाने वाले टाटा ग्रुप के मुखिया रतन टाटा 72 वर्ष के हो चले हैं। ग्रुप के तयशुदा नियमों के मुताबिक ७५ वर्ष पूरा हो जाने पर दिसंबर, 2012 में वे अपने उत्तराधिकारी को ग्रुप की सबसे महत्वपूर्ण और जिम्मेदार कुर्सी सौंप कर दैनिक गतिविधियों से मुक्त हो जाएंगे। हाल ही में नोएल टाटा को ग्रुप के अंतरराष्ट्रीय कारोबार के प्रमुख के तौर पर पदोन्नत किया गया है। इसी से इस कयास को बल मिला कि नोएल ही टाटा ग्रुप के अगले 'रतन हो सकते हैं। नोएल के ससुर पालोनजी मिस्त्री की टाटा संस में 18 फीसदी की हिस्सेदारी है। टाटा संस के वक्तव्य में कहा गया है कि उत्तराधिकारी के रूप में समिति को ग्रुप के भीतर या बाहर से या देश के किसी भी कोने से ऐसे अनुभवी पेशेवर की तलाश करनी है, जिसमें चुनौतीपूर्ण मौजूदा अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के बीच ग्रुप के मूल्यों को बनाए रखते हुए आगे ले जाने का जज्बा हो।

इससे पहले इसी वर्ष रतन टाटा ने कहा था कि आम आदमी की कार नैनो लांच करने के बाद वे कार्यमुक्त होना पसंद करेंगे। उनका कहना था कि अभी उनके जिम्मे नैनो लांच करने तथा उत्तराधिकारी की तलाश जैसे दो सबसे महत्वपूर्ण काम हैं और सेवानिवृति से पहले वे ये दोनों ही काम कर लेंगे। हालांकि, टाटा ग्रुप 100 वर्षों से भी पुराना है, लेकिन वर्ष 2006 में दुनिया की मशहूर एंग्लो-डच कंपनी कोरस का अधिग्रहण कर रतन टाटा ने इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने का कारनामा कर दिखाया। लगभग 12 बिलियन डॉलर वाले इस सौदे के बाद ग्रुप ने एक कदम आगे जाते हुए दो साल बाद वर्ष 2008 में फोर्ड मोटर्स से इसके दो लग्जरी ब्रिटिश ब्रांड जगुआर और लैंडरोवर 2.3 बिलियन डॉलर में खरीदे

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