सोनिया, राहुल की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेंगी प्रियंका
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अमेठी।। लोकसभा
चुनाव का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे सभी राजनीतिक दलों में
अपने-अपने इलाकों के कील-कांटे को दुरुस्त करने की बेचैनी बढ़ती जा रही है।
कांग्रेस प्रेजिडेंट सोनिया गांधी की बेटी और कांग्रेस के वाइस प्रेजिडेंट
राहुल गांधी की बहन प्रियंका वाड्रा ने मां और भाई की संसदीय सीट की कमान
अपने हाथों में लेने के संकेत दे दिए हैं, ताकि वे दोनों आम चुनाव के दौरान
बेफिक्र होकर देश के अन्य हिस्सों का दौरा कर सकें।
सोनिया की संसदीय सीट रायबरेली और राहुल की लोकसभा सीट अमेठी में सांगठनिक ढांचे को दुरुस्त करने के लिए प्रियंका वाड्रा ने इन दोनों क्षेत्रों में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। राहुल और प्रियंका के पिछले अमेठी दौरे के समय यह देखने में भी आया। प्रियंका अब तक अपनी मां सोनिया की ही सीट पर होमवर्क करती रही हैं, लेकिन अब दोनों संसदीय सीटों की कमान सीधे उनके ही हाथों में होगी।
पार्टी के रणनीतिकारों को भी लगता है कि हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस को रायबरेली और अमेठी में मुंह की खानी पड़ी, उसके बाद से ही प्रियंका ने इन दोनों सीटों की कमान अपने हाथों में लेने का मन बना लिया था।
जानकारों के मुताबिक, 2009 में हुए लोकसभा चुनाव और अब के हालात में भी काफी अंतर आ चुका है। तब रायबरेली और अमेठी की 10 विधानसभा सीटों में से 6 कांग्रेस के कब्जे में थी, लेकिन इस बार यह संख्या घटकर दो तक पहुंच गई है। गांधी परिवार के लिए यह खतरे की घंटी की तरह ही है। विधानसभा चुनाव में दोनों सीटों पर पार्टी के भीतर हुए जबर्दस्त भितरघात की वजह से ही पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा। इससे नाराज होकर ही प्रियंका ने दोनों सीटों की कमान अपने हाथों में लेने का मन बनाया है।
दूसरी दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के यूपी मामलों के प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री और प्रदेश प्रेजिडेंट निर्मल खत्री पहले ही यह घोषणा कर चुके हैं कि कांग्रेस इटावा और मैनपुरी में भी अपने प्रत्याशी उतारेगी जबकि समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह ने रायबरेली और अमेठी में पार्टी की उम्मीदवारी को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इस लिहाज से यदि इन दोनों सीटों पर एसपी ने अपने प्रत्याशी खडे़ किए, तो दोनों सीटों पर मुकाबला बड़ा ही रोचक बनेगा।
रायबरेली और अमेठी में प्रियंका की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जीशान हैदर ने बताया, 'रायबरेली और अमेठी गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है और यह फैसला भी उसी परिवार को करना है कि वहां किसकी कितनी भूमिका रहेगी।'
हैदर ने कहा कि इतना जरूर है कि प्रियंका गांधी अब तक ज्यादा समय रायबरेली को ही देती आईं हैं, लेकिन इस बार फोकस दोनों सीटों पर रहेगा और उन्हीं के मार्गदर्शन में पहले भी चुनाव लड़ा गया था और अभी भी लड़ा जाएगा।
सोनिया की संसदीय सीट रायबरेली और राहुल की लोकसभा सीट अमेठी में सांगठनिक ढांचे को दुरुस्त करने के लिए प्रियंका वाड्रा ने इन दोनों क्षेत्रों में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। राहुल और प्रियंका के पिछले अमेठी दौरे के समय यह देखने में भी आया। प्रियंका अब तक अपनी मां सोनिया की ही सीट पर होमवर्क करती रही हैं, लेकिन अब दोनों संसदीय सीटों की कमान सीधे उनके ही हाथों में होगी।
पार्टी के रणनीतिकारों को भी लगता है कि हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस को रायबरेली और अमेठी में मुंह की खानी पड़ी, उसके बाद से ही प्रियंका ने इन दोनों सीटों की कमान अपने हाथों में लेने का मन बना लिया था।
जानकारों के मुताबिक, 2009 में हुए लोकसभा चुनाव और अब के हालात में भी काफी अंतर आ चुका है। तब रायबरेली और अमेठी की 10 विधानसभा सीटों में से 6 कांग्रेस के कब्जे में थी, लेकिन इस बार यह संख्या घटकर दो तक पहुंच गई है। गांधी परिवार के लिए यह खतरे की घंटी की तरह ही है। विधानसभा चुनाव में दोनों सीटों पर पार्टी के भीतर हुए जबर्दस्त भितरघात की वजह से ही पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा। इससे नाराज होकर ही प्रियंका ने दोनों सीटों की कमान अपने हाथों में लेने का मन बनाया है।
दूसरी दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के यूपी मामलों के प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री और प्रदेश प्रेजिडेंट निर्मल खत्री पहले ही यह घोषणा कर चुके हैं कि कांग्रेस इटावा और मैनपुरी में भी अपने प्रत्याशी उतारेगी जबकि समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह ने रायबरेली और अमेठी में पार्टी की उम्मीदवारी को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इस लिहाज से यदि इन दोनों सीटों पर एसपी ने अपने प्रत्याशी खडे़ किए, तो दोनों सीटों पर मुकाबला बड़ा ही रोचक बनेगा।
रायबरेली और अमेठी में प्रियंका की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जीशान हैदर ने बताया, 'रायबरेली और अमेठी गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है और यह फैसला भी उसी परिवार को करना है कि वहां किसकी कितनी भूमिका रहेगी।'
हैदर ने कहा कि इतना जरूर है कि प्रियंका गांधी अब तक ज्यादा समय रायबरेली को ही देती आईं हैं, लेकिन इस बार फोकस दोनों सीटों पर रहेगा और उन्हीं के मार्गदर्शन में पहले भी चुनाव लड़ा गया था और अभी भी लड़ा जाएगा।