मर चुके रेपिस्ट को भी 'जिंदगी' दे दी प्रतिभा पाटिल ने
https://tehalkatodayindia.blogspot.com/2012/06/blog-post_5099.html
बेलगाम (कर्नाटक)।। मौत
की सजा पाए अपराधियों पर रहम दिखाने के मामले में रेकॉर्ड बना चुकीं
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा 5 साल पहले ही मर चुके एक रेपिस्ट हत्यारे
की फांसी की सजा उम्रकैद में बदलने का मामला सामने आया है। गौरतलब है कि
अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 35 अपराधियों की मौत की सजा को उम्रकैद
में बदला। पिछले तीन दशक में देश के किसी भी प्रेजिडेंट ने इतनी बड़ी
संख्या में मौत की सजा पाए कैदियों की सजा को उम्रकैद में नहीं बदला।
16 साल की लड़की के साथ रेप करने के बाद हत्या करने दोषी बंडू तिड़के की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का आदेश प्रेजिडेंट प्रतिभा पाटिल के ऑफिस से 2 जून को आया है, जबकि उसकी मौत 18 अक्टूबर 2007 को ही हो चुकी है। ऐसे में अब यह सवाल उठने लगे हैं कि कई हत्यारे और बलात्कारियों की दया याचिकाओं पर जो फैसले लिए गए हैं उसके लिए गृह मंत्रालय ने सही सलाह दी थी कि नहीं।
तिड़के के मामले में स्टेट जेल अधिकारी, राज्य के गृह मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय में से किसी ने उसकी मौत की सूचना प्रजिडेंट ऑफिस को नहीं भेजी। मौत के वक्त तिड़के 31 साल का था और वह एचआईवी पीड़ित था। सूत्रों के मुताबिक, कर्नाटक के जेल विभाग ने तिड़के की फाइल को करीब 2-3 साल पहले केंद्र को भेजा था। हालांकि, जेल मंत्री ए. नारायणस्वामी का कहना है कि तिड़के की फाइल को उस वक्त भेजा गया था, जब वह जिंदा था।
तिड़के को रेप और मर्डर के आरोप में 2002 में गिरफ्तार किया गया था। 2005 में उसे बागलकोट जिला कोर्ट से मौत की सजा सुनाई गई। वह 30 नवंबर 2005 से बेलगाम के हिंडालगा जेल में बंद था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक वह गन्ना काटने का काम करता था और महाराष्ट्र के बीड जिले का रहने वाला था। वह 2002 में स्वामी जी बनकर कर्नाटक के बागलकोट में आ गया और वहीं एक स्थानीय मठ में रहने लगा। उसी साल उसने 16 साल की एक लड़की को उसके स्कूल के पास से पकड़ा और उसके साथ रेप करने के बाद हत्या कर दी। फिर वह शिरडी चला गया, जहां से उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
16 साल की लड़की के साथ रेप करने के बाद हत्या करने दोषी बंडू तिड़के की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का आदेश प्रेजिडेंट प्रतिभा पाटिल के ऑफिस से 2 जून को आया है, जबकि उसकी मौत 18 अक्टूबर 2007 को ही हो चुकी है। ऐसे में अब यह सवाल उठने लगे हैं कि कई हत्यारे और बलात्कारियों की दया याचिकाओं पर जो फैसले लिए गए हैं उसके लिए गृह मंत्रालय ने सही सलाह दी थी कि नहीं।
तिड़के के मामले में स्टेट जेल अधिकारी, राज्य के गृह मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय में से किसी ने उसकी मौत की सूचना प्रजिडेंट ऑफिस को नहीं भेजी। मौत के वक्त तिड़के 31 साल का था और वह एचआईवी पीड़ित था। सूत्रों के मुताबिक, कर्नाटक के जेल विभाग ने तिड़के की फाइल को करीब 2-3 साल पहले केंद्र को भेजा था। हालांकि, जेल मंत्री ए. नारायणस्वामी का कहना है कि तिड़के की फाइल को उस वक्त भेजा गया था, जब वह जिंदा था।
तिड़के को रेप और मर्डर के आरोप में 2002 में गिरफ्तार किया गया था। 2005 में उसे बागलकोट जिला कोर्ट से मौत की सजा सुनाई गई। वह 30 नवंबर 2005 से बेलगाम के हिंडालगा जेल में बंद था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक वह गन्ना काटने का काम करता था और महाराष्ट्र के बीड जिले का रहने वाला था। वह 2002 में स्वामी जी बनकर कर्नाटक के बागलकोट में आ गया और वहीं एक स्थानीय मठ में रहने लगा। उसी साल उसने 16 साल की एक लड़की को उसके स्कूल के पास से पकड़ा और उसके साथ रेप करने के बाद हत्या कर दी। फिर वह शिरडी चला गया, जहां से उसे गिरफ्तार कर लिया गया।