'अभी दो-तीन साल और सड़ेगा अनाज
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नई दिल्ली. कृषि मंत्नी शरद पवार ने कहा है कि देश में अनाज भंडारण की समस्या से निपटने के लिए अगले दो तीन वर्षो में व्यापक कदम उठाए जायेंगे और गोदामों में सड़ रहे खाद्यान्न के संबंध में उच्चतम न्यायालय को सरकार एक दो दिन में अपने रुख से अवगत करा देगी
श्री पवार ने गोदामों की कमी के कारण अनाज सड़ने के मसले पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर आज हुई चर्चा का उत्तर देते हुए स्वीकार किया कि देश में अनाज रखने के लिए पर्याप्त भंडारण व्यवस्था नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए अगले दो तीन साल में व्यापक स्तर पर कदम उठायें जायेंगे। इसके लिए केन्द्र सरकार. निजी क्षेत्न और राज्य सरकारों सभी का सहयोग लिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि अनाज सड़ना कतई स्वीकार नहीं है किंतु भंडारण की कमी के कारण यह हुआ है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय की अनाज सड़ने की बजाय इसे गरीबों में बांट देने की सलाह पर कहा कि न्यायालय की सब बातों का स्वीकार करनें में समस्या है।
उन्होंने कहा कि न्यायालय की सलाह के संबंध में सरकार अगले एक-दो दिन के भीतर अपने रुख से उसे अवगत करा देगी।
उन्होंने कहा कि चार साल पहले देश में खाद्यान्न की कमी के कारण सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिये गेहूं उपलब्ध कराने के लिए शुल्क मुक्त आयात का अभूतपूर्व फैसला लेना पड़ा। उन्होंने सदस्यों के इस कथन को कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलता सही नहीं ठहराते हुए कहा कि पिछले पांच वर्षो के दौरान गेहूं और चावल की सरकारी खरीद के लिए दामों को दुगने से अधिक कर दिया गया। किसानों को उचित मूल्य मिलने का ही नतीजा है कि देश में खाद्यान्नों के भंडार भरे पड़े है और किसानों ने इतना अधिक अनाज पैदा किया कि रखने के लिए जगह की कमी पड़ गई है।
श्री पवार ने कहा कि अधिक अनाज की स्थिति में इस समस्या से निपटने के दो उपाय हैं. एक तो इसका निर्यात कर दिया जाये दूसरा इसका भंडारण रखा जाये जिससे कि किसी विषम परिस्थिति में निपटने में आसानी हो।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2001 से 2004 के बीच देश से अनाजों के निर्यात के लिए 16240 करोड़ रुपए की सबसिडी दी गई। किंतु इसके बाद खाद्यान्न की तंगी के कारण आयात करना पड़ा। इसको देखते हुए यह फैसला किया गया कि देश में अनाज का भंडारण रखा जाये। इससे भंडारण पर कुछ पैसा अधिक खर्च होता है किंतु यह खाद्यान्न खाद्य सुरक्षा के समय बहुत काम आता है।
उन्होंने कहा कि खाद्य भंडारण के लिए जगह बनाने के लिए रेलवे की मदद भी ली जा रही है। रेलवे के पास काफी जमीन है और ऐसी योजना है कि भंडारगृह बनाने के लिए रेलवे के साथ संयुक्त रुप से काम किया जाये।
निजी क्षेत्न के अनाज भंडारण में ज्यादा रुचि नहीं दिखाने के संबंध में श्री पवार ने कहा कि पांच साल की गारंटी देकर गोदाम किराये पर लेने में समस्या आ गई। फिर इस गारंटी को बढ़ाकर सात साल किया गया और अब दस साल किया गया है। इसे लेकर भी निवेशकों में सशंय की स्थिति बनी जिसे अगले तीन चार सप्ताह में दूर कर दिया जायेगा ।
उन्होंने कहा कि अनाज भंडारण को बुनियादी सुविधा क्षेत्न का दर्जा दिए जाने पर भी विचार किया जा रहा है। इसके अलावा कर में लाभ और सस्ती दरों पर वित्तीय संस्थानो से ऋण उपलब्ध कराने की दिशा में कदम उठाये जा रहे हैं।
कृषि मंत्नी ने कहा कि कई राज्यों में अनाज खरीद पर कर अधिक होने की वजह से भी मंडियों में आये लगभग पूरे माल को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य सरकारों की एजेंसियों को
