लालकिले से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का भाषण 15 अगस्त 2011

प्यारे देशवासियो, भाइयो, बहनो और प्‍यारे बच्‍चो, आजादी की 64वीं सालगिरह पर भारत की 120 करोड़ जनता को मैं दिल से बधाई देता हूं। पिछले सात सालों से इस ऐतिहासिक लालकिले से 15 अगस्त पर मैं आपको संबोधित कर रहा हूं। इन सात सालों में हमारे देश ने बहुत कुछ हासिल किया है। इस दौरान हम तेज़ी से विकास के रास्ते पर आगे बढ़े हैं । कई क्षेत्रों में हमें अच्छी सफलता मिली है। लेकिन मैं यह भी अच्छी तरह जानता हूं कि अभी बहुत कुछ करना बाकी है। हमें देश से गरीबी और अशिक्षा दूर करनी है। आम आदमी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करानी हैं। देश के हर नौजवान को रोज़गार के अवसर दिलाना है।
आगे का हमारा यह सफर लंबा और कठिन भी है। खास तौर पर इन दिनों में देश के अन्दर और बाहर हालात ऐसे हैं कि अगर हम समझदारी और संयम से काम नहीं लेंगे, तो हमारी सुरक्षा और खुशहाली को खतरा पैदा हो सकता है। आज विश्व अर्थव्यवस्था के विकास की रफ़्तार धीमी हो रही है। विकसित देशों, खासकर अमरीका और पश्चिमी यूरोप में आर्थिक संकट है। मध्य पूर्व के कई अरब देशों में अशांति फैल रही है। कुछ लोग देश के अंदर गड़बड़ी फैलाना चाहते हैं ताकि हमारी प्रगति में रुकावट आए। इन सब हालात का हमारे ऊपर बुरा असर पड़ सकता है। लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। मुझे इस बात का वि‍श्‍वास है कि आप और हम मिलकर हर चुनौती का सामना कर सकते हैं। जरूरत इस बात की है कि हम निजी और राजनैतिक स्वार्थों से ऊपर उठें और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर आम सहमति बनाएं।

भाइयो और बहनो,
हम आधुनिक भारत का निर्माण अपने सैनिकों, अपने किसानों और अपने मज़दूरों की मेहनत और कुर्बानियों की नींव पर कर रहे हैं। हम इस मेहनत और इन कुर्बानियों को बेकार नहीं जाने देंगे। जो सपने हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देखे थे, हम उनको ज़रूर साकार करेंगे। पिछले सात सालों में हमारी सरकार ने देश में राजनैतिक स्थिरता, सामाजिक सुधार, और आर्थिक प्रगति लाने की कोशिश की है। हमने देश में धार्मिक सद्भाव का माहौल बनाया है।

इन सात सालों में हमारी आर्थिक प्रगति की रफ़्तार बहुत अच्छी रही है। यह सफलता हमने वर्ष 2008 में विश्व भर में आई आर्थिक मंदी और विश्व बाज़ार में ऊर्जा और खाद्यान्नों की बढ़ती कीमतों के बावजूद हासिल की है। हमने अपने देश में असमानताएं दूर करने की भी कोशिश की है। पिछले सात सालों में हमने अपने अनुसूचित जाति और जनजाति के भाई-बहनों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और बच्चों की ज़रूरतों का खास ख्याल रखा है।

हमने ऐसे कानून बनाए हैं, जिनके ज़रिए हमारी जनता को अपने बुनियादी हक़ हासिल करने में आसानी हो। शिक्षा, रोजग़ार और सूचना के अधिकारों के बाद हम जल्द ही कानून के जरिए देश की जनता को खाद्य सुरक्षा प्रदान करेंगे। पिछले सात सालों में दुनिया भर के देशों से हमारे रिश्ते गहरे और मज़बूत हुए हैं। इन सात सालों की आपकी और हमारी मेहनत का ही नतीजा है कि आज हम में पहले से कहीं ज़्यादा आत्मविश्वास और आत्मसम्मान है।

भाइयो और बहनो,
हमारी ये कामयाबियां मामूली नहीं हैं। दुनिया अब मानती है कि भारत में एक बहुत बड़ी आर्थिक ताकत के रूप में उभरने की काबिलियत है। लेकिन, हमारी प्रगति के रास्ते में भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी अड़चन है।

