अमरीका में भारतीय ईवीएम पर चर्चा
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ज़ुबैर अहमद
इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन की विश्वसनीयता पर भाजपा ने 2009 के चुनाव के बाद सवाल उठाया था
भारत में चुनाव में इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर उठे विवाद की आवाज़ अमरीका तक पहुँच गई है.
यहाँ एक सभा में कंप्यूटर विशेषज्ञों ने भारत में इस्तेमाल होने वाली इस मशीन को दोषपूर्ण बताया.
लेकिन सभा के बाहर चर्चा थी कि मुंबई पुलिस के उस केस की जिसमें कुछ कंप्यूटर विशेषज्ञों के ख़िलाफ़ समन जारी किए गए हैं.
दरअसल मुंबई पुलिस ने एक इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन के ग़ायब होने के बाद तीन विदेशी समेत कुछ कंप्यूटर विशेषज्ञों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की है. पुलिस उनसे पूछताछ करना चाहती है.
यह बेबुनियाद इल्ज़ाम है. यह केस बिलकुल बेकार है. मशीन चोरी नहीं की गई थी. ये हमें एक व्यक्ति ने दी थी जो अपनी शिनाख्त गुप्त रखना चाहता था. उसने हमें इसलिए यह मशीन दी क्योंकि उसे मालूम था कि इसमें खोट है
प्रोफ़ेसर जे एलेक्स हल्दार्मे, मिशिगन विश्वविद्यालय
मिशिगन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जे अलेक्स हल्दार्में ने कहा यह एक मज़ाक है.
उन्होंने कहा,"ये बेबुनियाद इल्ज़ाम है. यह केस बिल्कुल बेकार है. मशीन चोरी नहीं की गई थी. यह हमें एक व्यक्ति ने दी थी जो अपनी शिनाख्त गुप्त रखना चाहता था. उसने हमें इसलिए यह मशीन दी क्योंकि उसे मालूम था कि इसमें खोट है.''
हौलैंड के रोप गोंगोरिप और भारत के हरिप्रसाद से भी पुलिस पूछताछ करना चाहती है.
मशीन के साथ छेड़छाड़ संभव
इन सभी ने मई में एक मशीन हासिल की थी और यह साबित करने का दावा किया कि यह मशीन सुरक्षित नहीं है और इसके साथ छेड़छाड़ संभव है.
इस मशीन में दिए गए मत को कागज़ में छापने की गुंजाइश है. इन मतों को कागज़ पर छापा जा सकता है. मेरे ख्याल में इस पर बहस होनी चाहिए लेकिन चुनाव आयोग इस पर कोई चर्चा करने को तैयार नहीं.
नरसिम्हा राव
इस सभा में हिस्सा लेने आए चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी अलोक मिश्र ने कहा कि आयोग के दफ़्तर से ग़ायब होने वाली सरकारी संपत्ति चोरी ही समझी जाएगी.
उन्होंने कहा, "पुलिस ने उनसे जानकारी लेने की कोशिश की है उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है. उन्हें परेशान करने का सवाल नहीं."
नरसिम्हा राव उन लोगों में से एक हैं जो मशीन की सुरक्षा पर देश भर में एक बहस का सिलसिला शुरू करवाना चाहते हैं.
उनका कहना है कि इस मशीन के साथ हर डाले गए मत का दस्तावेज़ भी होना चाहिए
उन्होंने कहा, "इस मशीन में दिए गए मत को कागज़ में छापने की गुंजाइश है. इन मतों को कागज़ पर छापा जा सकता है. मेरे ख्याल में इस पर बहस होनी चाहिए लेकिन चुनाव आयोग इस पर कोई चर्चा करने को तैयार नहीं."
भारत में इस समय 13 लाख इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनें हैं.
कई वर्षों के प्रयास के बाद इसका पहली बार देश भर में इस्तेमाल वर्ष 2004 के आम चुनाव में किया गया था.
वर्ष 2009 के चुनाव की हार के बाद भारतीय जनता पार्टी ने इन मशीनों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई थी. लेकिन अब तक सभी पार्टियों को इन मशीनों के नतीजों को स्वीकार किया है.