'सत्ता का केंद्र' बने अखिलेश यादव


लखनऊ :चुनाव नतीजे आने से पहले ही 'सत्ता का केंद्र' बने अखिलेश यादव ने यह दूरी तय करने में कड़ी मशक्कत की है। पिता की विरासत बनाए रखने और समर्थकों की फौज तैयार करने के लिए उन्होंने यूपी की सड़कों को साइकिल से लेकर क्रांति रथ तक से खूब रौंदा है। यही वजह है कि उन्होंने खुद को और अपनी पार्टी को प्रदेश में 'मुख्य की पोजीशन में पहुंचा दिया है। कहा जा रहा है कि यह चुनाव उनका राजनीतिक भविष्य तय करेगा।
एक जमाने में धरती पुत्र कहे जाते रहे मुलायम सिंह के बड़े बेटे अखिलेश का सियासी सफर 12 साल पुराना है। 2000 में कन्नौज से लोकसभा पहुंचे अखिलेश को मुलायम ने शुरू से ही अपने वारिस के तौर पर आगे बढ़ाया है। अपने भाइयों को पूरी अहमियत देते हुए मुलायम ने यह काम किया है। इसी वजह से उन्होंने अखिलेश को पार्टी की प्रदेश इकाई की कमान सौंपी थी।
अखिलेश उसी रास्ते पर चले जो उनके पिता ने उन्हें दिखाया, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने वह जगह बना ली जो परिवार के दूसरे मेंबरों से ऊपर थी। इसी के चलते उन्होंने न केवल अपनी पसंद के कैंडिडेट चुने बल्कि कई दागियों को पार्टी में आने से रोका भी। डी.पी. यादव उनमें से एक थे। कई मामलों में अखिलेश ने नेताजी की सिफारिशों को नहीं माना। मुलायम सिंह ने भी इसका बुरा नहीं माना।
2007 से ही यूपी में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभा रही एसपी की जमीनी कमान अखिलेश के हाथ में ही रही। चुनावों का ऐलान होने के काफी पहले अखिलेश साइकिल पर प्रदेश का बड़ा इलाका घूम चुके थे।
पिछले साल सितंबर में वह अपना क्रांति रथ लेकर निकले थे। पर रथ मतदान के सातवें दौर के लिए प्रचार थमने तक घूमता रहा। इस दौरान अखिलेश ने 200 से ज्यादा जनसभाएं कीं।
अखिलेश की पार्टी में अहमियत उसी दिन साफ हो गई थी जब मुलायम के पुराने साथी डी . पी . यादव की पार्टी में वापसी रुकी थी। और वरिष्ठ एसपी नेता मोहन सिंह राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से हटाए गए थे।
अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने का मुद्दा उठने पर मुलायम ने सबसे पहले हां की थी। उन्होंने कहा था कि अगर एसपी विधायक चाहेंगे तो अखिलेश सीएम बनेंगे। यह अलग बात है कि उनके छोटे भाई शिवपाल ने ही इसका खंडन करके मुलायम को ही मुख्यमंत्री बनाने की बात कही है। पार्टी के भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक ऐसा इसलिए किया गया है ताकि आजम खान जैसे बड़े नेता नाराज हों। अंत में होगा वही जो मुलायम और अखिलेश चाहेंगे।

Post a Comment

emo-but-icon

Featured Post

करंसी नोट पर कहां से आई गांधी जी की यह तस्वीर, ये हैं इससे जुड़े रोचक Facts

नई दिल्ली. मोहनदास करमचंद गांधी, महात्मा गांधी या फिर बापू किसी भी नाम से बुलाएं, आजादी के जश्न में महात्मा गांधी को जरूर याद किया जा...

Follow Us

Hot in week

Recent

Comments

Side Ads

Connect Us

item