पिछले कुछ महीनों में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए हैं। कुछ मामलों में केन्द्र सरकार के लोगों पर आरोप हैं। अन्य मामलों में विभिन्न राज्य सरकारों के लोगों पर भी आरोप लगे हैं। भ्रष्टाचार के जो भी मामले हमारे सामने आए हैं, उनमें हम कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं। मैं इस विषय पर और कुछ ज्यादा नहीं कहूंगा क्योंकि इन मामलों पर अदालतें सुनवाई कर रही हैं।

लेकि‍न एक बात मैं कहना चाहूंगा कि‍ यह ज़रूरी है कि जब हम इन मसलों पर विचार करें तो ऐसा माहौल पैदा न हो जिसमें देश की प्रगति पर ही सवाल उठने लगें। इन मसलों पर विचार करते समय हम में यह आत्मविश्वास झलकना चाहिए कि हम इन तमाम समस्याओं का हल निकाल लेंगे।

भ्रष्टाचार कई शक्लों में हमारे सामने आता है। कई बार आम आदमी को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई योजनाओं का पैसा सरकारी कर्मचारियों की जेब में पहुंच जाता है। और कई बार सरकार की शक्तियों का प्रयोग कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जाता है। कुछ मामलों में बड़े-बड़े सरकारी ठेके गलत तरीके से गलत लोगों को दे दिए जाते हैं। हम इस तरह की गतिविधियों को जारी नहीं रहने दे सकते। मेरा मानना है कि किसी एक बड़े कदम से ही भ्रष्टाचार को नहीं मिटाया जा सकता। बल्कि, इसके लिए हमें कई मोर्चों पर एक साथ काम करना होगा।

हमें अपनी न्याय व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त बनाना होगा। सबको यह मालूम होना चाहिए कि बेईमान लोगों के खिलाफ तेजी से कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उनको सज़ा दी जाएगी। अगर हमारे यहां कारगर ढंग से इंसाफ होने लगे, तो सरकारी अधिकारी लालच या राजनैतिक दबाव में गलत काम करने से पहले कई बार सोचेंगे।

उच्च पदों पर होने वाले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हम एक स्वतंत्र और मज़बूत लोकपाल चाहते हैं। इसके लिए हमने हाल ही में संसद में एक बि‍ल पेश किया है। अब केवल संसद ही यह फैसला कर सकती है कि किस तरह का लोकपाल कानून बनाया जाना चाहिए। मैं जानता हूं कि इस बि‍ल को लेकर कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं। जो लोग इस बि‍ल से सहमत नहीं हैं, वे अपना नज़रिया पार्लि‍यामेंट  और राजनीतिक दलों तथा बेशक प्रेस को भी बता सकते हैं। लेकिन मेरा यह भी मानना है कि हमें अनशन और भूख हड़ताल का सहारा नहीं लेना चाहिए।

लोकपाल के दायरे में न्यायपालिका को लाना मुनासिब नहीं है। हम समझते हैं कि ऐसा करना न्यायपालिका की आज़ादी के खिलाफ होगा। लेकिन हमें एक ऐसी व्यवस्था की जरूरत है जिससे न्यायपालिका जवाबदेह बन सके। इसी मकसद से हमने एक जुडि‍शि‍यल अकांउटेबि‍लि‍टी बि‍ल संसद में पेश किया है। मुझे यकीन है कि इसे जल्द ही पास कर दिया जाएगा।

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक सावधान प्रेस और जागरूक जनता बहुत मददगार हो सकते हैं। भारतीय प्रेस की आज़ादी और सरगर्मी दुनिया भर में एक मिसाल है। हमने जो सूचना का अधिकार कानून बनाया है, उससे प्रेस और जनता दोनों ही सरकार के काम पर अब कड़ी नज़र रख सकते हैं। आज सरकार के तमाम ऐसे फैसले रौशनी में आ रहे हैं, जो इस कानून के बिना जनता की निगाह से दूर रहते। मैं समझता हूं कि भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए यह एक बहुत बड़ा कदम है।

भाइयो और बहनो,
जिन संसाधनों की कमी है, उनके आवंटन में, और विभिन्न प्रकार की मंजूरियां देने में कई बार सरकार के विवेकाधिकार का गलत इस्तेमाल होता है। हमने इस विषय की समीक्षा की है। हम इस तरह के अधिकारों को जहां भी संभव होगा, खत्म करेंगे।