खरीदना पड़ता है। कर अधिक होने से निजी क्षेत्न अनाज खरीदने के लिए आगे नहीं आता और सारा बोझ एफसीआई और अन्य सरकारी एजेंसियों पर पड़ता है।
उन्होंने कहा कि सरकार खाद्य सुरक्षा कानून बनाने पर विचार कर रही है और इसके लिए जल्दी ही सदन में आना पडे़गा। इस कानून में राज्य सरकारों को पीडीएस के लिए आवश्यक आपूर्ति, पैदावार बढ़ाने और भंडारण पर जोर रहेगा।
अन्नाद्रुमुक के के वी रामलिंगम ने अनाज सड़ने के लिए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वी पी त्निवेदी ने कहा कि यह बड़े खेद की बात है कि अनाज खुले में सड़ता रहा और गोदामों को शीतल पेय और मदिरा कंपनियों को माल रखने के लिए किराये पर दे दिया गया।
मार्क्सवादी कम्युनिसट पार्टी (माकपा) के प्रशांत चटर्जी ने कहा कि देश की जनसंख्या का 77 प्रतिशत हिस्सा आज भी 1.20 रुपए पर जीवन निर्वाह करने को मजबूर है। वह जानना चाहते थे कि स्वामीनाथन
आयोग की सिफारिशों पर सरकार ने क्या कार्रवाई की।
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राजनीति प्रसाद ने कहा कि साजिश के तहत अनाज को सड़ाया जा रहा जिससे कि बाद में बहुत कम दाम पर शराब बनाने वाली फैक्ट्रियों को इसे बेच दिया जायेगा।
कांग्रेस के प्रवीन राष्ट्रपाल ने रेलवे की जमीन पर गोदाम बनाये जाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गो के साथ-साथ खाली पड़ी भूमि का भी इसके लिए बेहतर इस्तेमाल हो सकता। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नरेश चन्द्र अग्रवाल ने भारतीय खाद्य निगम में भ्रष्टाचार का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की जरुरत के लिए निगम पंजाब से गेहूं की आपूर्ति करता है जबकि पंजाब में इसे उत्तर प्रदेश से भेजा जाता है।
चर्चा में भाग लेने वाले अधिकांश सदस्यों ने अनाज भंडारण की समस्या से निपटने के लिए निजी क्षेत्न के सहयोग की वकालत की। शिरोमणि अकाली दल के नरेश अग्रवाल, लोक जनशक्ति पार्टी के साबिर अली, भाजपा के प्रकाश जावडेकर, कांग्रेस के राजीव शुक्ला , भाजपा के कलराज मिश्रा और कांग्रेस के जेसुदासु सीलम ने भी चर्चा में हिस्सा लिया
श्री पवार ने गोदामों की कमी के कारण अनाज सड़ने के मसले पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर आज हुई चर्चा का उत्तर देते हुए स्वीकार किया कि देश में अनाज रखने के लिए पर्याप्त भंडारण व्यवस्था नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए अगले दो तीन साल में व्यापक स्तर पर कदम उठायें जायेंगे। इसके लिए केन्द्र सरकार. निजी क्षेत्न और राज्य सरकारों सभी का सहयोग लिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि अनाज सड़ना कतई स्वीकार नहीं है किंतु भंडारण की कमी के कारण यह हुआ है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय की अनाज सड़ने की बजाय इसे गरीबों में बांट देने की सलाह पर कहा कि न्यायालय की सब बातों का स्वीकार करनें में समस्या है।
उन्होंने कहा कि न्यायालय की सलाह के संबंध में सरकार अगले एक-दो दिन के भीतर अपने रुख से उसे अवगत करा देगी।
उन्होंने कहा कि चार साल पहले देश में खाद्यान्न की कमी के कारण सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिये गेहूं उपलब्ध कराने के लिए शुल्क मुक्त आयात का अभूतपूर्व फैसला लेना पड़ा। उन्होंने सदस्यों के इस कथन को कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलता सही नहीं ठहराते हुए कहा कि पिछले पांच वर्षो के दौरान गेहूं और चावल की सरकारी खरीद के लिए दामों को दुगने से अधिक कर दिया गया। किसानों को उचित मूल्य मिलने का ही नतीजा है कि देश में खाद्यान्नों के भंडार भरे पड़े है और किसानों ने इतना अधिक अनाज पैदा किया कि रखने के लिए जगह की कमी पड़ गई है।
