‘आजम विरोधी’ विधायकों के संपर्क में बुखारी, शर्त पर नरम पड़े
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नयी दिल्ली,समाजवादी
पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के साथ आरोप-प्रत्यरोप के बीच शाही इमाम
सैयद अहमद बुखारी ‘आजम विरोधी’ सपा के कुछ वरिष्ठ मुस्लिम
विधायकों-मंत्रियों से संपर्क में हैं और दूसरी ओर तीन मुसलमानों को विधान
परिषद भेजने की मांग करने वाले उनके रुख में भी नरमी आई है।
विधान परिषद में तीन मुसलमानों की मांग को लेकर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को पत्र लिखने और अपने दामाद उमर अली खान की उम्मीदवारी को मना करने वाले बुखारी ने कहा है कि अब वह दो सीट मुसलमानों को दिए जाने पर भी मान जाएंगे।
बुखारी ने आज ‘भाषा’ से कहा, ‘‘सपा को मुसलमानों ने वोट दिया है और उनकी वाजिब नुमाइंदगी देना सपा की जिम्मेदारी है। मैंने तीन मुसलमानों को विधान परिषद भेजने का दबाव बनाया था, लेकिन अगर पार्टी दो सीटों पर भी मान लेती है तो मैं मान जाउच्च्ंगा। इतना कहना चाहता हूं कि दो से कम पर मानने का सवाल ही नहीं है।’’
इस बीच कल सपा के कुछ मुस्लिम विधायकों-मंत्रियों ने जामा मस्जिद में बुखारी से मुलाकात की। बुखारी का कहना है कि 13 विधायक उनके पास आए थे और कई लोगों के साथ उनकी फोन पर बात हो रही है।
सूत्रों का कहना है कि सपा में आजम के विरोधी माने जाने वाले विधायकों ने बुखारी से मुलाकात की है और कई संपर्क में बने हुए हैं।
जामा मस्जिद ट्रस्ट के एक सूत्र ने बताया कि इन विधायकों में शाहिद मंजूर और महबूब अली थे। ये दोनों उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार में मंत्री हैं।
विधान परिषद में तीन मुसलमानों की मांग को लेकर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को पत्र लिखने और अपने दामाद उमर अली खान की उम्मीदवारी को मना करने वाले बुखारी ने कहा है कि अब वह दो सीट मुसलमानों को दिए जाने पर भी मान जाएंगे।
बुखारी ने आज ‘भाषा’ से कहा, ‘‘सपा को मुसलमानों ने वोट दिया है और उनकी वाजिब नुमाइंदगी देना सपा की जिम्मेदारी है। मैंने तीन मुसलमानों को विधान परिषद भेजने का दबाव बनाया था, लेकिन अगर पार्टी दो सीटों पर भी मान लेती है तो मैं मान जाउच्च्ंगा। इतना कहना चाहता हूं कि दो से कम पर मानने का सवाल ही नहीं है।’’
इस बीच कल सपा के कुछ मुस्लिम विधायकों-मंत्रियों ने जामा मस्जिद में बुखारी से मुलाकात की। बुखारी का कहना है कि 13 विधायक उनके पास आए थे और कई लोगों के साथ उनकी फोन पर बात हो रही है।
सूत्रों का कहना है कि सपा में आजम के विरोधी माने जाने वाले विधायकों ने बुखारी से मुलाकात की है और कई संपर्क में बने हुए हैं।
जामा मस्जिद ट्रस्ट के एक सूत्र ने बताया कि इन विधायकों में शाहिद मंजूर और महबूब अली थे। ये दोनों उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार में मंत्री हैं।
शाही इमाम ने कहा, ‘‘इन विधायकों ने हमसे कहा कि मैंने जो मुद्दा
उठाया है, वह बिल्कुल सही है। उन्होंने कहा कि जब मैंने सीधे मुलायम सिंह
को पत्र लिखा तो फिर उसमें किसी और को :आजम: बोलने का क्या मतलब है।’’
यह पूछे जाने पर कि वे आजम विरोधी नेताओं को लामबंद कर रहे हैं तो बुखारी ने कहा, ‘‘मुझे ऐसा कुछ करने की जरूरत नहीं है। उस शख्स से खुद लोग नाराज हैं। वैसे वह वजीर हैं और मैं छोटा इंसान हूं, ऐसे में मैं उनका क्या बिगाड़ सकता हूं।’’
यह पूछे जाने पर कि वे आजम विरोधी नेताओं को लामबंद कर रहे हैं तो बुखारी ने कहा, ‘‘मुझे ऐसा कुछ करने की जरूरत नहीं है। उस शख्स से खुद लोग नाराज हैं। वैसे वह वजीर हैं और मैं छोटा इंसान हूं, ऐसे में मैं उनका क्या बिगाड़ सकता हूं।’’
मुरादाबाद से मेयर का चुनाव लड़ने संबंधी आजम की चुनौती पर
बुखारी ने कहा, ‘‘मैं कुछ नहीं कहूंगा। वह वजीर हैं, लेकिन खुद को
वजीर-ए-आजम समझते हैं। उनको जो कहना है, कहने दीजिए।’’
शाही इमाम ने कहा, ‘‘मुझे मुलायम सिंह से कोई शिकायत नहीं है। टेलीफोन पर मेरी बात हुई है। उम्मीद है कि जल्द मुलाकात जल्द होगी और सबकुछ ठीक हो जाएगा।’’
इस बीच, आजम के करीबी लोगों ने भी मोर्चा खोल दिया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा के वरिष्ठ नेता और आजम के करीबी चौधरी रिफाकत हुसैन ने कहा, ‘‘आजम खान हमारे दूसरे बड़े नेता हैं और उनका कहना बिल्कुल सही है कि इमामों को राजनीति से दूर रहना चाहिए।’’
हुसैन ने कहा, ‘‘अगर बुखारी साहब इतना ही मुसलमानों के हिमायती हैं तो क्यों नहीं कहते कि मेरे दामाद को नहीं, बल्कि और लोगों को पार्टी बढ़ावा दे। पार्टी में मुलायम सिंह यादव हम सबके नेता हैं और अंतिम फैसला वही करते हैं। पार्टी किसी के दबाव में नहीं आती।’’
शाही इमाम ने कहा, ‘‘मुझे मुलायम सिंह से कोई शिकायत नहीं है। टेलीफोन पर मेरी बात हुई है। उम्मीद है कि जल्द मुलाकात जल्द होगी और सबकुछ ठीक हो जाएगा।’’
इस बीच, आजम के करीबी लोगों ने भी मोर्चा खोल दिया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा के वरिष्ठ नेता और आजम के करीबी चौधरी रिफाकत हुसैन ने कहा, ‘‘आजम खान हमारे दूसरे बड़े नेता हैं और उनका कहना बिल्कुल सही है कि इमामों को राजनीति से दूर रहना चाहिए।’’
हुसैन ने कहा, ‘‘अगर बुखारी साहब इतना ही मुसलमानों के हिमायती हैं तो क्यों नहीं कहते कि मेरे दामाद को नहीं, बल्कि और लोगों को पार्टी बढ़ावा दे। पार्टी में मुलायम सिंह यादव हम सबके नेता हैं और अंतिम फैसला वही करते हैं। पार्टी किसी के दबाव में नहीं आती।’’