पाकिस्तान के 'नरभक्षी' से एक मुलाकात
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पाकिस्तान की पुलिस ने अप्रैल, 2011 में दो भाइयों को कब्र से एक महिला की लाश निकालकर उसके मांस को पकाकर खाने के अभियोग में गिरफ़्तार किया था.
इन दोनों भाइयों को अदालत ने सज़ा भी सुनाई. लेकिन सिर्फ दो साल की. क्योंकि पाकिस्तान में 'नरभक्षण' के अपराध से संबंधित कोई क़ानून ही नहीं है.
जब हमने इन कथित इन दोनों भाइयों मोहम्मद फ़रमान अली और मोहम्मद आरिफ़ अली ने किसी की हत्या नहीं की थी. उन्हें केवल इस बात की सज़ा मिली कि उन्होंने एक कब्र का अपमान किया था.
क्लिक करें'नरभक्षी' भाइयों से मिलना चाहा तो, इन्हें तलाश करना आसान नहीं था. जेल से छूटने के बाद ये दोनों भाई किसी तरह चर्चा में नहीं आना चाहते. जब हम उनसे मिलने पहुँचे तो उनके चाचा वली दीन हमें देखकर खुश नहीं हुए. वो बोले, “वे दोनों नरभक्षी नहीं हैं. वे तो अपने पड़ोसियों की जलन का शिकार हो गए.”
क्लिक करेंनरभक्षण के पुख़्ता सबूत होने के कारण इस्लामाबाद से 200 किलोमीटर दूर स्थित दरया खान कस्बे में इस घटना के समय तनाव काफी बढ़ गया था.
जून में जब ये दोनों भाई जेल से छूटकर आए तो दरया खान कस्बे के लोगों का गुस्सा एक बार फिर फूट पड़ा. भीड़ सड़कों पर उतर आई. इलाके के मुख्य सड़क पर लोगों ने टायर रखकर उनमें आग लगा दी और ट्रैफिक को कई घंटों तक रोके रखा.
भीड़ से इन दोनों भाइयों की जान बचाने के लिए पुलिस को उन्हें सुरक्षा देनी पड़ी. इसके बाद से ही इन दोनों भाइयों का पता-ठिकाना गुप्त रखा गया.
'नरभक्षी' से मुलाकात
जब हम इनसे मिलने पहुँचे तो छोटे भाई आरिफ़ अली घर के आंगन में एक फूस की छप्पर के नीचे चारपाई पर लेटे हुए थे. हमें देखकर वो पसीने से तरबतर हो गए.
उन्होंने जो किया था उसके बारे में पूछे गए सवालों के जवाब देने से ज़्यादा उन्हें अपनी जान की फिक्र थी.
भीड़ के हाथों मारे जाने की तरफ इशारा करते हुए आरिफ़ ने हमसे कहा, “आप तो जानते हैं कि यहाँ ऐसा होता रहता है. लोगों को पता चल जाएगा तो मैं मुसीबत में पड़ सकता हूँ.”
आरिफ़ के पास हमारे किसी सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं था. हमारे लिए यह तय करना मुश्किल था वे दिमागी तौर पर असंतुलित हैं या हमें देखकर बेहद घबराए हुए हैं. हालाँकि आरिफ़ ने यह जरूर कहा, “आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा. इंशाअल्लाह...सबकुछ ठीक हो जाएगा.”
आरिफ़ से मिलने के बाद हमने वो कमरा भी देखा जहाँ दो साल पहले कथित तौर पर यह जघन्य घटना हुई थी. जिस कमरे से पुलिस ने कब्र से निकाली गई महिला की लाश बरामद की थी.
कब्र से गायब
24 वर्षीय सायरा परवीन की मौत गले के कैंसर से हुई थी. जिस दिन उन्हें दफन किया गया उसकी अगली ही सुबह उनके रिश्तेदारों ने देखा कि जिस कब्र में सायरा को सुपुर्दे-खाक किया गया था उसे किसी ने खोद दिया है.
सायरा के भाई ऐजाज़ हुसैन बताते हैं, “जब हमने कब्र को खोलकर देखा तो उसमें लाश थी ही नहीं. हम लोग इस घटना से दहल गए.”
इस घटना की जाँच कर रहा पुलिस दल जब अली भाइयों के पास पहुँचा तो वह वहाँ के हालात देखकर दंग रह गया.
