मुलायम की बिरादरी ने मुलायम के मुसलमान को चटवा दिया हार
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बाराबंकी। रूदौली तहसील को बाराबंकी में फिर से शामिल किये जाने,जिला बनाने और सपा के स्टार प्रचारक रुश्दी को सरकार में शामिल कर मंत्री बनाने के साथ रुदौली की जनसभा में मुलायम का यादव बिरादरी से ये कहना की मुझसे बड़ा यादव हो तो उसको दे देना वोट की बात पर मुलायम की बिरादरी ने ही अब्बास अली जैदी रूश्दी मियां को हराकर दिया अब इन वादों को लेकर ६०२२३ वोटरों की उम्मीदों पर गहन लग गया वही रुश्दी की सपा की वफादारी पर सपा के गद्दार की जीत पर हाई कमान कितनी अहमियत देता हैं इन चर्चाओ से रुदौली की सरज़मीन पर बहस जारी हैं
समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए अपनी सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत की संख्या को पार कर लिया है। ऐसे में बाराबंकी की सभी सीटों पर भी सपा की विजय पार्टी को सुकून देने वाली है। लेकिन कभी इस जनपद का अभिन्न अंग रहा रूदौली क्षेत्र क्या फिर से यहां से जुड़ेगा इसे लेकर चर्चाओं का दौर तेज हो चला है। ज्ञात हो कि रूदौली तहसील को माया सरकार में बाराबंकी से काटकर फैजाबाद जिले में मिला दिया गया था। सियासी तौर पर लोक सभा के चुनाव में यहां का क्षेत्र जो कि कुछ दरियाबाद विधानसभा में भी पड़ता है। वह भी रूदौली विधानसभा से जोड़ दिया गया था। रूदौली को फैजाबाद में शामिल किये जाने के विरोध में बाराबंकी के हर वर्ग ने इसका जोरदार विरोध किया था। स्थानीय अधिवक्ताआंे ने तो इसके लिए हर माह विरोध का दिन ही निश्चित कर दिया था। इसी बीच विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद जब सपा ने यहां से एक बार फिर सपा प्रत्याशी के रूप में अपने विधायक अब्बास अली जैदी रूश्दी मियां पर भरोसा किया तो लगा कि वे रूदौली के मुद्दे पर जरूर सफल होंगे।
सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव जब यहां पर रूश्दी मियां का प्रचार करने गये थे तो उन्होंने जनसभा में यह कहा था कि आप इन्हंे जिताइये। हम रूदौली को बाराबंकी में शामिल करेंगे। इन्हें मंत्री भी बनाया जायेगा। लेकिन जब चुनाव परिणाम आया तो सपा प्रत्याशी 860 मतों के मामूली अंतर से यहां हार गया। जबकि रूश्दी 2002 के अलावा बसपा की आंधी में भी 2007 में चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। ऐसे में सपा के तूफान मंे उनका हारना न सिर्फ उनके लिए कष्टप्रद है बल्कि सपाइयों के साथ सपा को भी यह हार भूल नहीं पा रही है। रूदौली विधानसभा में भाजपा के प्रत्याशी रामचन्द्र यादव 61173 मत पाकर विजयी हुए। रूश्दी को यहां 60223 मत मिले और वे चुनाव हार गये। खास बात यह भी थी कि बसपा व कांग्रेस ने यहां पर रुश्दी मिया को पानी पिलाने के लिए मुस्लिम प्रत्याशी ही उतारा था। जिनमें बसपाई शमशाद को 34354 तथा बेनी के खास कांग्रेसी मुनीर खां 13574 मत मिलें। यहां गौर करने वाली बात यह है कि एक तो मुस्लिमों का वोट बंटा और दूसरे सपा के परम्परागत वोटर माने जाने वाले यादव मतदाताओं ने रूश्दी को छोड़ रामचन्द्र यादव को यादव होने के नाते अपना नेता मान उन्हें ही ज्यादातर वोट दिया। रामचंदर यादव ४ वर्ष फैजाबाद सपा का जिला अध्यक्ष था ,२ बार सपा से मिल्कीपुर का एम एल ऐ था ,बाद में सपा का बागी बन गया ,जाहिर था कि यह घटनाक्रम रूश्दी की हार का कारण बन गया।