किसी भी सरकार द्वारा हर साल कई हजार करोड़ रुपयों के ठेके दिए जाते हैं। खरीदारी के इन फैसलों में भी अक्सर बेईमानी की शिकायतें सामने आती हैं। सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार कम करने के उपाय सुझाने के लिए हमने एक समिति गठित की थी। इस समिति की सिफारिश है कि कई दूसरे देशों की तरह हमारे यहाँ भी एक सार्वजनिक खरीद कानून होना चाहिए, जो सरकारी खरीद के उसूलों और तौर-तरीकों को तय कर सके। हम इसके लिए इस साल के आखिर में संसद में एक बि‍ल पेश करेंगे।

पिछले कुछ सालों में कई क्षेत्रों में स्वतंत्र रेगुलेटरी अथॉरि‍टीज बनाई गई हैं। ये अथॉरि‍टीज अब बहुत से ऐसे काम कर रही हैं, जो पहले सरकार खुद करती थी। मगर हमारे पास कोई ऐसा कानून नहीं है, जो इन रेगुलेटर्स  के काम काज को देखे और उनकी स्वतंत्रता बरकरार रखते हुए उन्हें ज्यादा जवाबदेह बनाए। हम ऐसा कानून बनाने पर भी विचार कर रहे हैं।

भाइयो और बहनो,
मैंने भ्रष्टाचार पर इतना कुछ इसलिए कहा है क्योंकि मैं समझता हूं कि यह समस्या आज हम सभी के लिए गहरी चिंता का विषय है। लेकिन, यह एक ऐसी मुश्किल है, जिससे निपटने के लिए सरकार के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है।  भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में हम कई मोर्चों पर एक साथ कार्रवाई कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि इस लड़ाई में सभी राजनैतिक दल हमारा साथ दें। भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए हमने कई महत्वपूर्ण बि‍ल संसद में रखे हैं और रखेंगे। मुझे उम्मीद है कि इन बि‍ल्‍स को कानून में बदलने के लिए सभी राजनैतिक दल सहयोग करेंगे। इस मामले में, मैं आखिर में यह कहना चाहूंगा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई तभी जीती जा सकती है, जब इसमें भारत का हर नागरिक सहयोग करे।

भाइयो और बहनो,
मैं देश के किसानों को उनकी इस साल की उपलब्धि के लिए मुबारकबाद देता हूं। इस साल हमारे देश में खाद्यान्नों का रिकार्ड उत्पादन हुआ है। गेहूं, मक्का, दालों और तिलहन में अलग-अलग भी रिकार्ड उत्पादन हुआ है। यह हमारे किसानों की मेहनत का ही नतीजा है कि आज हमारे देश में खाद्यान्न, चीनी और कपास के निर्यात की बात हो रही है।

कृषि के क्षेत्र में हमें देश में एक दूसरी हरित क्रांति की ज़रूरत है। हम खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों का मुकाबला अपनी कृषि उत्पादकता और उत्पादन को बढ़ाकर ही कर सकते हैं। खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने के लिए भी हमें अपना उत्पादन बढ़ाने की ज़रूरत है। 12वीं योजना में हम इस दिशा में अपने प्रयास और तेज़ करेंगे।

मैं आज अपने किसान भाइयों और बहनों को, खासतौर पर छोटे और सीमांत किसानों को यह भरोसा दिलाना चाहता हूं कि हम उनकी जरूरतों का खास ख्याल रखते रहेंगे। हमारा प्रयास रहेगा कि खाद, बीज और कर्ज़ हमारे किसान भाइयों को आसानी से हासिल हो पायें। हम यह भी चाहते हैं कि हम ज्यादा से ज्यादा सिंचाई सुविधाएं अपने किसानों को उपलब्ध कराएं, ताकि बारिश पर उनकी निर्भरता कम हो सके।

