दागियों को बचाने के लिए लाए अध्यादेश को फाड़कर फेंक देना चाहिए: राहुल

 नई दिल्ली।। सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों की सदस्यता बरकरार रखने के लिए लाए गए विवादित अध्यादेश पर यूपीए सरकार फंस गई है। विपक्ष के बाद सरकार और कांग्रेस के बीच भी इसको लेकर विरोध शुरू हो गया है। शुक्रवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि सरकार ने दागियों को बचाने के लिए अध्यादेश लाकर ठीक नहीं किया है। उन्होंने कहा कि मेरी पार्टी और सरकार से इतर मेरी निजी राय है कि अध्यादेश पूरी तरह से बकवास है और इसकी कॉपी को फाड़कर फेंक देना चाहिए।
गौर करने लायक बात यह है कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल के बोलने से पहले कांग्रेस के मीडिया सेल के प्रमुख अजय माकन सरकार का बचाव कर रहे थे और बीजेपी पर दोहरा रुख अपनाने का आरोप लगा रहे थे। वह कह रहे थे कि बीजेपी सर्वदलीय बैठक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए कानून बदलने के पक्ष में थी और अब बाहर कुछ और बोल रही है।
इसी दौरान अचानक पौने दो बजे के करीब प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी की एंट्री हुई और उन्होंने कहा कि माकन ने मुझे पार्टी लाइन के बारे में बताया है, लेकिन मुझे लगता है कि सरकार ने अध्यादेश लाकर गलत किया है। उन्होंने कहा, 'चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस या कोई भी पार्टी हो, हम छोटे-छोटे समझौते नहीं कर सकते। इस अध्यादेश की कॉपी को फाड़कर फेंक देना चाहिए।' इतना कहने के बाद राहुल ने किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया और उठकर चले गए। जब इस बारे में संवाददताओं ने माकन से पूछा तो उनका रुख एकदम बदल चुका था और उन्होंने जवाब दिया कि राहुल गांधी ने जो भी कहा वही कांग्रेस पार्टी की राय है।

बीजेपी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने राहुल के बयान और कांग्रेस के बदले रुख पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि शायद राष्ट्रपति अध्यादेश लौटाने वाले थे, इसलिए यह कांग्रेस का डैमेज कंट्रोल और श्रेय लेने का प्रयास है। लेखी ने कहा कि प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि वह राहुल गांधी के नेतृत्व में काम करने के लिए तैयार हैं, तो अध्यादेश लाने से पहले उन्होंने क्यों नहीं राहुल गांधी से पूछ लिया।

पार्टी के एक अन्य नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह सरकार है या नौटंकी की कंपनी है। उन्होंने कहा कि इससे कांग्रेस पार्टी को कोई फायदा नहीं होगा। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा कि राहुल गांधी देश की जनता को बेवकूफ समझते हैं, खुद ही अध्यादेश लाते हैं और खुद ही फाड़ते हैं।

गौरतलब है कि इस अध्यादेश के विरोध के मद्देनजर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी इस पर काफी विचार-विमर्श करके आगे बढ़ना चाह रहे थे। उन्होंने मशविरा करने के लिए गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे और कानून मंत्री कपिल सिब्बल को भी बुलाया था। बीजेपी नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर पहले ही अध्यादेश को अनैतिक, असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दे दिया था। अध्यादेश के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जा चुका है।

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