चर्चा के मुताबिक रूदौली व बाराबंकी वासियों में अब इस बात को लेकर आशंका व्यक्त की जा रही है कि कहीं सपा सरकार में भी रूदौली को बाराबंकी में शामिल किये जाने की मुहिम पर पानी न पड़ जाये। क्योंकि यहां के मतदाताओं ने सपा प्रमुख से किया गया वादा तो नहीं निभाया है। ऐसे में रूश्दी के साथ रूदौली के भविष्य पर भी चर्चा परिचर्चा का दौर तेज है।
समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए अपनी सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत की संख्या को पार कर लिया है। ऐसे में बाराबंकी की सभी सीटों पर भी सपा की विजय पार्टी को सुकून देने वाली है। लेकिन कभी इस जनपद का अभिन्न अंग रहा रूदौली क्षेत्र क्या फिर से यहां से जुड़ेगा इसे लेकर चर्चाओं का दौर तेज हो चला है। ज्ञात हो कि रूदौली तहसील को माया सरकार में बाराबंकी से काटकर फैजाबाद जिले में मिला दिया गया था। सियासी तौर पर लोक सभा के चुनाव में यहां का क्षेत्र जो कि कुछ दरियाबाद विधानसभा में भी पड़ता है। वह भी रूदौली विधानसभा से जोड़ दिया गया था। रूदौली को फैजाबाद में शामिल किये जाने के विरोध में बाराबंकी के हर वर्ग ने इसका जोरदार विरोध किया था। स्थानीय अधिवक्ताआंे ने तो इसके लिए हर माह विरोध का दिन ही निश्चित कर दिया था। इसी बीच विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद जब सपा ने यहां से एक बार फिर सपा प्रत्याशी के रूप में अपने विधायक अब्बास अली जैदी रूश्दी मियां पर भरोसा किया तो लगा कि वे रूदौली के मुद्दे पर जरूर सफल होंगे।
सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव जब यहां पर रूश्दी मियां का प्रचार करने गये थे तो उन्होंने जनसभा में यह कहा था कि आप इन्हंे जिताइये। हम रूदौली को बाराबंकी में शामिल करेंगे। इन्हें मंत्री भी बनाया जायेगा। लेकिन जब चुनाव परिणाम आया तो सपा प्रत्याशी 860 मतों के मामूली अंतर से यहां हार गया। जबकि रूश्दी 2002 के अलावा बसपा की आंधी में भी 2007 में चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। ऐसे में सपा के तूफान मंे उनका हारना न सिर्फ उनके लिए कष्टप्रद है बल्कि सपाइयों के साथ सपा को भी यह हार भूल नहीं पा रही है। रूदौली विधानसभा में भाजपा के प्रत्याशी रामचन्द्र यादव 61173 मत पाकर विजयी हुए। रूश्दी को यहां 60223 मत मिले और वे चुनाव हार गये। खास बात यह भी थी कि बसपा व कांग्रेस ने यहां पर रुश्दी मिया को पानी पिलाने के लिए मुस्लिम प्रत्याशी ही उतारा था। जिनमें बसपाई शमशाद को 34354 तथा बेनी के खास कांग्रेसी मुनीर खां 13574 मत मिलें। यहां गौर करने वाली बात यह है कि एक तो मुस्लिमों का वोट बंटा और दूसरे सपा के परम्परागत वोटर माने जाने वाले यादव मतदाताओं ने रूश्दी को छोड़ रामचन्द्र यादव को यादव होने के नाते अपना नेता मान उन्हें ही ज्यादातर वोट दिया। रामचंदर यादव ४ वर्ष फैजाबाद सपा का जिला अध्यक्ष था ,२ बार सपा से मिल्कीपुर का एम एल ऐ था ,बाद में सपा का बागी बन गया ,जाहिर था कि यह घटनाक्रम रूश्दी की हार का कारण बन गया।
चर्चा के मुताबिक रूदौली व बाराबंकी वासियों में अब इस बात को लेकर आशंका व्यक्त की जा रही है कि कहीं सपा सरकार में भी रूदौली को बाराबंकी में शामिल किये जाने की मुहिम पर पानी न पड़ जाये। क्योंकि यहां के मतदाताओं ने सपा प्रमुख से किया गया वादा तो नहीं निभाया है। ऐसे में रूश्दी के साथ रूदौली के भविष्य पर भी चर्चा परिचर्चा का दौर तेज है।
Mulayam ki Jeet me musalmaanon ne bada role nibhaya lekin dagha yadav hi kar gaye jo rushdie ko harwa diya.
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