भाइयो और बहनो,
हमारा देश आज एक ऐसे दौर से गुज़र रहा है जिसमें महंगाई लगातार ज़्यादा रही है। महंगाई पर काबू पाना किसी भी सरकार की अहम ज़िम्मेदारी होती है। हमारी सरकार इस ज़िम्मेदारी को पूरी तरह समझती है। हमने लगातार ऐसे कदम उठाए हैं, जिनसे महंगाई कम हो सके। कई बार हमें ऐसे हालात का सामना करना पड़ा है, जिनमें बढ़ती महंगाई की वजह देश के बाहर थी। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में पेट्रोलियम पदार्थों, खाद्यान्नों और खाद्य तेलों की कीमतों में हाल के समय में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। हम इन वस्तुओं का काफी मात्रा में आयात करते हैं और इसीलिए इनकी बढ़ी हुई कीमतों का असर महंगाई पर पड़ता है। कई बार हम महंगाई पर काबू पाने में कामयाब भी हुए हैं। लेकिन यह कामयाबी मुस्तकिल साबित नहीं हो पाई। अभी कुछ दिन पहले बढ़ती महंगाई पर जनता की चिंता संसद में हुई चर्चा में भी नज़र आई। मैं आपको आज भरोसा दिलाना चाहता हूं कि हम लगातार यह समीक्षा कर रहे हैं कि महंगाई पर काबू पाने के लिए क्या नए कदम उठाए जा सकते हैं। महंगाई की समस्या का हल निकालना अगले कुछ महीनों में हमारी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता रहेगी।

भाइयो और बहनो
उद्योग, बुनियादी ढांचे और शहरीकरण के लिए किए जाने वाले भूमि अधिग्रहण की वजह से देश के कई हिस्सों में पैदा हुए तनाव से मैं पूरी तरह से वाकिफ हूं। इस प्रकार के अधिग्रहण से हमारे किसान विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं। लोकहित की योजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण बेशक ज़रूरी है। लेकिन, यह काम पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से होना चाहिए। जिन लोगों की रोज़ी-रोटी अधिग्रहण की जाने वाली भूमि से जुड़ी हुई है, उनके हितों का पूरी तरह ख़्याल रखा जाना चाहिए। हम चाहते हैं कि भूमि अधिग्रहण के काम में किसी के साथ नाइंसाफी न हो। इसीलिए, हमारी सरकार 117 साल पुराने कानून की जगह भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास का एक ऐसा नया कानून बनाना चाहती है, जो प्रगतिशील और संतुलित हो। इसके लिए हमने एक मसौदा तैयार कर लिया है और उस पर सहमति बनाने की कार्रवाई भी शुरू कर दी है। जल्द ही संसद में हम इस नए कानून के लिए बिल पेश करेंगे।

शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में पिछले 7 सालों की अपनी उपलब्धियों पर हमें संतोष है। चाहे वह बुनियादी शिक्षा हो, माध्यमिक शिक्षा हो या उच्च शिक्षा, हमने सभी स्तरों में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए हैं। और इसके अच्छे नतीजे सामने आए हैं।  पिछले कुछ सालों में शिक्षा के क्षेत्र में आमूल परिवर्तन हुए हैं। आज बुनियादी शिक्षा हर नागरिक का अधिकार है। अब हम माध्यमिक शिक्षा के यूनि‍वर्सलाइजेशन की बात कर रहे हैं। आज वोकेशनल एजुकेशन और स्‍कि‍ल डेवलपमेंट की एक अलग अहमियत है। ऐसे बड़े परिवर्तनों को देखते हुए इस बात की आवश्यकता है कि शिक्षा के सभी पहलुओं पर बारीकी से फि‍र विचार किया जाए। इसलिए हमने फैसला किया है कि हम एक एजुकेशन कमीशन बनाएंगे, जो शिक्षा के सभी स्तरों पर सुधार के लिए सिफारिशें करेगा।

मैंने ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना को कई बार शिक्षा योजना कहा है। जितना जोर हमने 11वीं योजना में शिक्षा पर दिया था, उतना ही जोर हम 12वीं योजना में स्वास्थ्य पर देंगे। मैं राष्ट्रीय विकास परिषद में यह प्रस्ताव रखूंगा कि 12वीं योजना स्वास्थ्य पर केन्द्रित हो। मैं आज आपसे यह वायदा भी करता हूं कि शिक्षा और स्वास्थ्य के अहम क्षेत्रों में संसाधनों की  कमी नहीं होने दी जाएगी।

भाइयो और बहनो
बहुत समय तक हमारे देश में असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए स्वास्थ्य बीमा की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी। सन् 2008 में हमने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले ऐसे कामगारों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की। पिछले वर्ष हमने इस योजना में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार कार्यक्रम के तहत काम करने वालों, घरेलू कामगारों, फेरीवालों और बीड़ी मजदूरों को भी शामिल किया है। आज तकरीबन 2 करोड़ 50 लाख कामगार इस बीमा योजना से फायदा उठा रहे हैं। हमारी सरकार का यह प्रयास रहेगा कि असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले ज़्यादा से ज़्यादा लोग इस योजना से फायदा पा सकें।