कमरे में लाश
अली भाइयों के घर छापा मारने वाले दल की अगुवाई कर रहे इंस्पेक्टर फखर भट्टी कहते हैं, “स्थानीय बुज़ुर्गों की मौजूदगी में जब हमने उनके घर पर छापा मारा तो आरिफ़ सो रहा था. उसके पिता और बहन वहाँ मौजूद थे. फ़रमान घर पर नहीं था. हमने घर की तलाशी ली. फ़रमान के कमरे में ताला बंद था. चाभी मांगकर जब हमने उनके कमरे को खोला तो उसमें से मांस के सड़ांध की तेज़ गंध आ रही थी. कमरे के बीचो-बीच एक पतीला रखा था. पतीले में गोश्त पकाया गया था. पतीले में थोड़ा माँस अभी भी था. पतीले के पास ही लकड़ी का एक पटरा, छोटी कुल्हाड़ी और बड़ा चाकू पड़ा हुआ था. पटरे और कुल्हाड़ी पर चर्बी चिपकी हुई थी.”
इंस्पेक्टर फखर की नज़र जब कमरे में लगे चीटियों के रेले पर गई तो उनका माथा ठनका. ये चींटियां कमरे में रखे पलंग के अंदर जा रही थीं. पुलिस ने जब पलंग के नीचे का सामान निकाला तो एक बड़े बोरे में उन्हें महिला की गायब लाश मिली.
इंस्पेक्टर फखर उस दिन के बारे में बताते हुए कहते हैं, “उस घटना को याद करके अभी भी मैं सिहर उठता हूँ. मुल्तान की प्रयोगशाला ने इस बात की पुष्टि की थी कि वह शोरबा महिला की लाश से निकाले गए मांस से ही बना था. लाश के एक पैर से जांघ और पिंडली का मांस काटा गया था. बाकी लाश वैसी की वैसी ही थी.”
पुलिस ने जब इन क्लिक करें'नरभक्षी' भाइयों से पूछताछ की तो उन्होंने लाश को कब्र से निकालने की बात स्वीकार की. उन्होंने पुलिस को यह भी बताया कि वो पिछले कुछ सालों से ऐसा करते रहे हैं.
ओझा की कारस्तानी
तहलका टुडे ने यह जानने की भी कोशिश की कि आख़िरकार अली भाई ऐसा क्यों करते थे ?
इंस्पेक्टर फखर के अनुसार पुलिस ने जाँच में पाया कि अली भाई एक कथित जादू टोना वाले के चक्कर में पड़ गए थे. इस ओझा को स्थानीय लोगों ने कुछ साल पहले एक कब्र से लाश चुराते हुए रंगे हाथ पकड़ा था. हालाँकि यह जादू टोना करने वाला पुलिस को गिरफ्त में नहीं आ सका.
इंस्पेक्टर फखर बताते हैं कि पूछताछ के दौरान फ़रमान अली ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपने पड़ोसियों पर टोना करने के लिए क़ुरान की कुछ आयतों को उलटा पढ़ा था.
फ़रमान ने पुलिस से कहा, “इस टोने के कामयाबी के लिए हम दोनों भाइयों को पाकीज़गी के साथ रहना था और आदमजात का मांस खाना था.”
लेकिन फ़रमान अली हमेशा ऐसे नहीं थे.
विज्ञान का छात्र
फ़रमान से साथ एक ही स्कूल में दस साल तक पढ़ चुके स्थानीय निवासी तनवीर ख्वावर कहते हैं, “वो पढ़ने में तेज़ था. दसवीं में उसने साइंस लेकर पढ़ाई की थी. लेकिन दसवीं के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी और ज़्यादातर अकेले रहने लगा था. उसके बाद तो वो कभी-कभार ही दिखाई देता था.”
दोनों भाइयों की शादी भी हुई थी. उनके बच्चे भी थे. लेकिन उनकी बीबियाँ उन्हें उनकी गिरफ़्तारी से कुछ साल पहले ही छोड़ चुकी थीं.
इंस्पेक्टर फखर ने उनकी बीबियों से पूछा कि उन्होंने अपने शौहर को क्यों छोड़ा. उनका कहना था उनके पति कुछ करते-धरते नहीं थे. उनके साथ मारपीट करते थे. वे वक़्त-बेवक़्त घर से बाहर जाते थे और उन्हें ताले में बंद कर देते थे.
अली भाइयों के साथ उनकी एक मानसिक रूप से अस्वस्थ बहन भी रहती थी. उनकी गिरफ़्तारी के कुछ दिन बाद ही उसकी लाश उनके घर के पास की नहर में डूबी हुई पाई गई.
अब तक इन दोनों भाइयों को किसी मनोचिकित्सक को नहीं दिखाया गया है.
हमने इस बारे में अली भाइयों के वकील रहे राव तसदुक़ हुसैन बात की. उनका कहना था, “मेरा काम था कि उन्हें कम से कम सज़ा हो. वो मैंने किया. हालाँकि मेरा मानना है कि वे दोनों भाई पागल नहीं बल्कि बेवकूफ हैं.”