क्यों आता है भूकंप?
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नई दिल्ली दुनिया भर में हर साल भूकंप से हजारों लोग
मारे जाते हैं। मकान बनाने संबंधी व भूकंप की भविष्यवाणी करने की तकनीकों
में सुधार के बावजूद भूकंप से जान-माल की क्षति में कोई कमी नहीं आई है।
आइए जाने कितना विनाशकारी है भूकंप?
क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी की बाह्य परत में अचानक हलचल से उत्पन्न ऊर्जा के परिणाम स्वरूप
भूकंप आता है। यह ऊर्जा पृथ्वी की सतह पर, भूकंपी तरंगें उत्पन्न करती है,
जो भूमि को हिलाकर या विस्थापित कर के प्रकट होती है।
भूकंप के कारण
भूकंप प्राकृतिक घटना या मानवजनित कारणों से हो सकता है। अक्सर भूकंप
भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं। भारी मात्रा में गैस प्रवास, पृथ्वी के
भीतर मुख्यत: गहरी मीथेन, ज्वालामुखी, भूस्खलन, और नाभिकीय परिक्षण ऐसे
मुख्य दोष हैं।
कैसे मापें?
भूकंप का रिकार्ड एक सीस्मोमीटर के साथ रखा जाता है, जो सीस्मोग्राफ भी
कहलाता है। भूकंप का क्षण परिमाण पारंपरिक रूप से मापा जाता है, या
संबंधित और अप्रचलित रिक्टर परिमाण लिया जाता है। 3 या कम परिमाण की रिक्टर
तीव्रता का भूकंप अक्सर इम्परसेप्टीबल होता है और 7 रिक्टर की तीव्रता का
भूकंप बड़े क्षेत्रों में गंभीर क्षति का कारण होता है। झटकों की तीव्रता का
मापन विकसित मरकैली पैमाने पर किया जाता है।
प्रभाव
भूकंप से जान, माल की हानि, मूलभूत आवश्यकताओं की कमी, रोग आदि होता
है। इमारतों व बांध, पुल, नाभिकीय ऊर्जा केंद्र को नुकसान पहुंचता है।
भूस्खलन व हिम स्खलन होता है, जो पहाड़ी व पर्वतीय इलाकों में क्षति का कारण
हो सकता है। विद्युत लाइन के टूट जाने से आग लग सकती है। समुद्र के भीतर
भूकंप से सुनामी आ सकता है। भूकंप से क्षतिग्रस्त बांध के कारण बाढ़ आ सकती
है।
ऐसे करें बचाव
-सुरक्षित स्थान पर भूकंपरोधी भवन का निर्माण कराएं।
-समय-समय पर आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण लें व पूर्वाभ्यास करें।
-आपदा की किट बनाएं जिसमें रेडियो, जरूरी कागज, मोबाइल, टार्च, माचिस, मोमबत्ती, चप्पल, कुछ रुपये व जरूरी दवाएं रखें।
-भूकंप आने पर परिवार के लोगों को बिजली व गैस बंद करने को कहें।
-भूकंप के दौरान टेबल, पलंग या मजबूत फर्नीचर के नीचे शरण लें।
-संतुलन बनाए रखने के लिए फर्नीचर को कस पकड़ लें।
-लिफ्ट का प्रयोग कतई न करें।
-खुले स्थान पर पेड़ व बिजली की लाइनों से दूर रहें।
-मकान ध्वस्त हो जाने के बाद उसमें न जाएं।
-कार के भीतर हैं तो उसी में रहें, बाहर न निकलें।
कब-कहां आया भूकंप
21 नवंबर 2002-
पाकिस्तान के उत्तरी दियामीर जिले में भूकंप में 20 लोगों की मौत।
25 मार्च 2002:-
अफगानिस्तान के उत्तरी इलाके में भूकंप मे 800 लोगों की मौत। भूकंप की
तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6 थी। इसी महीने 3 मार्च को अफगानिस्तान में एक
अन्य भूकंप ने 150 को मौत की नींद सुलाया।
3 फरवरी 2002:-
पश्चिमी तुर्की में भूकंप में 43 लोगों की मौत हजारों बेघर हो गए।
24 जून 2001:-
दक्षिणी पेरू में भूकंप में 47 लोग मारे गए। भूकंप के 7.9 तीव्रता वाले झटके एक मिनट तक महसूस किए जाते रहे।
13 फरवरी 2001:-
अल साल्वाडोर में दूसरे बड़े भूकंप की वजह से 300 लोग मारे गए। इस भूकंप को रिक्टर स्केल पर 6.6 मापा गया।
26 जनवरी 2001:-
भारत के गुजरात राज्य में रिक्टर स्केल पर 7.9 तीव्रता का एक शक्तिशाली
भूकंप आया। इसमें तीस हजार लोग मारे गए और करीब 10 लाख लोग बेघर हो गए।
भुज और अहमदाबाद पर भूकंप का सबसे अधिक असर पड़ा।
13 जनवरी 2001:-
अल साल्वाडोर में 7.6 तीव्रता का भूकंप आया। 700 से भी अधिक लोग मारे गए।
6 अक्टूबर 2000:-
जापान में रिक्टर स्केल पर 7.1 तीव्रता का एक भूकंप आया। इसमें 30 लोग घायल हुए और करीब 200 मकानों को नुकसान पहुंचा।