भाइयो और बहनो,
देश के बुनियादी ढांचे को हम लगातार मज़बूत कर रहे हैं। इस क्षेत्र में हमें बहुत बड़े निवेश की ज़रूरत है। इसीलिए, पिछले सात सालों में हमारी नीतियां ऐसी रही हैं, जिनसे बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा मिले। जीडीपी के फीसद के तौर पर, पिछले सात सालों में इस क्षेत्र में निवेश डेढ़ गुने से भी ज्यादा हुआ है।  पेट्रोलियम पदार्थों और बिजली के उत्पादन की क्षमता बढ़ी है । हवाई अड्डों, सड़कों, खासतौर पर ग्रामीण सड़कों, बंदरगाहों, सभी में सुधार हुआ है। मिसाल के तौर पर 11वीं योजना में बिजली उत्पादन में जो क्षमता जुड़ेगी, वह 10वीं योजना की तुलना में दोगुनी है। हम 12वीं योजना में बुनियादी ढांचे में निवेश को और तेज करेंगे। इस काम में हम देश के दूर-दराज के इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों का खास ख्याल रखेंगे। ऐसे इलाकों को रेलवेज़ और सड़कों से जोड़ने का काम सबसे पहले किया जाएगा।

भाइयो और बहनो,
इस वर्ष हमने शहरों में रहने वाले अपने गरीब भाई-बहनों की भलाई के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अभी कुछ दिन पहले हमने राजीव आवास योजना को मंजूरी दी है। इस योजना के ज़रिए हम शहरों से झुग्गी-झोपड़ियों को खत्म करना चाहते हैं। हमारा मकसद है कि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले हमारे भाई-बहनों को अपना साफ-सुथरा मकान हासिल हो और उनको पानी और बिजली जैसी ज्‍यादा सुविधाएं मिलें। राजीव आवास योजना को हम राज्यों के साथ मिलकर एक नेशनल मिशन के तौर पर लागू करेंगे।

भाइयो और बहनो,
महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की समस्या हमारे लिए एक बहुत चिंता का विषय है। इस समस्या से निपटने के लिए हमने कई कदम उठाए हैं जिनमें दो नई योजनाएं भी शामिल हैं। हमने यह फैसला भी किया है कि हम 6 माह के अंदर इंटीग्रेटेड चाइल्‍ड डेवलपमेट सर्वि‍सेज़ योजना में सुधार करेंगे, ताकि हमारे बच्चों में कुपोषण की समस्या को प्रभावी ढंग से दूर किया जा सके।

जनगणना - 2011 के जो आंकड़े हमें उपलब्ध हुए हैं, वे ज्यादातर क्षेत्रों में सुधार दर्शाते हैं। लेकिन, यह बेहद अफसोस की बात है कि लड़कियों के अनुपात में पिछली जनगणना की तुलना में गिरावट आई है। इस हालत को सुधारने के लिए हमें न सिर्फ मौजूदा कानूनों को सख्ती से लागू करना होगा, बल्कि हमारे समाज में लड़कियों और महिलाओं को जिस नज़रिए से देखा जाता है, उसको भी बदलना होगा। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए और समाज में उनको बेहतर दर्जा दिलाने के लिए मैं राज्य सरकारों और समाज सेवी संस्थाओं से विशेष रूप से अपील करना चाहूंगा।

भाइयो और बहनो,
पिछले महीने मुंबई में जो दहशतगर्दी की वारदातें हुईं, वे हमें आगाह करती हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए हमारी निगरानी में कोई कमी नहीं आनी चाहिए। यह एक लंबी लड़ाई है । इसको केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों और आम जनता को एक साथ मिलकर लड़ना है। हम आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी इंटेलि‍जेंस और सुरक्षा एजेंसीज को लगातार मज़बूत करते रहे हैं, और आगे भी करते रहेंगे।

नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए भी हम हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। हम यह चाहते हैं कि नक्सलवाद को जन्म देने वाले कारणों को खत्म कर दिया जाए। इसीलिए, चुने हुए 60 पिछड़े और अधिक आदिवासी जनसंख्या वाले जिलों के तेज़ विकास के लिए एक नई योजना शुरू की गई है। इस योजना पर दो साल की अवधि में 3,300 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जाएगी।