श्री पवार ने कहा कि अधिक अनाज की स्थिति में इस समस्या से निपटने के दो उपाय हैं. एक तो इसका निर्यात कर दिया जाये दूसरा इसका भंडारण रखा जाये जिससे कि किसी विषम परिस्थिति में निपटने में आसानी हो।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2001 से 2004 के बीच देश से अनाजों के निर्यात के लिए 16240 करोड़ रुपए की सबसिडी दी गई। किंतु इसके बाद खाद्यान्न की तंगी के कारण आयात करना पड़ा। इसको देखते हुए यह फैसला किया गया कि देश में अनाज का भंडारण रखा जाये। इससे भंडारण पर कुछ पैसा अधिक खर्च होता है किंतु यह खाद्यान्न खाद्य सुरक्षा के समय बहुत काम आता है।
उन्होंने कहा कि खाद्य भंडारण के लिए जगह बनाने के लिए रेलवे की मदद भी ली जा रही है। रेलवे के पास काफी जमीन है और ऐसी योजना है कि भंडारगृह बनाने के लिए रेलवे के साथ संयुक्त रुप से काम किया जाये।
निजी क्षेत्न के अनाज भंडारण में ज्यादा रुचि नहीं दिखाने के संबंध में श्री पवार ने कहा कि पांच साल की गारंटी देकर गोदाम किराये पर लेने में समस्या आ गई। फिर इस गारंटी को बढ़ाकर सात साल किया गया और अब दस साल किया गया है। इसे लेकर भी निवेशकों में सशंय की स्थिति बनी जिसे अगले तीन चार सप्ताह में दूर कर दिया जायेगा ।
उन्होंने कहा कि अनाज भंडारण को बुनियादी सुविधा क्षेत्न का दर्जा दिए जाने पर भी विचार किया जा रहा है। इसके अलावा कर में लाभ और सस्ती दरों पर वित्तीय संस्थानो से ऋण उपलब्ध कराने की दिशा में कदम उठाये जा रहे हैं।
कृषि मंत्नी ने कहा कि कई राज्यों में अनाज खरीद पर कर अधिक होने की वजह से भी मंडियों में आये लगभग पूरे माल को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य सरकारों की एजेंसियों को
खरीदना पड़ता है। कर अधिक होने से निजी क्षेत्न अनाज खरीदने के लिए आगे नहीं आता और सारा बोझ एफसीआई और अन्य सरकारी एजेंसियों पर पड़ता है।
उन्होंने कहा कि सरकार खाद्य सुरक्षा कानून बनाने पर विचार कर रही है और इसके लिए जल्दी ही सदन में आना पडे़गा। इस कानून में राज्य सरकारों को पीडीएस के लिए आवश्यक आपूर्ति, पैदावार बढ़ाने और भंडारण पर जोर रहेगा।
अन्नाद्रुमुक के के वी रामलिंगम ने अनाज सड़ने के लिए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वी पी त्निवेदी ने कहा कि यह बड़े खेद की बात है कि अनाज खुले में सड़ता रहा और गोदामों को शीतल पेय और मदिरा कंपनियों को माल रखने के लिए किराये पर दे दिया गया।
मार्क्सवादी कम्युनिसट पार्टी (माकपा) के प्रशांत चटर्जी ने कहा कि देश की जनसंख्या का 77 प्रतिशत हिस्सा आज भी 1.20 रुपए पर जीवन निर्वाह करने को मजबूर है। वह जानना चाहते थे कि स्वामीनाथन
आयोग की सिफारिशों पर सरकार ने क्या कार्रवाई की।
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राजनीति प्रसाद ने कहा कि साजिश के तहत अनाज को सड़ाया जा रहा जिससे कि बाद में बहुत कम दाम पर शराब बनाने वाली फैक्ट्रियों को इसे बेच दिया जायेगा।
कांग्रेस के प्रवीन राष्ट्रपाल ने रेलवे की जमीन पर गोदाम बनाये जाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गो के साथ-साथ खाली पड़ी भूमि का भी इसके लिए बेहतर इस्तेमाल हो सकता। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नरेश चन्द्र अग्रवाल ने भारतीय खाद्य निगम में भ्रष्टाचार का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की जरुरत के लिए निगम पंजाब से गेहूं की आपूर्ति करता है जबकि पंजाब में इसे उत्तर प्रदेश से भेजा जाता है।
चर्चा में भाग लेने वाले अधिकांश सदस्यों ने अनाज भंडारण की समस्या से निपटने के लिए निजी क्षेत्न के सहयोग की वकालत की। शिरोमणि अकाली दल के नरेश अग्रवाल, लोक जनशक्ति पार्टी के साबिर अली, भाजपा के प्रकाश जावडेकर, कांग्रेस के राजीव शुक्ला , भाजपा के कलराज मिश्रा और कांग्रेस के जेसुदासु सीलम ने भी चर्चा में हिस्सा लिया