ज़मज़म के नवीनीकरण की सबसे बड़ी परियोजना
https://tehalkatodayindia.blogspot.com/2010/09/blog-post_05.html
तहलका टुडे टीम
सऊदी अरब में सदियों से मौजूद और मुसलमानों द्वारा पवित्र माने जाने वाले ज़मज़म की सुरक्षा के लिए बीस करोड़ डॉलर के एक प्लांट का उदघाटन हुआ है.
ज़मज़म के पानी को मुसलमान बड़ी श्रृद्धा की नज़र से देखते हैं और ये विश्वास रखते हैं कि इसके पानी में अल्लाह ने काफ़ी तासीर रखी है जिससे बीमारी दूर होती है.
मुसलमानों का मानना है कि ज़मज़म हज़ारों साल पहले एक करिश्मे के तहत वजूद में आया था.
सबसे बड़ी परियोजना
इस्लामी परंपरा के मुताबिक़ पैग़म्बर इब्राहीम की पत्नी बीबी हाजरा जब अरब के रेगिस्तान में अपने प्यासे बच्चे इस्माईल के लिए पानी की तलाश में यहां से वहां भटक रही थीं कि इस्माईल के नन्हे पैरों के नीचे से अचानक पानी का ये चश्मा (झरना) फूट पड़ा था.
पुराने ज़माने में भी ज़मज़म के कुएँ की कई बार सफ़ाई और नवीनीकरण हो चुका है. लेकिन ये परियोजना अब तक की सबसे बड़ी परियोजना है.
इस परियोजना पर सऊदी अरब की सरकार ने 20 करोड़ अमरीकी डॉलर ख़र्च किए हैं.
सऊदी अधिकारियों का कहना है कि एक करोड़ लीटर ज़मज़म का पानी एक बड़े से टैंक में रखा जाएगा जहां से मक्का की बड़ी मस्जिद में पानी सप्लाई किया जाएगा.
हज के लिए ज़रूरी
ज़मज़म का कुआँ मस्जिदे-हराम में स्थित काबा के पास है. काबा का निर्माण पैग़म्बर इब्राहीम और इस्माईल ने किया था और मुसलमान हज के लिए और अन्य समय में भी इसका तवाफ़ (परिक्रमा) करते हैं.
कहा जाता है कि सिर्फ़ पांच वक़्त की नमाज़ के समय इसका तवाफ़ बंद होता है वरना हर समय इसका तवाफ़ जारी रहता है.
हज का एक अहम हिस्सा है हज़रत इब्राहीम और हज़रत इस्माईल की याद में ज़मज़म की तलाश की घटना को फिर से दुहराना.
हज यात्री सफ़ा और मरवा (दो पहाड़ी) के बीच उसी तरह से सात बार चक्कर लगाते हैं जैसे हज़रत हाजरा ने अपने बच्चे इस्माईल के लिए पानी की तलाश में चक्कर लगाए थे