दागियों को बचाने के लिए लाए अध्यादेश को फाड़कर फेंक देना चाहिए: राहुल
https://tehalkatodayindia.blogspot.com/2013/09/blog-post_27.html
गौर करने लायक बात यह है कि इस प्रेस
कॉन्फ्रेंस में राहुल के बोलने से पहले कांग्रेस के मीडिया सेल के प्रमुख
अजय माकन सरकार का बचाव कर रहे थे और बीजेपी पर दोहरा रुख अपनाने का आरोप
लगा रहे थे। वह कह रहे थे कि बीजेपी सर्वदलीय बैठक में सुप्रीम कोर्ट के
फैसले को पलटने के लिए कानून बदलने के पक्ष में थी और अब बाहर कुछ और बोल
रही है।
इसी दौरान अचानक पौने दो बजे के करीब प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी की एंट्री हुई और उन्होंने कहा कि माकन ने मुझे पार्टी लाइन के बारे में बताया है, लेकिन मुझे लगता है कि सरकार ने अध्यादेश लाकर गलत किया है। उन्होंने कहा, 'चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस या कोई भी पार्टी हो, हम छोटे-छोटे समझौते नहीं कर सकते। इस अध्यादेश की कॉपी को फाड़कर फेंक देना चाहिए।' इतना कहने के बाद राहुल ने किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया और उठकर चले गए। जब इस बारे में संवाददताओं ने माकन से पूछा तो उनका रुख एकदम बदल चुका था और उन्होंने जवाब दिया कि राहुल गांधी ने जो भी कहा वही कांग्रेस पार्टी की राय है।
बीजेपी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने राहुल के बयान और कांग्रेस के बदले रुख पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि शायद राष्ट्रपति अध्यादेश लौटाने वाले थे, इसलिए यह कांग्रेस का डैमेज कंट्रोल और श्रेय लेने का प्रयास है। लेखी ने कहा कि प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि वह राहुल गांधी के नेतृत्व में काम करने के लिए तैयार हैं, तो अध्यादेश लाने से पहले उन्होंने क्यों नहीं राहुल गांधी से पूछ लिया।
पार्टी के एक अन्य नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह सरकार है या नौटंकी की कंपनी है। उन्होंने कहा कि इससे कांग्रेस पार्टी को कोई फायदा नहीं होगा। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा कि राहुल गांधी देश की जनता को बेवकूफ समझते हैं, खुद ही अध्यादेश लाते हैं और खुद ही फाड़ते हैं।
गौरतलब है कि इस अध्यादेश के विरोध के मद्देनजर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी इस पर काफी विचार-विमर्श करके आगे बढ़ना चाह रहे थे। उन्होंने मशविरा करने के लिए गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे और कानून मंत्री कपिल सिब्बल को भी बुलाया था। बीजेपी नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर पहले ही अध्यादेश को अनैतिक, असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दे दिया था। अध्यादेश के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जा चुका है।
इसी दौरान अचानक पौने दो बजे के करीब प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी की एंट्री हुई और उन्होंने कहा कि माकन ने मुझे पार्टी लाइन के बारे में बताया है, लेकिन मुझे लगता है कि सरकार ने अध्यादेश लाकर गलत किया है। उन्होंने कहा, 'चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस या कोई भी पार्टी हो, हम छोटे-छोटे समझौते नहीं कर सकते। इस अध्यादेश की कॉपी को फाड़कर फेंक देना चाहिए।' इतना कहने के बाद राहुल ने किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया और उठकर चले गए। जब इस बारे में संवाददताओं ने माकन से पूछा तो उनका रुख एकदम बदल चुका था और उन्होंने जवाब दिया कि राहुल गांधी ने जो भी कहा वही कांग्रेस पार्टी की राय है।
बीजेपी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने राहुल के बयान और कांग्रेस के बदले रुख पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि शायद राष्ट्रपति अध्यादेश लौटाने वाले थे, इसलिए यह कांग्रेस का डैमेज कंट्रोल और श्रेय लेने का प्रयास है। लेखी ने कहा कि प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि वह राहुल गांधी के नेतृत्व में काम करने के लिए तैयार हैं, तो अध्यादेश लाने से पहले उन्होंने क्यों नहीं राहुल गांधी से पूछ लिया।
पार्टी के एक अन्य नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह सरकार है या नौटंकी की कंपनी है। उन्होंने कहा कि इससे कांग्रेस पार्टी को कोई फायदा नहीं होगा। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा कि राहुल गांधी देश की जनता को बेवकूफ समझते हैं, खुद ही अध्यादेश लाते हैं और खुद ही फाड़ते हैं।
गौरतलब है कि इस अध्यादेश के विरोध के मद्देनजर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी इस पर काफी विचार-विमर्श करके आगे बढ़ना चाह रहे थे। उन्होंने मशविरा करने के लिए गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे और कानून मंत्री कपिल सिब्बल को भी बुलाया था। बीजेपी नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर पहले ही अध्यादेश को अनैतिक, असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दे दिया था। अध्यादेश के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जा चुका है।