यूपी सरकार के इन दो मंत्रियों में शुरू हुआ शीतयुद्ध
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लखनऊ. सपा सरकार में इन दिनों दो कैबिनेट मंत्रियों के बीच शीतयुद्ध शुरू हो गया है। लगातार विवादित बयानों से सरकार को संकट में डालने वाले आजम खां को इस बार इशारों-इशारो में ही सही पर जवाब दे ही दिया स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने।
मामला प्रमुख सचिव प्रवीर कुमार से जुड़ा है, आजम ने जहां पिछले दिनों प्रमुख सचिव को मुस्लिम विरोधी करार देकर मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। वहीं अहमद हसन ने मुख्यंमत्री के सामने ही एक कार्यक्रम में प्रवीर कुमार की पीठ थप-थपाकर आजम को जवाब दे दिया।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि आजम खां तेज तर्रार चेहरा माने जाते हैं। उनके बयानों को तो आप जानते ही हैं। कई बार ये तय करना कठिन हो जाता है कि वे सरकार में हैं या विपक्ष में है। एक और अहम बात ये है कि पार्टी का शायद ही कोई ऐसा मुस्लिम विधायक, मंत्री हो, जो आजम खां को पसंद करता हो।
विरोध सबसे बड़ा ये है कि आजम अपने आगे किसी की सुनते नहीं, कब क्या बोल देंगे, उनका कुछ पता नहीं। खुद सपा मुखिया के बयानों को वो कई बार सीधे तौर पर काट चुके हैं, ऐसे में ये नेता उनसे दूरी बनाना उचित समझते हैं।
पार्टी के ही एक मुस्लिम नेता कहते हैं कि जब आजम खां पार्टी से निकाल दिए गए थे, तो सड़क पर खुलेआम मुलायम सिंह यादव को अपशब्द बोलते थे। उस समय जो मुस्लिम नेता मुलायम का समर्थन करते थे और आजम को तगड़ा जवाब देते थे, आज हम वहीं के वहीं हैं और आजम पार्टी में लौटे और पूरी ज्यादा ताकत के साथ लौटे हैं। इस समय समाजवादी पार्टी के पास 46 मुस्लिम विधायक हैं। इनमें आजम खां, अहमद हसन और वकार अहमद शाह कैबिनेट मंत्री हैं, जबकि 7 राज्यमंत्री है। ये नेता कहते हैं कि वकार अहमद शाह बीमार चल रहे हैं, अहमद हसन आमतौर पर शांत ही रहते हैं, बस आजम खां एक हैं, जो हर कदम पर सुर्खियों में रहने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ते।
आजम खां रामपुर को लेकर बेहद संजीदा हैं, वहां के अस्पतालों का वे समय-समय पर खुद ही निरीक्षण करते रहते हैं। कोई भी कमी पाई गई तो डॉक्टर हो या कोई स्टाफ उनके कहर से कोई नहीं बच पाता। आज स्थिति ये है कि कोई डॉक्टर रामपुर तैनाती चाहता ही नहीं। अब चूंकि स्वास्थ्य विभाग अहमद हसन के जिम्मे है, इसलिए जाहिर है कि इस स्थिति से वे पूरी तरह वाकिफ हैं। सूत्रों के अनुसार अभी तक अहमद हसन मामले में चुप ही रहते थे। लेकिन दुर्गा शक्ति मामले के मामले के बाद स्थितियां बदली हैं। उस मामले में अहमद हसन ने पहली बार आक्रामक रूख अख्तियार करते हुए सरकार की कार्रवाई का बचाव किया। इससे पार्टी आलाकमान तक ने पसंद किया।
सूत्रों के अनुसार अहमद हसन लगातार मुख्यमंत्री से नजदीकी बढ़ाते जा रहे हैं और दूसरी तरफ आजम खां लगातार मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों से दूरी बनाते जा रहे हैं। किसी कार्यक्रम बुलावे के बाद भी हिस्सा नहीं लेते। चाहे वह सरकार का साल भर पूरा होने का जश्न हो, कैबिनेट मीटिंग हो या अल्पसंख्यक आरक्षण का अहम मुद्दा, आजम खां किसी बैठक में नहीं दिखाई दिए। लखनऊ में पहली बार लैपटॉप वितरण कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया तो एक कुर्सी मुख्यमंत्री के बगल में रखी गई थी, पता चला कि इस कुर्सी पर आजम खां बैठेंगे। लेकिन आजम नहीं आए, बाद में खुद सीएम अखिलेश यादव ने लैपटॉप ले जाकर आजम खां को विधानसभा में दिखाया
इस बीच एक बार फिर आजम खां ने रामपुर जिला अस्पताल की बदहाली पर नाराजगी जताई और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रवीर कुमार को जमकर फटकार लगा दी। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस बड़े अधिकारी के रवैये पर नाराजगी जताई। उन्हें मुस्लिम विरोधी मानसिकता का अफसर बताते हुए कार्रवाई पर जोर दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा कि रामपुर जिला अस्पताल प्रदेश ही नहीं शायद देश का सबसे अच्छा अस्पताल बना हुआ है, लेकिन डाक्टर, स्टाफ और नर्स की नजर से यह किसी पंचायत स्तर के अस्पताल से भी बदतर है।
सांप्रदायिकता एवं मुस्लिम विरोधी मानसिकता रखने वाले आईएएस प्रवीर कुमार जिन्हें साप्रदायिक एवं संकीर्ण मानसिकता रखने के आधार पर ही मैंने अपने विभाग से हटाया था, उन्हें रामपुर जिला अस्पताल की बदहाल और दयनीय स्थिति से कितनी मानसिक संतुष्टि प्राप्त हो रही होगी, इसका अंदाजा आप सहज ही लगा सकते हैं। इस प्रकार राजनीतिक अहित और रामपुर की जनता के लिए चिकित्सा व्यवस्था को अत्यन्त दयनीय करके रख देने वाले अधिकारी का मनोबल इतना नहीं बढ़ना चाहिए।
पहले भी व्यक्तिगत रूप से कई बार मुख्यमंत्री को पत्र लिखे। अब से एक वर्ष पूर्व पूरे प्रदेश के अस्पतालों में कुछ जगहें निकाली गई थीं जिसमें रामपुर भी शामिल था परन्तु बड़ी से लेकर छोटी नौकरियों तक में रामपुर को वंचित रखा गया और दूसरे चरण की भर्तिया निकाली गईं तो उस पर भी रोक लग गई और रामपुर नौकरियों के मामले में उपेक्षित ही रहा। यदि यह पत्र आप तक पहुंचे तो उम्मीद है कि अस्पताल को बदहाली से निकालने के लिए विचार करेंगे। मामले में सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि ऐसा बिलकुल नहीं है। यहां कोई किसी से नाराज नहीं है। सभी अपना काम कर रहे हैं।