अखिलेश यादव होंगे अगले मुख्यमंत्री

अंबरीश कुमार
लखनऊ  मुलायम सिंह की जगह उत्तर प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बन सकते है । आज मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव के साथ राज्यपाल बीएल जोशी से मुलाकात की । इस मुलाकात के बाद ही अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने की संभावना बढ़ गई । हालांकि होली से ठीक पहले मुलायम सिंह और अखिलेश यादव की राज्यपाल से यह मुलाकात औपचारिक बताई गई है । इस मुलाकात के समय पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी भी शामिल थे । राज्यपाल से मुलाकात के समय अखिलेश यादव की मौजूदगी से राजनैतिक अटकलें भी तेज हुई है । समाजवादी पार्टी में भी अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए मुलायम सिंह पर दबाव बढ़ता जा रहा है । इस बीच पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा , राज्यपाल बीएल जोशी से आज की मुलाक़ात औपचारिक थी ,दस मार्च को विधान मंडल दल की बैठक होगी जिसके बाद सब साफ़ हो जाएगा । इस बैठक में नए नेता का चुनाव हो जाएगा । पार्टी प्रवक्ता इससे आगे कुछ कहने को तैयार नहीं पर कार्यकर्त्ताओं और नौजवान नेताओं को मुलायम सिंह से उम्मीद है कि वे अखिलेश यादव को आगे बढ़ा क़र सरकार को भी नया और युवा नेतृत्व देंगे ।
समाजवादी पार्टी मुख्यालय पर सैकड़ों नौजवानों का जो जमावड़ा लगा है वह हर कुछ देर बाद अखिलेश भैया जिंदाबाद के नारे लगता नजर आता पर भीड़ से घिरे अखलेश यादव को बार बार समझाना पड़ रहा है कि नेताजी यानी मुलायम सिंह ही मुख्यमंत्री बनेगे । पर यह बात पार्टी के नौजवान समाजवादी समझने को तैयार नहीं है । वे मानते है कि मुलायम सिंह का कद अब इस पद से ऊपर उठ चूका है उन्हें दिल्ली संभालना है ,लखनऊ तो अखिलेश को ही संभालना चाहिए। और लखनऊ का माहौल बदल चुका है । कल तक पूरा शहर जो नीले झंडों और मायावती के पोस्टरों से पटा रहता था वह लाल हरे झंडों और अखिलेश यादव के चेहरे में बदल चुका है। वह अखिलेश यादव जो इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ ही नौजवानों के नए नायक बन कर उभरे और प्रदेश की राजनीति में इंदिरा नेहरु परिवार की विरासत संभालने वाले राहुल गांधी को बहुत पीछे छोड़ दिया है । अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश को नई दिशा देना चाहते है और वह बिना मुख्यमंत्री बने संभव नहीं । चुनाव के दौरान इस संवाददाता को उन्होंने पूर्वांचल में प्रदूषित नदियों और जर्जर सड़कों को ऊपर से दिखाते हुए कहा था -समूचा उत्तर प्रदेश बदलना होगा जो विकास मी बुरी तरह पिछड़ गया है । ऐसे में समाजवादी पार्टी ही नही ज्यादातर नौजवानों को उम्मीद है कि चुनाव का यह चेहरा उत्तर प्रदेश के विकास का भी चेहरा बने ।
अखिलेश यादव को लेकर कार्यकर्ताओं और नेताओ खासकर जो नौजवान है उन्हें काफी उम्मीद है । हाल के सालों में समाजवादी पार्टी का यह पहला चुनाव है जिसमे किसी फ़िल्मी सितारें का सहयोग नहीं लिया गया । इस बारे में पूछने पर अखिलेश यादव का जवाब था - हमने यह चुनाव पार्टी की नीतियों ,कार्यक्रमों और घोषणा पत्र में किए वायदों पर लड़ा है । प्रचार के लिए मुझे किसी फ़िल्मी सितारें की जरुरत भी नहीं महसूस हुई ।
सामाजवादी पार्टी को मिले इस जन समर्थन को लेकर काफी चर्चा हो रही है पर इस बात पर कोई गौर नहीं कर रहा कि बीते साढ़े चार साल तक यही पार्टी मायावती सरकार की अराजकता के खिलाफ मजबूती से लड़ी कोई दूसरा नहीं । फिर चुनाव में गाँव गाँव से शहरों तक समाजवादी क्रांति रथ से आखिलेश यादव ही पहले पहुंचे और मायावती का राज बदलने का एलान किया । करीब तीन सौ विधान सभा क्षेत्रों तक वे पहुँच चुके थे तबतक न कांग्रेस के राहुल गाँधी निकले थे और न भाजपा का अगड़ा या पिछड़ा चेहरा सामने आया था । कांग्रेस आई तो वह सत्ता पक्ष यानी मायावती से कम मुलायम से ज्यादा लडती नजर आई । फिर तीन मंत्रियों सलमान खुर्शीद ,बेनी बाबू ,श्रीप्रकाश जायसवाल के साथ दिग्विजय सिंह ने जिस तरह मुस्लिम कार्ड खेला उसने इस चुनाव का रुख बदल दिया । भाजपा नेता अमित पुरी ने कहा ,हम तो इन नेताओं के आभारी है जिन्होंने हमारे परम्परागत आधार को मजबूत किया वर्ना तो और हालत ख़राब होती । उत्तर प्रदेश की जाती हुई मुख्यमंत्री ने भी आज जो कहा वह समझने वाला है । मायावती ने कहा -भाजपा ना जीत जाए इसलिए मुसलमानों ने एकजुट होकर समाजवादी पर्त्टी के पक्ष में वोट दिया और हम हारे । इससे कांग्रेस नेताओं के उस योगदान को समझा जा सकता है जिसने सपा को आगे बढाया तो भाजपा को बचा लिया । वैसे भी भाजपा दूसरों से कम खुद से ज्यादा लड़ रही थी ।
बहरहाल समाजवादी पार्टी के युवा चेहरे और प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव की सभाओं में खासकर ललितपुर से बलिया तक जो भीड़ उनकी जन सभाओं में आई वैसी भीड़ सिर्फ मायावती की जनसभा में देखी गई । इससे उनके जनाधार का अंदाजा लगाया जा सकता है । अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी को नई पहचान और नई दिशा देने की योजना बना चुके है । ,ऐसे में मुख्यमंत्री पद से बाहर रख कर समाजवादी पार्टी क्या सन्देश दे पाएगी यह बड़ा सवाल है । jansatta

Post a Comment

emo-but-icon

Featured Post

करंसी नोट पर कहां से आई गांधी जी की यह तस्वीर, ये हैं इससे जुड़े रोचक Facts

नई दिल्ली. मोहनदास करमचंद गांधी, महात्मा गांधी या फिर बापू किसी भी नाम से बुलाएं, आजादी के जश्न में महात्मा गांधी को जरूर याद किया जा...

Follow Us

Hot in week

Recent

Comments

Side Ads

Connect Us

item