भाइयो और बहनो,
तेज़ विकास के साथ-साथ अपने प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखना हमारे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। क्‍लाइमेट चेंज की समस्या हमारे विकास और हमारे कुदरती संसाधनों के लिए ख़तरा बन सकती है। हमने क्‍लाइमेट चेंज पर आठ मिशन शुरू किए हैं। हम इन पर मेहनत से काम कर रहे हैं। हमने पवि‍त्र नदी गंगा की सुरक्षा और सफाई के लिए नेशनल गंगा रि‍वर बेसि‍न अथॉरि‍टी का गठन किया है। पर्यावरण संबंधी मामलों के समय पर निपटारे के लिए एक नेशनल ग्रीन ट्राइब्‍यूनल भी बनाया गया है। आने वाले महीनों में हम एक एनवायरमेंटल असेसमेंट  एण्‍ड मॉनि‍टरिंग अथॉरि‍टी की स्थापना करेंगे, ताकि पर्यावरण मंजूरी संबंधी फैसले बेहतर तरीके से हो पाएं।

भाइयो और बहनो,
तेज़ आर्थिक प्रगति के कारण हमारा देश और समाज तेज़ी से बदल रहा है। लोगों में नई उम्मीदें हैं। उनमें नई ख्वाहिशें हैं। हमारे नौजवानों में कुछ नया कर दिखाने का जज़्बा है। हमें ऐसा माहौल बनाना चाहिए, जिसमें लोगों की शक्ति और उत्साह का उपयोग राष्ट्र निर्माण में हो सके। हमारी संस्थाएं ऐसी होनी चाहिएं, जो जनता की क्षमताओं का सकारात्मक इस्तेमाल कर सकें। हमारे बि‍ज़नेसमेन और  एंटरप्रेन्‍यूर्स के कामों में बेवजह अड़चन नहीं आनी चाहिए। हमारे उद्योगपतियों को नए उद्योग लगाने के बेहतर मौके मिलने चाहिए, ताकि हमारे नौजवानों को अच्छे रोज़गार के लि‍ए नए अवसर मिल सकें। हमें ऐसी राजनीति से दूर रहना चाहिए जिससे उद्योग, कारोबार और निवेश से जुड़े लोगों के मन में कोई शक या डर पैदा हो।

भाइयो और बहनो,
इतने सारे धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों वाले 120 करोड़ की आबादी के हमारे लोकतंत्र का विकास के रास्ते पर तेज़ी से आगे बढ़ना कोई मामूली कामयाबी नहीं है। मैं इस कामयाबी पर भारत की जनता को बधाई देता हूं। लेकिन हमें बराबर सावधान रहना होगा कि विकास के रास्ते में हमारे देश में असमानता न बढ़े।

हम एक ऐसे सफर पर निकले हैं जिसमें हम अपने विशाल और विविधतापूर्ण देश को तेज़ विकास के ज़रिए बदलना चाहते हैं। एक ऐसा विकास जिससे हमारे हरेक नागरिक को फायदा पहुंचे। इस बदलाव के सिलसिले में कभी कभी तनाव उत्पन्न होना स्वाभाविक है। एक लोकतंत्र में इस तरह के तनाव राजनैतिक मतभेद के मुद्दे भी बन जाते हैं। हमारी सबकी यह कोशिश होनी चाहिए कि राजनैतिक दलों के आपसी वाद विवाद और एक दूसरे का विरोध करने के दौरान भी हमारे देश की प्रगति की रफ्तार पर असर न पड़े।

हम सबको यह यकीन भी होना चाहिए कि हमारे लोकतंत्र, हमारी संस्थाओं और हमारे सामाजिक आदर्शों और मूल्यों में किसी भी मुश्किल को हल करने की क्षमता है। हमें अपने आप पर भरोसा होना चाहिए। यह भरोसा कि हम अपना भविष्य खुद संवार सकते हैं। यह भरोसा कि हम एक होकर दुनिया का कठिन से कठिन काम भी कर सकते हैं।

भाइयो, बहनो, आइए, हम सब मिलकर अपने देश का भविष्य उज्ज्वल बनाने का संकल्प करें।

प्यारे बच्चों आप मेरे साथ बोलेंगे तीन बार -

जय हिन्द !
जय हिन्द !
जय हिन्द !

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