उमर को विधान परिषद के टिकट से आजम नाराज़


एक बार फिर एसपी सुप्रीमो मुलायम से रूठे आजम खान

लखनऊ। फिर्केवाराना लोगो से खावाह हिन्दू हो या मुसलमान  से नफरत  और नाराजगी  के मिजाज के लिए पहचाने जाने वाले अपने साफ़ सुथरे छवि के आजम खान एक मर्तबा फिर एसपी सुप्रीमो मुलायम सिंह से उमर को विधान परिषद्   का   टिकेट देने से रूठ गए है। दरअसल मुस्लिम वोटरों से खुश होकर मुलायम ने जामा मस्जिद के शाही इमाम के दामाद उमर खान को विधान परिषद का टिकट थमा दिया जो आजम को नागवार गुजर रही है।वो शाही इमाम को मुस्लिम का हिताशी नहीं विरोधी मानते हैं,
इससे पहले आजम ने तब भी अपनी नाराजगी जताई थी जब विधान सभा चुनावों में मुलायम और शाही इमाम साथ-साथ नजर आये थे और मुलायम ने बुखारी के दामाद को सहारनपुर के बेहटा से विधान सभा का टिकट दिया था। हालांकि एसपी लहर के बावजूद उमर बेहटा चुनाव हार गए थे।
उमर भले ही चुनाव हार गए हों लेकिन मुलायम को तो एहसान उतारना था, लिहाजा उन्होंने चुनाव में बलिया से हारे अम्बिका चौधरी की तर्ज पर उमर को भी विधान परिषद का टिकट थमा दिया। विधान परिषद की घोषित 7 टिकटों में उमर और अम्बिका के अलावा खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी शामिल है। जबकि रुदौली में  मुलायम की बिरादरी की ही वजह से ८६० वोटो से हारे  अब्बास अली जैदी का  इसी  उमर के चलते टिकट कट गया ,यही आजम को अखर रहा  हैं।
आजम अक्सर नाराज होते है, पहले कल्याण के नाम पर उन्होंने मुलायम को छोड़ा, फिर अखिलेश के नाम पर रूठने मनाने का खेल करते रहे और अब शाही इमाम के दामाद के मसले पर दोबारा उखड़े-उखड़े नज़र आ रहे है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या ये नाराजगी सिर्फ आजम की आदत का एक  नमूना है या फिर आजम नहीं चाहते कि उनके रहते कोई दूसरा मुस्लिम जो फिर्केवाराना चेहरा हो कल्याण के बाद मुस्लिम शक्ल में अब समाजवादी पार्टी की पहचान बने और बदनामी का सबब बने ।
 आजम ने रामपुर में शनिवार को पत्रकारों से कहा कि देश के मुसलमानों में इमाम बुखारी की क्या हैसियत है? वह अपने दामाद को तो जिता नहीं पाए। उनकी जमानत तक जब्त हो गई। हाल में सम्पन्न विधानसभा चुनाव में बुखारी के दामाद एसपी की टिकट से चुनाव लड़े थे
आजम ने कहा कि विधानसभा चुनाव में अपने दामाद की जमानत जब्त होने के बाद ही उन्हें अपनी हैसियत का अंदाजा लगा लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इमाम बुखारी को जामा मस्जिद इलाके की सेवा करनी चाहिए और इसके लिए उन्हें दिल्ली में ज्यादा से ज्यादा पार्षद जिताने की कोशिश करनी चाहिए।
एक अन्य मौके पर आजम ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि बुखारी बड़े आदमी हैं। देश की सबसे आलीशान मस्जिद में रहते हैं। वो अपने भाई को राज्यसभा और दामाद को विधान परिषद में भेजना चाहते थे। उनका इतना तो हक बनता ही है। अगर ऐसा हो जाता तो मुसलमानों से सारे मसले, सारी समस्याएं खत्म हो जातीं। अब ऐसा क्यों नहीं हुआ इसकी जानकारी मुझे नहीं है।
गौरतलब है कि एसपी ने इमाम बुखारी के दामाद उमर अली खान को विधान परिषद का टिकट दिया था लेकिन बुखारी ने टिकट को यह कहकर वापस कर दिया कि मुसलमानों को सत्ता में भागीदारी देने पर एसपी का रवैया भी अन्य दलों की तरह ही है। बुखारी के इस कदम के बाद एसपी प्रमुख मुलायम सिंह यादव और इमाम बुखारी के बीच तल्खी बढ़ गयी है।

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