महामहिम मुखर्जी ने कहा जायज हैं जन आंदोलन

पिछले साल कुछ कुछ इसी समय तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी अन्ना के आंदोलन से उपजे उफान को थामने के लिए सरकार के लिए संकट मोचक की भूमिका में थे. एक साल बाद अब वे देश के सर्वोच्च नागरिक हैं. महामहीम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने देश के पैंसठवें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम दिये संदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे आंदोलन का समर्थन करते हुए इन्हें जायज ठहराया है. महामहिम मुखर्जी के यह संदेश सरकार के लिए संकटकारी हो सकता है क्योंकि वर्तमान में भ्रष्टाचार के खिलाफ जो आंदोलन चल रहे हैं वे सब वर्तमान केन्द्र की कांग्रेसी सरकार के खिलाफ हैं.
राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि "चारों ओर फैले भ्रष्टाचार के विरुद्ध रोष और इस बुराई के विरुद्ध विरोध जायज है क्योकि यह हमारी राष्ट्र की क्षमता और शक्ति को खोखला कर रहा है." हालांकि ऐसे प्रदर्शनों और आंदोलनों का समर्थन करते हुए वे इन आंदोलनों के उग्र होने का संकेत जरूर देते हैं और कहते हैं "यह हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं पर आक्रमण का बहाना नहीं बन सकता."
पिछले साल लोकपाल के सवाल पर संसद में बोलते हुए प्रणव मुखर्जी ने भी यही रुख अख्तियार किया था. उन्होंने जन आंदोलन को जरूर जायज माना था लेकिन लोकतांत्रिक संस्थाओं (विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका) पर किसी प्रकार के हमले को नकारात्मक बताया था. अब महामहिम के रूप में भी उन्होंने कहा है कि "हो सकता है हमारी संस्थाएं समय के साथ पुरानी पड़ गई हों परंतु जो बना हुआ है उसे नष्ट करना कोई समाधान नहीं है. इसकी बजाय इनको इस ढंग से पुनर्निमित करना होगा कि ये पहले से अधिक मजबूत बन सकें."
फिर भी लोकतंत्र में जनआंदोलनों का समर्थन करते हुए महामहिम मुखर्जी अपने संदेश में कहते हैं कि "लोकतंत्र एक साझा प्रक्रिया है. हम सभी की जीत या हार साथ साथ होती है. लोकतांत्रिक नजरिये के लिए गरिमापूर्ण व्यवहार और विरोधी विचारों को सहन करने की जरूरत होती है.''
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने देश में दूसरी क्रांति की जरूरत पर बल देते हुए राष्ट्र के नाम अपने संदेश में कहा है कि आर्थिक क्रांति के लिए शांति की जरूरत होती है. अपने भाषण के सातवें पैरे में प्रणव मुखर्जी कहते हैं कि "हमें अब दूसरे स्वतंत्रता संग्राम की जरूरत है. इस बार यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत हमेशा के लिए भूख और निर्धनता से मुक्त हो जाए."
 (पूरा भाषण आप अटैचमेन्ट से डाउनलोड कर सकते हैं.)
     


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