सपा को रास नहीं आई बुखारी की सौदेबाजी

अंबरीश कुमार 
लखनऊ, अब्दुल्ला बुखारी ने जिस तरह मुलायम सिंह यादव पर दबाव बना कर रास और विप की सीट लेने का प्रयास किया था, वह अब नाकाम होता नजर आ रहा है। बुखारी की इस सौदेबाजी की तीखी प्रतिक्रिया हुई और आजम खान खुल कर विरोध में उतरे। पर जो मुखर नहीं थे उन्होंने पार्टी के भीतर बुखारी की भाषा, तेवर और राजनीतिक सौदेबाजी का विरोध किया। सपा के उम्मीदवार विधान परिषद की पांच सीटों पर नामांकन कर चुके हैं।
गुरुवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी के विधान परिषद के लिए परचे दाखिल करने के साथ ही इस विवाद का भी अंत हो सकता है। क्योंकि फिर सिर्फ एक सीट ही बचेगी। राजेंद्र चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खांटी समाजवादी चेहरे के साथ पार्टी का जाट चेहरा भी हैं, जो अखिलेश यादव के साथ परचा दाखिल करेंगे। 
दरअसल, यह पारी अखिलेश यादव की है, जो अलग ढंग की राजनीति से समाजवादी पार्टी की नई छवि गढ़ रहे है। इसलिए ज्यादा बड़ी चुनौती अखिलेश के लिए है और इस मामले में मुलायम सिंह की खामोशी भी सब कुछ बता दे रही है। यह माना जा रहा है कि इस मामले में मुलायम सिंह के झुंकने से गलत संदेश जा सकता है। राजनीतिक विश्लेषक नीलाक्षी सिंह ने कहा-बुखारी की सौदेबाजी के आगे अगर मुलायम सिंह झुक जाते हैं, तो इसका संदेश यही जाएगा कि मुलायम सिंह मुसलमानों के सच्चे हितैषी नहीं हैं बल्कि सिर्फ वोट की राजनीति करते हैं। इस तरह की राजनीति मुलायम का भी वही हश्र करेगी, जैसा मायावती का हुआ। समाजवादी पार्टी जिस नई राजनीति के नाम पर सत्ता में आई है, उसे अमल कर भी दिखाना होगा।
पार्टी की तरफ से गुरुवार को अखिलेश यादव और राजेंद्र चौधरी विधान परिषद का परचा दाखिल करने जा रहे हैं। जिसके बाद सिर्फ एक ही सीट भी बचेगी। इसका राजनीतिक संदेश कोई भी समझ सकता है। नामांकन के बारे में पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा-यह पहले से तय था।
बुखारी की राजनीतिक मांग और उस पर आजम खान का आक्रामक तेवर व सीधी चुनौती से यह मामला तूल पकड़ चुका था। पर न तो समाजवादी पार्टी और न ही मुलायम सिंह ने इस पर कोई सफाई दी। मगर इस बार समाजवादी धारा के साथ मुसलिम नेताओं ने भी बुखारी की मांग की निंदा की। बुखारी धार्मिक नेता हैं और चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी का समर्थन किया था फिर दामाद के लिए टिकट लिया और उसी आधार पर वे राज्यसभा और विधान सभा की सीट मांग रहे थे। मगर उनके समर्थन से समाजवादी पार्टी को कितना फायदा हुआ, यही सवाल आजम खान ने भी उठाया था। आजम खान ने कहा था, जो अपने दामाद को मुसलिम बहुल इलाके में न जिता पाए, उसका राजनीतिक आधार तो सभी समझ सकते हैं।
शाही इमाम पर इस तरह की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर आजम खान ने कहा -एक तो पिछले तीस साल से मेरा मुलायम सिंह से जज्बाती रिश्ता है। दूसरे मैं समाजवादी पार्टी का संस्थापक सदस्य हूं। फिर जो भाषा उन्होंने राज्यसभा के उम्मीदवार मुनव्वर सलीम को लेकर बोली, वह बेहद आपतिजनक है। इस मुद्दे पर पर ज्यादातर लोग आजम के साथ हैं। बुखारी अलग-थलग पड़ते नजर आ रहे हैं।
इस बीच सपा के मुखिया मुलायम सिंह ने कहा कि किसानों और अल्पसंख्यकों के प्रति सरकार चुनाव घोषणापत्र में किए गए वायदे पूरे करेगी। किसानों का 50 हजार रुपए तक का कर्ज माफ किया जाएगा। किसानों को सहकारी संस्थाओं से चार फीसद ब्याज दर पर कर्ज सुनिश्चित किया जाएगा। किसान की जमीन नीलाम नहीं होने दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि मुसलमानों की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति में सुधार के लिए सच्चर और रंगनाथ आयोग की राज्य में हो सकने वाली सिफािरशें लागू की जाएगी उनको आरक्षण का लाभ देने के साथ कब्रिस्तानों की चहारदीवारी बनाई जाएगी। दरगाहों के संरक्षण के लिए विशेष पैकेज दिया जाएगा। मदरसों को मदद दी जाएगी। उर्दू को रोजी रोटी से जोड़ कर उसके स्कूल खोले जाएंगे। 

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