स्वाइन फ्लू की दवा पर भारत ने जीता पेटेंट अधिकार
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नई दिल्ली,लोकसभा में शुक्रवार को बताया गया कि भारत ने पुदीना और कलामेघा से तैयार की गई एक दवा के जरिए इनफ्लुएंजा और घातक ज्वर के इलाज के लिए चीन के खिलाफ पेटेंट विवाद को जीत लिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री एस.गांधीसेल्वन ने कहा कि चीनी फार्मास्युटिकल कंपनी, लिवजोन फार्मास्युटिकल ग्रुप इंक, गौंगडांग ने यूरोपीय पेटेंट ऑफिस (ईपीओ) ने पेटेंट के लिए आवेदन किया था।
गांधीसेल्वन ने एक लिखित जवाब में कहा कि चीन ने अपने पेटेंट आवेदन में एवियन इन्फ्लुएंजा के इलाज के लिए पारंपरिक दवा का तथा उसे तैयार करने के तरीके व अनुप्रयोग का दावा किया था। यह आवेदन जनवरी 2007 में दाखिल किया गया था।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ईपीओ के अधिकारियों ने आवेदन के परीक्षण के बाद पेटेंट जारी करने के अपने इरादे के बारे में चीनी कंपनी को अवगत करा दिया।
इस वर्ष 27 अप्रैल को आयुर्वेद, योग एवं नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्ध एवं होमियोपैथी (आयुष) विभाग ने अपनी डिजिटल लाइब्रेरी में पाया कि उनके पास आयुर्वेद और यूनानी किताबों में पुदीना और कलमेघा के जरिए इन्फ्लुएंजा और घातक बुखार के इलाज के बारे में संदर्भ उपस्थित हैं।
गांधीसेल्वन ने कहा, ''पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल) को आयुष और सीएसआईआर ने संयुक्त रूप से तैयार किया है। इस लाइब्रेरी ने आयुर्वेद और यूनानी की किताबों में चार दवाओं के बारे में उपस्थित संदर्भो के आधार पर ईपीओ में अपना दावा किया।''
अपने आवेदन में लाइब्रेरी के लोगों ने यह भी कहा कि इन उत्पादों के इस्तेमाल के बारे में आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा प्रणालियों में सैकड़ों वर्षों से जानकारी उपलब्ध है।
गांधीसेल्वन ने कहा, ''ईपीओ के परीक्षकों के एक दल ने आयुर्वेद और यूनानी के पूर्व ज्ञान के सबूतों पर विचार किया।''
इस वर्ष 10 जून को पेटेंट ऑफिस ने चीनी कंपनी को पेटेंट जारी करने के अपने पूर्व के इरादे को रद्द करने का निर्णय लिया।
गांधीसेल्वन ने कहा, ''उसके बाद ईपीओ ने भारत के उस दावे को बहाल कर दिया, जिसमें कहा गया था कि पुदीना और कलमेघा के
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री एस.गांधीसेल्वन ने कहा कि चीनी फार्मास्युटिकल कंपनी, लिवजोन फार्मास्युटिकल ग्रुप इंक, गौंगडांग ने यूरोपीय पेटेंट ऑफिस (ईपीओ) ने पेटेंट के लिए आवेदन किया था।
गांधीसेल्वन ने एक लिखित जवाब में कहा कि चीन ने अपने पेटेंट आवेदन में एवियन इन्फ्लुएंजा के इलाज के लिए पारंपरिक दवा का तथा उसे तैयार करने के तरीके व अनुप्रयोग का दावा किया था। यह आवेदन जनवरी 2007 में दाखिल किया गया था।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ईपीओ के अधिकारियों ने आवेदन के परीक्षण के बाद पेटेंट जारी करने के अपने इरादे के बारे में चीनी कंपनी को अवगत करा दिया।
इस वर्ष 27 अप्रैल को आयुर्वेद, योग एवं नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्ध एवं होमियोपैथी (आयुष) विभाग ने अपनी डिजिटल लाइब्रेरी में पाया कि उनके पास आयुर्वेद और यूनानी किताबों में पुदीना और कलमेघा के जरिए इन्फ्लुएंजा और घातक बुखार के इलाज के बारे में संदर्भ उपस्थित हैं।
गांधीसेल्वन ने कहा, ''पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल) को आयुष और सीएसआईआर ने संयुक्त रूप से तैयार किया है। इस लाइब्रेरी ने आयुर्वेद और यूनानी की किताबों में चार दवाओं के बारे में उपस्थित संदर्भो के आधार पर ईपीओ में अपना दावा किया।''
अपने आवेदन में लाइब्रेरी के लोगों ने यह भी कहा कि इन उत्पादों के इस्तेमाल के बारे में आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा प्रणालियों में सैकड़ों वर्षों से जानकारी उपलब्ध है।
गांधीसेल्वन ने कहा, ''ईपीओ के परीक्षकों के एक दल ने आयुर्वेद और यूनानी के पूर्व ज्ञान के सबूतों पर विचार किया।''
इस वर्ष 10 जून को पेटेंट ऑफिस ने चीनी कंपनी को पेटेंट जारी करने के अपने पूर्व के इरादे को रद्द करने का निर्णय लिया।
गांधीसेल्वन ने कहा, ''उसके बाद ईपीओ ने भारत के उस दावे को बहाल कर दिया, जिसमें कहा गया था कि पुदीना और कलमेघा के