21 सितंबर 1999:-
ताईवान में 7.6 तीव्रता का एक भूकंप आया। इसमें ढाई हजार लोग मारे गए और इस द्वीप के हर मकान को नुकसान पहुंचा।
17 अगस्त 1999:-
तुर्की के इमिट और इंस्ताबूल शहरों में रिक्टर स्केल पर 7.4 तीव्रता का
भूकंप आया। इस भूकंप की वजह से सतरह हजार से अधिक लोग मारे गए और हजारों
अन्य घायल हुए।
मार्च 1999:-
भारत के उत्तर काशी और चमोली में दो भूकंप आए और इनमें 100 से अधिक लोग मारे गए।
जनवरी 1999:-
कोलंबिया के आर्मेनिया शहर में 6.0 तीव्रता का भूकंप आया। इसमें करीब एक हजार लोग मारे गए।
जुलाई 1998:-
न्यू पापुआ गिनी के उत्तरी-पश्चिमी तट पर समुद्र के अंदर आए भूकंप से
बनी लहरों ने तबाही मचा दी। इसमें एक हजार से भी अधिक लोग मारे गए।
जून 1998:-
तुर्की के दक्षिण-पश्चिम में अदना में 6.3 तीव्रता का भूकंप आया,
जिसमें 144 लोग मारे गए। एक हफ्ते बाद इसी इलाके में दो शक्तिशाली भूकंप
आए, जिनमें एक हजार से अधिक लोग घायल हो गए।
मई 1998:-
उत्तरी अफगानिस्तान में एक बड़ा भूकंप आया, इसमें चार हजार लोग मारे गए।
फरवरी 1997:-
उत्तर-पश्चिमी ईरान में रिक्टर स्केल पर 5.5 तीव्रता का एक भूकंप आया,
जिसकी वजह से एक हजार लोग मारे गए। तीन महीने बाद 7.1 तीव्रता का भूकंप
आया, जिसकी वजह से पश्चिमी ईरान में डेढ़ हजार से अधिक लोग मारे गए।
मई 1995:-
रूस के सुदूर पूर्वी द्वीप सखालीन में 7.5 तीव्रता का एक शक्तिशाली भूकंप आया, जिसकी वजह से करीब दो हजार लोगों की मौत हो गई।
जनवरी 1995:-
जापान के कोबे शहर में शक्तिशाली भूकंप में छह हजार चार सौ तीस लोग मारे गए।
जून 1994:-
कोलंबिया में आए भूकंप में क़रीब एक हजार लोग मारे गए।
सितंबर 1993:-
भारत के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में आए भूकंपों में करीब दस हजार ग्रामीणों की मौत हो गई।
1990:-
ईरान के उत्तरी राज्य गिलान में आए एक भूकंप ने चालीस हजार से भी अधिक लोगों की जान ले ली।
अक्टूबर 1989:-
कैलिफोर्निया में आए भूकंप में 68 लोग मारे गए।
दिसंबर 1988:-
उत्तर-पश्चिमी आर्मेनिया में रिक्टर स्केल पर 6.9 तीव्रता के एक भूकंप ने 25 हजार लोगों की जान ले ली?
सितंबर 1985:-
मैक्सिको शहर एक शक्तिशाली भूकंप से बुरी तरह से हिल गया। इसमें बड़ी इमारतें तबाह हो गईं और दस हजार से अधिक लोग मारे गए।
1980:-
इटली के दक्षिणी हिस्से में आए भूकंप की वजह से सैंकड़ों लोग मारे गए।
1976:-
चीन का तांगशान शहर भूकंप की वजह से मिट्टी में मिल गया. इसमें पांच लाख से अधिक लोग मारे गए।
1964:-
रिक्टर स्केल पर 9.2 तीव्रता के एक भूकंप ने अलास्का में 25 लोगों की जान ले ली और बाद के झटकों की वजह से 110 और लोग मारे गए।
1960:-
दुनिया में अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप चिली में आया। इसकी तीव्रता
रिक्टर स्केल पर 9.5 दर्ज की गई। कई गांव के गांव तबाह हो गए और सैंकड़ों
मील दूर हवाई में 61 लोग मारे गए।
1950:-
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य असम में भयानक भूकंप आया। ये इतना तेज़ था
कि सेस्मोग्राफ की सुईयां टूट गईं, लेकिन सरकारी तौर पर रिक्टर स्केल पर
इसे 9.0 तीव्रता का बताया गया।
1948:-
पश्चिमी जापान में पूर्वी चीनी समुद्र को केंद्र बनाकर भूकंप आया, जिसमें तीन हजार से ज्यादा लोग मारे गए।
1935:-
ताईवान में रिक्टर स्केल पर 7.4 तीव्रता का एक भूकंप आया, जिसकी वजह से तीन हजार दो सौ लोग मारे गए।
1931:-
ब्रिटेन के इतिहास का सबसे भयानक भूकंप। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.5 थी और इससे अधिक नुकसान नहीं हुआ।
1923:-
जापान की राजधानी टोक्यो में आया ग्रेट कांटो भूकंप। इसकी वजह से 142,800 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
1906:-
सैन फ्रांसिस्को में कई मिनट तक भूकंप के झटके आते रहे। इमारतें गिरने
और उनमें आग लगने की वजह से सात सौ से तीन हजार के बीच लोग मारे गए।