मिड डे मील पर मोबाइल की नजर
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https://tehalkatodayindia.blogspot.com/2010/08/blog-post_3555.html
सना जैदी
कानपूर ::आईआईटी कानपुर के 2 स्नातक छात्रों ने उत्तर प्रदेश के 150,000 स्कूलों में चलने वाली 2,000 करोड़ रुपये की मिड डे मील योजना पर मोबाइल फोन के जरिए नजर रखने के लिए एक तकनीक विकसित की है।
जब मि़ड डे मील भोजन योजना के निदेशक आमोद कुमार स्कूलों में तैयार होने वाले मिड डे मील के संबंध में प्रतिदिन जानकारी हासिल करने की सबसे बड़ी समस्या का हल ढूंढ़ने का प्रयास कर रहे थे तो पल्लव पांडे और अंबरीश गुप्ता नाम के छात्रों ने उन्हें उनके सारे सवालों के जवाब दे दिए। स्कूलों से इस संबंध में त्वरित जानकारी हासिल करने के लिए कई उपाय किए गए लेकिन कोई भी उपाय कारगर नहीं रहा। पांडे ने बताया कि इसके लिए एक बड़ा सा कॉल सेंटर स्थापित करने का लक्ष्य है, जिसमें उतना ही खर्च आएगा जितना कि मिड डे मील योजना में आता है।
उन्होंने बताया कि इसके लिए प्रत्येक स्कूल में कम्प्यूटर और इंटरनेट की उपलब्धता जरूरी है। इतने सारे स्कूलों से मिलने वाले आंकड़ों को दर्ज करने के लिए पूरे एक दिन के समय की आवश्यकता होगी लेकिन अब पांडे और गुप्ता द्वारा पिछले सप्ताह जारी किए गए सॉफ्टवेयर से राज्यभर के स्कूलों से मध्याह्न भोजन संबंधी जानकारी दोपहर 12 बजे तक ही मिल जाती है।
स्कूलों में इस योजना से जुड़े शिक्षकों के लिए मोबाइल फोन पर एसएमएस के जरिए जानकारियां देना आवश्यक होगा।
पांडे ने बताया कि लखनऊ निदेशालय में लगाई गई इस प्रणाली में 10,000 स्कूलों से एक साथ आंकड़े प्राप्त किए जा सकेंगे और इस तरह दो घंटे के अंदर राज्यभर से आंकड़े मिलना संभव हो जाएगा।
कानपूर ::आईआईटी कानपुर के 2 स्नातक छात्रों ने उत्तर प्रदेश के 150,000 स्कूलों में चलने वाली 2,000 करोड़ रुपये की मिड डे मील योजना पर मोबाइल फोन के जरिए नजर रखने के लिए एक तकनीक विकसित की है।
जब मि़ड डे मील भोजन योजना के निदेशक आमोद कुमार स्कूलों में तैयार होने वाले मिड डे मील के संबंध में प्रतिदिन जानकारी हासिल करने की सबसे बड़ी समस्या का हल ढूंढ़ने का प्रयास कर रहे थे तो पल्लव पांडे और अंबरीश गुप्ता नाम के छात्रों ने उन्हें उनके सारे सवालों के जवाब दे दिए। स्कूलों से इस संबंध में त्वरित जानकारी हासिल करने के लिए कई उपाय किए गए लेकिन कोई भी उपाय कारगर नहीं रहा। पांडे ने बताया कि इसके लिए एक बड़ा सा कॉल सेंटर स्थापित करने का लक्ष्य है, जिसमें उतना ही खर्च आएगा जितना कि मिड डे मील योजना में आता है।
उन्होंने बताया कि इसके लिए प्रत्येक स्कूल में कम्प्यूटर और इंटरनेट की उपलब्धता जरूरी है। इतने सारे स्कूलों से मिलने वाले आंकड़ों को दर्ज करने के लिए पूरे एक दिन के समय की आवश्यकता होगी लेकिन अब पांडे और गुप्ता द्वारा पिछले सप्ताह जारी किए गए सॉफ्टवेयर से राज्यभर के स्कूलों से मध्याह्न भोजन संबंधी जानकारी दोपहर 12 बजे तक ही मिल जाती है।
स्कूलों में इस योजना से जुड़े शिक्षकों के लिए मोबाइल फोन पर एसएमएस के जरिए जानकारियां देना आवश्यक होगा।
पांडे ने बताया कि लखनऊ निदेशालय में लगाई गई इस प्रणाली में 10,000 स्कूलों से एक साथ आंकड़े प्राप्त किए जा सकेंगे और इस तरह दो घंटे के अंदर राज्यभर से आंकड़े मिलना संभव हो जाएगा।