बारूद से भरे गायब हुए ट्रकों की संख्या हजार के पार,
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सागर। बारूद से भरे ट्रकों के गायब होने के मामले में राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित आधा दर्जन प्रांतों की पुलिस व खुफिया एजेंसियों की जांच में आए दिन नए खुलासे हो रहे हैं। अब तक की कार्रवाई में पुलिस अलग-अलग जगहों से लाखों की तादाद में डिटोनेटर व सैकड़ों टन विस्फोटक जब्त कर चुकी है। वहीं जब्त दस्तावेज गायब हुए ट्रकों की संख्या के आंकड़े के हजार के पार जाने की ओर इशारा कर रहे हैं।
राजस्थान में धौलपुर स्थित राजस्थान एक्सप्लोसिव एंड केमिकल्स लिमिटेड से मध्यप्रदेश में सागर जिले के सड़ेरी गांव में स्थित गणकोश विस्फोटक मैगजीन व अशोक नगर जिले के चंदेरी में स्थित संगम एक्सप्लोसिव के लिए अप्रैल से जून माह के बीच भेजे गए विस्फोटकों से भरे ट्रकों के नियत स्थान पर पहुंचने से पहले ही गायब हुए ट्रकों का आंकड़ा तो 163 पर थम गया है, लेकिन जांच में तीन माह से ज्यादा अवधि को शामिल करते ही यह आंकड़ा एक बार फिर बढ़ने लगा है। हो सकता है कुछ ही दिनों के बाद ही यह आंकड़ा हजार के पार नजर आने लगे।
गायब हुए विस्फोटकों का मामला देख रहे सागर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मनोज सिंह ने बताया कि सागर पुलिस अलग-अलग स्थानों से अब तक 50 टन विस्फोटक व 13 लाख डिटोनेटर बरामद कर चुकी है। जहां तक राजस्थान से मध्यप्रदेश भेजे गए बारूद से लदे गायब हुए ट्रकों की संख्या का संबंध है, तो जब्त दस्तावेज गायब हुए ट्रकों की संख्या में इजाफा होने की ओर इशारा कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक अशोक नगर के चंदेरी स्थित संगम एक्सप्लोसिव के लाइसेंस की वैधता वर्ष 2008 में ही समाप्त हो गई थी, लेकिन राजस्थान एक्सप्लोसिव एंड केमिकल्स से विस्फोटकों की आपूर्ति जारी रही। इसके चलते वर्ष 2008 से लेकर 2010 तक इस मैग्जीन के नाम पर राजस्थान से भेजे गए बारूद से लदे ट्रकों के गायब होने के मामले बढते गए और यह आंकड़ा हजार से भी पार जा सकता है।
इस मामले की जांच के लिए राजस्थान गई सागर पुलिस टीम के एक सदस्य उपनिरीक्षक बी. एम. द्विवेदी ने को बताया कि इस मामले का मास्टर माइंड व मुख्य आरोपी जयकिशन आसवानी बारूद कारोबार से जुड़ने से पहले परचून की दुकान चलाता था। दीपा हेड़ा उसकी करीबी रिश्तेदार थी, लेकिन उसके शिवचरण हेड़ा से शादी करने के बाद जयकिशन भी सन 2000 के आसपास इस कारोबार में आ गया। आसवानी ही मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र में फैले हेड़ा दंपति के बारूद के कारोबार को देखता था।
गायब हुए विस्फोटकों की जांच टीम के सक्रिय सदस्य जे. एस. परिहार के मुताबिक जयकिशन आसवानी की कार्यशैली से प्रभावित होकर शिवचरण हेड़ा इसको ज्यादा से ज्यादा काम सौंपता गया।
सूत्रों बताया कि राजस्थान स्थित विस्फोटक निर्माता कंपनी आरईसीएल में आसवानी के हस्ताक्षरित कागजों का पुलिंदा रखा रहता था। हेड़ा का फोन आने पर इन कागजों में विवरण भर कर कागजी कार्रवाई की खानापूर्ति कंपनी प्रबंधन करता रहता था।
इस मामले का खुलासा होने के वक्त तीन मैग्जीनें गुजरात के राजकोट स्थित भूमि ट्रेडर्स, मध्यप्रदेश के ब्यावरा स्थित बी. एम. ट्रेडर्स व सागर की गणेश एक्सप्लोसिव आसवानी की बताई जा रही थी।
आसवानी ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि वह इन तीनों ही मैग्जीनों का असली मालिक नहीं था बल्कि केवल साझेदार बनकर ही सारे कारोबार का संचालन खुद ही करने की कोशिश करता था, लेकिन उसका यह खेल केवल मध्यप्रदेश के ब्यावरा स्थित दीपा हेड़ा के स्वामित्व वाली मैग्जीन में ही सफल हो पाया। सागर की गणेश एक्सप्लोसिव व गुजरात की भूमि ट्रेडर्स में उसका यह खेल नहीं चल सका।
परिहार के मुताबिक आसवानी इसी तरीके से अपने कर्मचारियों को भी प्रदेश भर में स्थित कई मैग्जीनों का मालिक बनाने की जुगत में लगा था। अशोक नगर स्थित संगम एक्सप्लोसिव का स्वामित्व हासिल करने के लिए भी उसने अपने मुनीम राजेन्द्र चौबे को साझेदार बनाने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि फिलहाल इस मामले की जांच अभी जारी है और इसमें कई और चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं